RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
लाली अभी भी गुस्से में थी, कुसुम के पास जाकर बोली, “तो इसको भी अपने जाल में फंसा ही लिया तूने. तेरी आदत नहीं जाएगी हर किसी मर्द का लंड नापने की.”
कुसुम सर झुकाए खड़ी थी. शायद कुछ बोलना चाहती थी लेकिन हिम्मत नहीं थी.
मैं लाली के दोनों कंधो को पकड़ बिस्तर पर बैठाया और सामने जमीन पर बैठते हुए बोला, “पहले मेरी बात सुनो”
लाली का गुस्सा थोड़ा कम हुआ. बगल झाकते हुए बोली, “बोलो, क्या बोलना चाहते हो”
मैं उसकी दोनों घुटनों को पकड़े बैठा था. मैंने बोलना शुरू किया, “शाम को जब तुमने कहा तुम रात को आओगी खाना लेकर तो मैं कमरे में बत्ती बुझाकर तुम्हारा इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद कुसुम खाना लेकर आई. मैंने सोचा तुम हो. मैं उसको पीछे से पकड़ लिया. बाद में पता चला की तुम नहीं ये है. बस इसके बाद यह सब हो गया.”
अब लाली बिल्कुल सामान्य हो गयी जब उसे पता चला कि मैं उसके लिए इंतज़ार कर रहा था. मेरी ओर देखते हुए बोली, “क्या करूँ साहब? बीबीजी की तबियत ठीक नहीं थी. मालिश कर रही थी, इसलिए नहीं आ पाई.” फिर कुसुम की ओर देखते हुए बोली, “लेकिन इसे तो मालूम था. इस औरत की आदत है दुसरे के मर्द पर डोरे डालने की”
इस बार कुसुम चुप नहीं रह सकी. शायद इतना संगीन झूठा इलज़ाम कोई भी औरत बर्दास्त नहीं करेगी. वह बोल पड़ी, “दीदी, आप उसी पुरानी बात को लेकर बैठी है. मेरा और पवनजी के बीच में कुछ नहीं था और ना ही मैंने उसपर कोई डोरी डाली थी. खुद उसकी बुरी नज़र मुझपर थी. एक दिन मेरे घर में घुसकर मेरे साथ जबरदस्ती करने लगे. मुझे नंगी कर मसलने लगे. लेकिन किस्मत से उस दिन एमसी चल रहा था इसलिए छोड़कर भाग
गया. मैं आपको बोलने ही वाली थी कि उसने पहले जाकर मेरी शिकायत कर दी. अब इस अकेली औरत की कौन सुनता है?” बोलते बोलते कुसुम की आँखें गीली हो गयी.
लाली अब भी उसको घूरे जा रही थी.
कुछ देर बाद कुसुम बोली, “मुझे पता था कि आपका ब्याह पवनजी के साथ होना है. यह जानकर मैं आपको धोखा कैसे दे सकती हूँ? आपलोगों ने हमको ठिकाना दिया है” बोलते बोलते बेचारी रो पड़ी. मुझे अब समझ में आया की पवनजी लाली से इतना कतराते क्यों है. यह पवन तो बहुत पहुंची हुई चीज़ है!
लाली का दिल अब पिघल गया था. वह कुसुम को बाँहों में जकड़कर बोली, “हमको माफ़ कर दे कुसुम. ग़लतफ़हमी के कारण तुमसे बहुत गन्दा बर्ताव किया. यह सब मर्द होते ही ऐसे है. एकदम भूखे भेड़िये!!!” और मेरी तरफ देख मुस्कुराने लगी.
मैं चुपचाप रहा. वह कुसुम को पकड़ कर बिस्तर पर बिठाई और बोली, “अच्छा, यह बता साहब का लंड कैसा लगा?”
कुसुम थोड़ा शरमाते हुए बोली, “अभी तक हमने ठीक से देखा नहीं हैं”
लाली चौंकते हुए बोली, “हें! अभी तक साहब ने तुमको चोदा नहीं. क्या साहब डर लग रहा है क्या?”
मैं भी तैश में आ गया, “डर किस बात का? अभी तुम्हारी जैसी दस को चोद दूँ. मौका ही नहीं मिला लंड डालने का.”
लाली के होंठो पे शैतानी मुस्कान आ गयी. बोली, “अच्छा जी, बड़ा घमंड है अपने आप पर”
मैं कुछ नहीं बोला. इस बीच कुसुम बहुत असहज महसूस कर रही थी. वह उठी और अपने कपड़े समेटते हुए बोली, “आप लोगो को जो करना है करो मैं जाती हूँ. दीदी मुझे माफ़ कर दो.”
उसको जाते देख लाली हडबडा गयी और जल्दी से उसको पकड़ कर बोली, “अरे पगली क्यों हमको और शर्मिंदा कर रही है. ये साहब ना तो मेरा पति है ना मैं इसकी बीवी. चल आ मिल के मजे लेते है.”
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