RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
रात नींद काफी अच्छी हुई थी जिसके कारण मुझे उठने में देर हो गयी. सुबह की धुप के कारण पूरा कमरा रोशन हो गया. फैक्ट्री में आज भी मुझे रहना काफी जरूरी था. मैं नहाने के लिए बाथरूम गया. बाथरूम छोटा लेकिन सारी अंग्रेजी सुविधायों से लैस था. बाथरूम की खिड़की से हवेली की उपरी मंजिल दीख रही थी लेकिन मुझे कोई हलचल नज़र नहीं आया. हलचल भी क्या हो जब दो औरत ही रहती है. मैंने जल्दी से नहाया, कपड़े पहने और फैक्ट्री की तरफ भागा. वहां सब मेरी रह देख रहे थे. आज फिर एक भाग-दौड़ वाला दिन था. शाम को खाना पैक कर आठ बजे अपने कमरे में आया.
हवेली में मेरा मन को भले शुकून मिल गया था लेकिन मेरे जिस्म को आराम नहीं मिला था. हर रात को सोने के वक़्त सोमलता की याद आती थी. बीच में उससे बात करने का भी ख्याल आया लेकिन उसके पास कोई फ़ोन तो था नहीं और विवेक या नेहा के जरिये बात करने पर शक होने का डर भी था. इसी तरह से पूरा हफ्ता निकल गया.
रविवार होने के कारण सुबह देर से उठा. नित्य कर्म करने के बाद नाश्ता करने बाहर बाज़ार में गया. आते वक़्त अख़बार लेते आया, रविवार है पूरा दिन पड़ा है. दिन तो काटना ही पड़ेगा. हवेली में काफी चहल पहल थी. रविवार के कारण सभी किरायेदार के परिवार हवेली में ही थे. सब मुझे ऐसी देख रहे थे जैसे मैं किसी दुसरे ग्रह से आया हूँ. मै जल्दी जल्दी सीढ़ी चढ़ अपने कमरे में आ गया. लेकिन अकेलापन मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा था. घर बात की. नहीं चाहते हुए भी विवेक को फोन लगाया. फोन नेहा ने उठाया. फिर उससे लम्बी बात हुई. विवेक से भी बात हुई. चाहते हुए भी मैं सोमलता के बारे में पूछ नहीं पाया. मन मसोरकर मैंने फ़ोन रखा.
सोमलता की याद मेरे इस अकेलेपन को काटने लगी. उसके साथ गुजरे हुए दिन खासकर चुदाई के दिन बार-बार याद आ रहे थे. मन नहीं मान रहा था. उसकी कसक बदन, कसी चूचियाँ, सपाट पेट और रसदार बुर की याद मेरा लंड को बड़ा परेशान कर रही थी. हारकर काफी दिनों के बाद मैंने मुठ मरने का मन बनाया. सोमलता की याद काफी नहीं थी इसलिए मैंने लैपटॉप में एक ब्लू फिल्म चलाया और पेंट अंडरवियर उतार कर लंड सहलाने लगा. ब्लू फिल्म की उम्रदराज अदाकारा सोमलता की याद दिला रही थी.
पोर्न फिल्म और सोमलता की जिस्म की याद ने मेरे लंड को कड़क बनाने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा. ट्रेन यात्रा के दौरान सपने में झड़ने के बाद इन 4-5 दिनों में मैंने कभी मूठ नहीं मारी थी. काश मैं सोमलता की कुछ नंगी तस्वीरें या कोई विडियो बना लिया होता इन अकेले दिनों के लिए! खैर जो हो गया उसपे रोने से कोई फायदा तो होने वाला है नहीं.
सुबह की तेज धुप ने कमरे को गर्म कर दिया था. पंखा पुरी स्पीड में चल रहा था और मैं बिल्कुल बेफिक्र होकर अपने कड़क लंड को हलके हाथो से आगे पीछे पर रहा था. पोर्न फिल्म में अदाकारा लंड को अपनी बड़ी-बड़ी मम्मो के बीच पीस रही थी. उसकी मस्ती भरी सिसिकारी मेरे कानो को बहरा किये हुए थी. अब मेरे लिंग में वीर्य भर चूका था. चंद मिनटों में पानी की धार निकलने वाली ही थी की मेरे पीछे किसी के खांसने की आवाज आई. मैंने पीछे मुड़कर देखा, एक छोटी बाल्टी लिए लाली दरवाजे पर खड़ी थी. उसके चेहरे पर हैरानी के भाव थे जैसे कोई भूत देख लिया हो.
मेरे दिल की धड़कन रुक सी गयी. एक तो लंड झड़ने के कगार पर था और दूसरी तरफ लाली के देखे जाने का डर और शर्मिंदगी. दिमाग ने काम करना बंद ही कर दिया था. लाली ने देखा की मैं अभी भी खुले लंड में बैठा हूँ, वह दुबारा खांसकर मुँह पीछे घुमा ली. मैं होश में आया, जल्दी से पेंट पहनी और बाथरूम की तरफ भागा. लेकिन लंड तो लंड होता है. एक बार खड़ा हो जाये और पानी भर जाये हो किसी की नहीं सुनता, पानी बाहर निकाले नहीं मानता.
बाथरूम में जल्दी से हाथ चलाया और खुद हो झाड़ा. इतनी तेज झड़ा की पैरों में खड़े होने की ताकत तक नहीं थी. दीवार के सहारे खुद को सम्हाला और सोचने लगा की यह औरत कितनी देर से मुझे मूठ मारते हुए देख रही थी. ये इस वक्त यहाँ आई ही क्यों थी?
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