RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
अचानक लाली उपर गर्दन उठाई और मुझे अपनी मम्मो को घूरते हुए पाई. लेकिन वह कुछ नहीं बोली और उसी हालत में पोंछा लगाती रही. शायद वह मुझे दिखाना चाहती थी. फर्श साफ़ करने के बाद वह बाथरूम में चली गयी. दीवार पर लगी शीशे पर मैंने देखा कि वह मुस्कुरा रही थी. अब मुझे पक्का यकीं हो गया की यह सब जान-बुझकर किया गया था मुझे अपनी और खींचने के लिए, और उसमे वह कामयाब भी हुई. लेकिन अब आगे क्या?
मैं इसी सोच में खोया था कि बाथरूम के दरवाजे की खुलने की आवाज हुई. लाली मुस्कुराते हुए आ रही थी. उसने अपनी साड़ी घुटनों तक समेटी थी ताकि पैर धोने से गीली ना हो जाए. वह आकर बिल्कुल मेरे करीब बिस्तर पर बैठ गयी. मैं हैरान था, आज तक वह मेरे इतने करीब नहीं आई. मुझसे पूछा, “साहब चाय बनाऊ?”
मै बड़ी मुश्किल से बोला, “नहीं, मैंने बनाया था सुबह.”
अब लाली मेरे ओर करीब आकर मेरी और घूमके बैठ गयी. वह एक पैर को बिस्तर के ऊपर घुटने से मोड़कर बैठी जबकि उसकी दूसरी टांग बिस्तर से लटक रही थी. बैठने के कारण साड़ी घुटनों से और ऊपर उठ गयी. उसकी चिकनी केले के तने जैसे मोटे रान देख मेरी धड़कन तेज हो गयी. मेरा मन कर रहा था कि उसकी रानो को कस के मसल दूँ.
मेरी नज़रों में झांकते हुए बोली, “अच्छा साहब, कल शाम हो नीचे की कुसुम आपको क्या कह रही थी?”
“कौन कुसुम??” मैं पूछा.
“वह जो आपके मकान के नीचे रहती है ना. जिसके घर रात को चोर घुसा था.”
मुझे समझ में आया की लाली उस औरत के बारे में पूछ रही है.
“कुछ नहीं पूछी, बस नमस्ते की.” मैंने जबाव दिया. लेकिन ये क्यों जानना चाहती है.
अब लाली मेरे पास और सटकर फुसफुसाने के अंदाज़ में बोली, “बाबु, उससे दूर रहना. एक नंबर की छिनाल है साली. मर्दों को फँसाना उसका पेशा है.”
यह बात सुनकर मैं सकते में आ गया. “मतलब मैं कुछ समझा नहीं.” मैं बोला.
लाली आँख गोल-गोल बनाते हुए बोली, “अरे साहब, वह मर्दों को फँसाकर उससे पैसे ऐंठती है. उसका पति तो परदेस में ऐश कर रहा है. यहाँ ये अपनी बहन के साथ धंधा करती है. रात को जो लड़का आया था ना वह इसी दोनों का आशिक था. कोई चोर-वोर नहीं था. आप जरा बच के रहना. बात नहीं करना उस रांड से. पैसा तो गलाएगी, बदनाम करेगी सो अलग. मैं आपको आगाह कर देती हूँ.”
बात सुनकर तो मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी. और जानने के लिए मैंने पूछा, “लेकिन ठकुराईन से कहकर इसको यहाँ से निकाला क्यों नहीं?”
लाली गहरी साँस छोड़ते हुए बोली, “एक बार मैं ठाकुर साहब के साथ बनारस गयी हुई थी. उस वक़्त बीवीजी बहुत तेज़ बीमार पड़ी थी. इसने काफी सेवा की थी इसलिए ठकुराईन इसको बहुत चाहती है. मैं क्यों किसी की कान भरने जाऊ?”
मैं थोड़ा सहज हुआ. अच्छा हुआ इसने बता दिया. “लेकिन लाली, इसको मुझसे क्या मिलेगा? मैं तो उसकी तरफ देखता ही नहीं?” मैं सफाई देते हुए बोला. जबकि अभी मैं लाली की मोटी-मोटी मुम्मो को घुर रहा था.
लाली हँसते हुए बोली, “साहब, आप बड़े निरे हो. इसके जैसी औरतों की करतूत नहीं समझते हो. यह पहले आपको नमस्ते करेगी. फिर अपनी बदन की नुमाइश कर आपको अपना दीवाना बनाएगी. फिर आपको अपने जाल में फ़साएगी फिर आपना सारा फ़रमाइश निकालेगी. आप जैसी मर्दों की तलाश रहती है इनको. आप अच्छा पैसा कमाते हो, परदेसी हो, जवान हो और अकेले रहते हो. अकेले रहने पर आदमी को ठरक ज्यादा चढ़ती है. हमेशा औरत के बदन की चाहत रहती है.”
लाली के मुँह से ये बातें सुनकर मै शर्म से लाल हो गया. जो भी हो यह औरत मर्दों की हर चाल समझती है. मुझे चुप देख आंख मटकाकर बोली, “वैसे साहब, शादी तो नहीं हुई है आपकी. कोई माशूका है क्या?”
मेरी जबान से आवाज नहीं निकल रहा था. “नहीं”, बड़ी मुश्किल से मैं बोल पाया.
लाली अपना हाथ मेरे बाएं जांघ के ऊपर रख दी. मैं अन्दर ही अन्दर सिसककर रह गया. धीरे-धीरे सहलाते हुए बोली, “तो फिर उस दिन किसके नाम मुठ मार रहे थे? अपनी किसी चाची या मौसी के नाम पर?”
अब मेरी हालत हलाल होने वाले बकरे की तरह हो गयी. “धत, नहीं मैं तो ........” और कुछ बोल ही नहीं पाया. लेकिन लाली इतनी जल्दी मुझे छोड़ने वाली नहीं थी. मै बनियान और बॉक्सर पहना हुआ था. उसने बॉक्सर के अन्दर से दोनों जांघो को सहलाना शुरू किया. सहलाते हुए साथ अन्दर कमर तक ले गयी और अचानक मेरे नंगे लिंग महाराज को पकड़ ली. “
आह्ह्ह... लाली.... क्या कर रही ... हो .....” मैं झुकते हुए सिसकारी मारने लगा. लाली मेरी आँखों में देखते हुए बोली, “साहब आज लाली के नाम पर मुठ निकाल लो. सारी चाची, मौसी को भूल जाओगे. चिंता मत करो, मैं तुमसे पैसे नहीं मांगूंगी.” उसने मुझे धक्का दे बिस्तर पे लेटा दी और खुद मेरी दोनों पैरो के बीच आ गयी. मेरी बनियान को ऊपर उठाई और बॉक्सर को नीचे खिसका दी. मेरा लंड किसी स्प्रिंग के जैसे उछल कर बाहर आ गया जो लाली की चुचियों को देख एकदम कड़क हो गया था. लंड को देख लाली ने होंठो पे जीभ फेरी और अपनी मुँह को लंड के पास ले गयी जैसे की चूसने वाली हो. मैं मस्ती में आंख बंद कर लेटा था. लेकिन लाली ने ना तो लंड को चूमा ना चूसा. बल्कि ढेर सारा थूक निकाल कर लंड पर मलने लगी. दोनों हाथो से गीले लंड को आगे पीछे कर रही थी.
मैं आँख खोला तो देखा लाली बड़ी मस्ती में मेरा मुठ मर रही थी. मुझे देख बोली, “साहब, कैसा लग रहा है?”
मैं मस्ती में सातवे आसमान में तैर रहा था. “बहुऊऊऊतत मज़ा आ रहा है” मै गांड उछालते हुए बोला.
लाली मुस्कुराते हुए मुठ मारने लगी. मुझे आज तक मुठ मारने या मराने में इतना मज़ा नहीं आया था. मारे मस्ती के मैं ज्यादा देर तक अपने रस को रोक नहीं पाया और तेज़ सिसकारी के साथ झड गया. मेरे लंड की पिचकारी इतनी ऊपर उछली कि कुछ बुँदे मेरे चेहरे पर आ गिरी. लाली का गला और छाती पूरा नहा गया था मेरे लिंग के रस से जो बहते हुए उसकी मुम्मों की घाटी में बह रहा था.
कुछ सेकंड के बाद जब मैं आँख खोला तो लाली को मेरे पैरों के बीच पाया. मुझे देखते देख वह साड़ी के पल्लू से मेरा लंड साफ़ कर दी और अपना हाथ भी. फिर साड़ी ठीक कर उठ खड़ी हुई. तभी दरवाजे पर किसी की आहट हुई. मैं चौंक गया. लाली दौड़ कर दरवाजा खोली तो बाहर कोई नहीं था. लाली छत पर भागी. बापस आई तो मैं पूछा, “कौन था?”
लाली गुस्से में लाल थी. “और कौन? वही छिनाल थी. मैंने उसको सीढ़ी से नीचे उतरते देख लिया. आप फ़िक्र मर करो साहब. कुछ नहीं बिगाड़ पायेगी. आराम करो मैं जाती हूँ.” कहते हुए बाल्टी, झाड़ू लिए दनदनाते हुए निकल गयी.
मैं नंगा लंड लिए बिस्तर पर लेटा रहा और सोचने लगा कि यह मेरे साथ क्या हो रहा है? काफी देर तक मैं इसी तरह लंड खोले बिस्तर पर पड़ा रहा. फिर बाथरूम नहाने गया. बार-बार मेरे दिमाग में लाली की तंग ब्लाउज मै कैद मम्मो की तस्वीर घूम रही थी. अब तक इन नारगियों को दबाने की बात तो दूर सही से देख तक नहीं पाया था. लेकिन जब बगीचे की मालकिन हाथ में है तो नारंगी का स्वाद कभी ना कभी मिल ही जायेगा!
|