RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
लाली नज़र नीची करते हुए बोली, “क्या बीबीजी आप भी ना! हाव-भाव से किसी अच्छे घर का लगता है. मेरी क्या अब उम्र है दिल लगाने की?”
अब ठकुराईन सीधी बैठ गयी. लाली को बगल में बिठाते हुए बोली, “बहुत छुईमुई बन रही है लाजो! इस उम्र में भी तुझे कोई जवान छोरा मिले तू उसको कच्चा चबा जाएगी और उम्र की बात करती है.”
लाली हँसते हुए बोली, “क्या करूँ बीबीजी? हमलोग नाचनेवालियां है. भले पेट की भूख मिट जाती है यहाँ, लेकिन शरीर की भूख कैसे मिटे. आप भी हर तीन-चार दिन में अपने बदन की मालिश के बहाने अपना पानी झाड़ती है. इसलिए मैं बोलती हूँ बनारस जाने के लिए.”
ठकुराईन लाली के माथे पे हाथ फेरते हुए गहरी साँस ले बोली, “अब यही अपनी किस्मत है लाली.”
लाली कुछ बोलना चाहती थी लेकिन चुप रही. हवेली का सारा नज़ारा देखने-सुनने के बाद मैं काफी खुश हुआ. सिर्फ मैं ही नहीं यह लोग भी सेक्स के आकाल में जी रहे है. यहाँ बात बन सकती है लेकिन मुझे हर कदम फूंक-फूंक कर रखना पड़ेगा. थोड़ी सी मायूसी भी हुई कि अगर मैं एक घन्टे पहले आता तो ठकुराइन की बदन की मालिश देख पाता. कोई नहीं, अभी काफी दिन यहाँ ठहरना है. ऐसे मौक़े बहुत आएंगे. मैं चुपचाप वहां से अपने कमरे में चला आया.
इसके बाद चार-पांच दिन बिना किसी हलचल के निकल गया. मैं रोज़ रात को छत से हवेली को झांकता था लेकिन कोई नज़र नहीं आता. शायद यह दोनों मालिश का कार्यक्रम अन्दर बंद कमरे में करते होंगे. तो क्या सचमुच में बंगालन को मेरी जासूसी का पता चल गया? मैं बिल्कुल हताश हो गया. अगर किसी को उम्मीद दिखाकर नाउम्मीद कर दिया जाये तो बेचारे का दिल टूट ही जायेगा. मैं ऑफिस और कमरे दोनों जगह खोया खोया सा रहता था.
एक दिन आधी रात नीचे के मकानों में हो-हंगामा शुरू हुआ. मैं जाग ही रहा था. हडबडा कर नीचे उतरा. मैंने देखा की हवेली के चौकीदार ने एक आदमी को पकड़ रखा था जिसे एक किरायेदार के मकान में चोरी से घुसते पकड़ा था. पकड़ा गया चोर 25-26 साल का लड़का था जो देखने से किसी खाते-पीते घर का लग रहा था, मेरा मतलब चोर बिल्कुल नहीं लग रहा था. जिस किरायेदार के घर से पकड़ा गया था उसका कमरा बिल्कुल मेरे कमरे के नीचे था. चौकीदार ने बताया की इस मकान का किरायेदार अपनी बीवी और साली के साथ रहता है. हालाँकि वह मुंबई में काम करता है और साल में ३-४ बार ही आता है. मकान में बीवी और साली अकेली रहती है. चोर ने शायद इसी बात का फायदा उठाकर चोरी करने के इरादे से मकान में घुसा था लेकिन रात को पहरेदारी करते चौकीदार ने पकड़ लिया. काफी हंगामे के बाद उस लड़के ने सबसे माफ़ी मांगी और दुबारा ऐसा नहीं करने की कसम ली तो उसे छोड़ दिया गया. सब अपने-अपने मकानों में चले गये और मैं भी कमरे में आकर सो गया.
अगली सुबह मैं तेज़ सिरदर्द के साथ उठा. ऑफिस जाने का दिल नहीं कर रहा था लेकिन दिन भर कमरे में बैठ करता भी क्या, यह सोचकर मैं ऑफिस चला गया. ऑफिस में जल्दी काम निपटाकर मैं वापस हवेली आ गया. और दिन की अपेक्षा आज मैं जल्दी आ गया था. हवेली के आंगन में काफी चहल-पहल थी. मैं जैसे ही घुमावदार सीढ़ी के पास आया एक औरत जो पहले से वहां खड़ी थी, मुझे देख बोली, “नमस्ते साहब!”
मैंने जबाव में नमस्ते किया. मुझे यह बहुत अजीब लग रहा था. मैंने उसको गौर से देखा. साफ़ रंग और औसत लम्बाई, उम्र ३२-३५ के आसपास की होगी. फिर मुझे याद आया यह वही है जिसके घर में कल रात चोर घुसने की कोशिश कर रहा था. मैंने कहा, “कल रात चोर ने कुछ नुकसान तो नहीं किया था ना?”
वह कुछ अकचका गयी. सम्हलते हुए अपने पल्लू में हाथ झाड़ते हुए बोली, “नहीं साहब”
मैं जवाब में मुस्कुराया और सीढ़ी चढ़ते हुए अपने कमरे में आ गया. उपर से देखा वह अब भी वही खड़ी थी. मैं सोच में पड़ गया, क्या वह कुछ कहना चाहती थी मुझसे या बस एक पडोसी के नाते मुझसे बात की?
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