RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मैं कमरे के अन्दर दाखिल हुआ. कपड़े उतार कर जब मैं बाथरूम गया. नहाने के बाद अचानक खिड़की पर नज़र गयी तो पाया कि लाली छत के किनारे खड़ी मेरे कमरे की तरफ देख रही थी. मुझे बात कुछ समझ में नहीं आया. घन्टे दो घन्टे आराम करने के बाद मैं बाज़ार की तरफ निकला. आज पवनजी नहीं आये थे, मैं अकेला ही था. बगल के एक ढाबे पे खाना खाया और वापस आया. सीढ़ी के पास मैंने देखा की वह औरत खड़ी है लेकिन उसके साथ एक लड़की थी जो शायद उसकी बहन होगी. इस बार मैं बिना देखे अपने कमरे में चला आया.
आज दिन भर में जो घटा मुझे कुछ समझ में नहीं आया. खैर मैं कमरे में आया तो पाया की विवेक ने मुझे ६ बार फ़ोन किया था. मैं अपना फ़ोन कमरे में ही छोड़ गया था. मैंने वापस फ़ोन किया. पहली घन्टी में ही विवेक ने फ़ोन उठाया, “कहाँ था यार? इतनी बार तुझे फ़ोन किया.”
“माफ़ करना भाई! मैं बाहर निकला था खाने के लिए. फ़ोन कमरे में ही भूल गया था. कोई खास बात करनी थी?”
“यार, आज पार्लर से निकलने के वक़्त सोमलता तुमसे बात करना चाहती थी. इसलिए मैंने फ़ोन किया था. लगभग आधे घन्टे इंतज़ार करने के बाद वह चली गयी.”
यह सुनने के बाद मैंने जोर से एक घुंसा दीवार पर दे मारा की मेरे मुँह से “आह्ह” की आवाज़ निकल पड़ी.
“क्या हुआ यार?” उधर से विवेक ने पूछा.
मैं सदमे से बाहर आया, “भाई आज तबियत ठीक नहीं है. सोमलता को कहना मैं कल शाम ६ बजे फ़ोन करूँगा. बाय!” मैं फ़ोन रख धम्म से बिस्तर पर बैठ गया. अगर मेरे हाथ में हो तो इसी वक़्त मैं सोमलता के पास चला जाऊ. मन थोड़ा शांत होने के बाद मैं सोच में पड़ गया, “आखिर सोमलता मुझसे क्या जरूरी बात करना चाहती थी?” आज सुबह से ही मेरा दिमाग भन्ना रहा था. थक-हार कर मैं जल्दी ही सो गया.
अगले दिन जल्दी ही नींद खुल गयी. उठने के बाद याद आया कि आज रविबार है. फिर से बिस्तर पर लेट गया लेकिन नींद नहीं आ रही थी. रह-रहकर सोमलता की याद आ रही थी. आखिर ऐसी क्या बात है जो बताने के लिए सोमलता ने फ़ोन किया था? बहुत सोचने के बाद भी जब कोई सुराग नहीं मिला तो हारकर सोचना छोड़ मैं बाथरूम में मुँह-हाथ धोया, चाय बनायीं और कुछ पुरानी मैगज़ीन देखने लगा. कुछ देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई. “कौन है?” मै बिस्तर पर बैठे-बैठे चिल्लाया.
“मैं हूँ, लाली” बाहर से एक भारी आवाज आई.
मैंने घडी देखी, 7 बज रहे थे. “लाली और इतनी सुबह?” मैंने दरवाजा खोला तो लाली हाथ में बाल्टी और झाड़ू लिए खड़ी है. मुझे मुठ मारते देखने के बाद से मैं लाली से बात करने से कतराता था लेकिन उस रात को दोनों की बात सुनने के बाद मैं थोड़ा चौड़ा हो गया था.
अन्दर आकर दरवाजा बंद कर मुस्कुराते हुए बोली, “साहब, मैंने आपको नींद से जगाया तो नहीं?”
मैं सोच में पड़ गया की आज यह इतनी मीठी बात क्यों कर रही है.
“नहीं, नहीं. मैं काफी पहले उठ गया हूँ.” फिर से मैं मैगज़ीन देखने में ब्यस्त हो गया. लाली पहले कमरे में झाड़ू लगायी फिर कमरे को पोंछने लगी. मैं बिस्तर के किनारे दोनों पैर समेट बैठा था. पोंछते हुए लाली बिस्तर के पास आ गयी. उसका चेहरा मेरे सामने था. साड़ी पर पल्लू पूरा थल गया जिसके कारण ब्लाउज सामने आ गया था. मैं मेगाज़िन के ऊपर से उसकी छाती को घुर रहा था. ब्लाउज का उपरी बटन खुला था और ऊपर बैठने के कारण मैं दोनों चुचिओं के बीच की घाटी को पूरा देखा पा रहा था.
सुबह-सुबह इस नज़ारे को देख मेरा छोटा सरदार सर उठा खड़ा हो गया. जिस तरह से लाली बैठी थी, उसके कारण उसकी छाती का निचला हिस्सा दब गया और चूचियां और उभर गयी. उसके मोटे-मोटे मम्मे ब्लाउज से बाहर निकलने को उतारू थे. यहाँ तक की चूचियों की गहरी गोलाई भी नज़र आ रही थी. यह नज़ारा देख मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.
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