Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 12:56 PM,
#8
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब अपनी अम्मी को उठते हुए देख कर डर गया और तेजी से भागता हुआ अपने कमरे में घुस गया। उसका लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा हुआ था।

शादाब ने जल्दी से एक चादर उठाई और अपने जिस्म पर डालकर लेट गया जबकि डर और जल्दबाजी की वजह से उसका पायजामा अभी तक खुला ही पड़ा हुआ था। शहनाज़ कमरे से बाहर निकली जिसकी आंखो में अभी भी खुमारी छाई हुई थी। लड़खड़ाते कदमों के साथ वो बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी तभी उसकी नज़र अपने बेटे के खुले हुए दरवाजे से आती हुई रोशनी पर पड़ी तो हल्के गुलाबी रंग की रोशनी में उसे अपने बेटे का चांद सा चमकता हुआ चेहरा नजर आया। उसे अपने बेटे पर बहुत प्यार आया और उसके कदम अपने आप शादाब के कमरे की तरफ बढ़ गए। उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था और गला सूख गया था। जैसी ही वो कमरे के अंदर घुसी तो वो अपने बेटे के चेहरे के पास पहुंच गई और उसके चेहरे को हाथो से सहलाने लगी। उसका जिस्म पूरी तरह से कांप उठा और उसे लगा कि अगर उसका बेटा जाग गया तो उसे इस हालत में देख कर क्या सोचेगा , ये ख्याल मन में आते ही उसका जिस्म पसीने से नहा उठा और उसने आगे होकर अपने बेटे के माथे को चूमने लगी।

शादाब जाग रहा था और अपनी अम्मी को आते देखकर अपनी आंखे बंद करके लेट गया था। जैसे ही शहनाज़ के नाजुक रसीले होंठों का एहसास उसे अपने माथे पर हुआ तो उसकी हालात खराब होने लगी। शादाब की गर्म गर्म सांसे अब शहनाज़ की गर्दन पर पड़ रही थी जिससे फिर से उसका जिस्म सुलगने लगा। उसने अपने बेटे के एक हाथ को पकड़ लिया और उस पर हाथ फेरने लगी। उफ्फ कितना बड़ी और चौड़ी हथेली थी सचमुच उसके बेटी की। शहनाज़ की गांड़ अपने आप थिरक उठी मानो अपने बेट के हाथ में जाने के लिए तड़प रही हो। शहनाज़ को तभी लगा कि वो गलत कर रही है उसे अपने सगे बेटे के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर उसका बेटा जाग गया तो वो उसे मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी, तभी उसके जिस्म में दूसरा ख्याल आया कि बेटा हैं तो क्या हुआ, बिल्कुल मेरे सपनो के शहजादे जैसा हैं। मैंने तो अपने महबूब के रूप में ऐसे ही मर्द की कल्पना करी थी।

उसके अंदर विचारो की जंग चलती रही और अंत में उसके दिमाग की जीत हुई और उसने अपने बेटे के कमरे से बाहर जाने का फैसला किया। जैसे ही वो पलटी उसकी नजर शादाब की चादर में बने हुए उभार पर पड़ी तो उसकी सांसे जैसे रुक सी गई और आंखो हैरानी से फैलती चली गई। चादर उसके जिस्म से कम से कम आठ इंच से ज्यादा उपर उठी हुई थी जिसे देखकर शहनाज़ अपनी पलके तक झपकाना भूल गई। उसने हालाकि आज तक लंड नहीं देखा था क्योंकि अपने पति का लंड भी उसने बस बार ही उसके जिद करने पर हाथ में लिया था लेकिन वो तो उसके बेटे के सामने आधा भी नहीं लगा था। लंड को महसूस करते ही उसके बढ़े हुए कदम जैसे जाम से हो गए और उसकी चूचियां फिर से तनकर खड़ी होते हुए उपर नीचे गिरने लगीं।

उसने एक बार अपने बेटे की तरफ देखा तो शादाब अपनी आंखे बंद किए हुए लेटा हुआ था जिससे शहनाज़ के नाजुक होंठो पर एक कातिल मुस्कान अा गई और उसके कदम शादाब के पैरों की तरफ बढ़ चले।

चार कदम का फासला तय करने में शहनाज को बहुत समय लगा क्योंकि उसकी सारी शर्म लिहाज उसे रोक रही थी। आखिरकार वो अपने बेटे की टांगो के बीच पहुंच गई। शादाब का जिस्म पूरी तरह से मचल रहा था। शहनाज़ ने मन बना लिया था कि आज वो कम से कम एक बार जरूर अपने बेटे के लंड को हाथ से छुवेगी। उस बेचारी को क्या मालूम था कि अंदर उसके बेटे का लंड पुरी तरह से नंगा थे। उसने धड़कते दिल के साथ उसकी चादर को पकड़ लिया और जैसे ही चादर हटाई तो उसकी आंखो के सामने शादाब का लंड उछल कर बाहर आ गया जिसे देखते ही उसकी आंखे शर्म से बंद हो गई और उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी

" हाय अल्लाह, ये क्या आफत हैं इतना लंबा मोटा !!

शहनाज़ ने आज पहली बार लंड देखा और वो भी अपने बेटे का ये सोच कर उसकी चूत गीली होने लगी और चूचियों के निप्पल अकड़ से गए। शादाब ने धीरे से अपनी अम्मी के चेहरे को देखा जो कि डर के मारे पसीने से भीग कर कांप रहा था और उसकी जीभ बार बार उसके सूखे होंठो पर घूम रही थी। शहनाज़ को लंड की पहली झलक दीवाना बना गई और उसके मन में फिर से लंड देखने की तमन्ना जाग उठी लेकिन शर्म के मारे आंखे नहीं खुल पा रही थी। आखिर कार उसने अपनी पूरी हिम्मत जुटा कर अपनी आंखे खोल दी और उसकी आंखे फिर से लंड पर टिक गई। शहनाज़ सब कुछ भूल कर एकटक लंड को देखने लगी तो उसे एहसास हुआ कि लंड लंबा होने के साथ साथ बहुत ज्यादा मोटा भी हैं। उसने एक बार अपने हाथ की कलाई की तरफ देखा और फिर से लंड को निहारा तो लंड सच में उसकी कलाई से भी बहुत ज्यादा मोटा था। लंड का टेनिस बॉल के आकार का सुपाड़ा लाल सुर्ख होकर दहक रहा था मानो किसी ने उसे पूरा गुस्सा दिलाया हुआ था। शहनाज़ उस लंड को कम से कम एक बार छूने का लालच अपने मन से नहीं निकाल पाई उसके हाथ अपने हाथ उसके बेटे के लंड की तरफ बढ़ गए। जैसे ही उसके हाथ लंड के सुपाड़े से टच हुए तो उसकी चूत ने अपना रस छोड़ दिया और वो चीखते हुए एक बार फिर से झड़ गई और उसने जोर से अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को कसकर दबा दिया लेकिन उसे हैरानी हुई कि लंड का सुपाड़ा बिल्कुल भी नहीं दबा और उसने लंड का घमंड तोडने के लिए पूरी ताकत झोंक कर सुपाड़ा दबा दिया तो शादाब के होंठो से दर्द भरी आह निकल पड़ी तो शहनाज़ की सारी वासना उतर गई और वो डर के मारे तेजी से अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ी।

शादाब की आंखे खुल गई और उसने अपनी अम्मी की उछलती हुई गांड़ देखी तो अपना दर्द भूल कर गांड़ को देखने लगा। शहनाज़ अपने कमरे में घुस गई और अपनी सांसे दुरुस्त करने लगी। उसका दिल किसी बुलेट ट्रेन की गति से दौड़ रहा था और वो अपने आप पर यकीन नहीं कर पा रही थी कि उसने अपने बेटे का लंड ना सिर्फ देखा बल्कि हाथ में भर कर दबा भी दिया था। डर के मारे उसकी हालत खराब थी और वो आंखे बंद करके अपने किए पर पछतावा कर रही थी और उसने फैसला किया कि वो अब अपने बेटे से दूरी बनाकर रखेगी।इन्हीं ख्यालों के साथ कब उसे नींद आ गई पता नहीं चला और शादाब भी अपने खड़े हुए लंड को हाथ में लिए हुए ही सो गया।

अगले दिन सुबह मस्जिद में अजान की आवाज सुनकर शहनाज़ की नींद टूट गई और तेजी से उठ कर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। जल्दी ही ठीक से गुस्ल किया और नमाज पढ़ने लगी। नमाज़ पढ़ने के बाद उसने ढेर सारी दुवाएं मांगी और अपने बेटे की खुशी मांग कर चाय बनाने के लिए किचेन में घुस गई क्योंकि उसके सास ससुर को सुबह नमाज़ के बाद चाय पीने की आदत थी। चाय बनाते हुए उसकी आंखो के आगे रात हुई घटनाए एक के बाद घटनाए किसी फिल्म की तरह चलने लगी । रात उसने अपने जिस्म से पूरी तरह से काबू खो दिया था ये सोचकर वो शर्म के मारे दोहरी हो गई। किस तरह उसने खुद ही अपनी मैक्सी उतार फैंकी थी और ऐसा पहली बार हुआ था कि उसने खुद अपनी चूत सहलाई थी। ये सब सोच सोच कर उसके गाल गुलाबी हो उठे और जैसे ही उसे अपने बेटे का लंड याद आया तो उसकी सांसे तेजी से चलने लगी और डर के मारे उसका गला सूख गया। कितना गर्म था उसका लंड और मोटा तो किसी घोड़े के जैसे था, सुपाड़ा आगे से कितना ज्यादा मोटा था मानो सूज कर इतना मोटा हुआ हो। लंड की याद आते ही उसे याद आया कि उसने कितनी बेदर्दी से उसके लंड को मसल दिया, उफ्फ उसका बेटा कैसे दर्द से कराह उठा था। मेरी किस्मत भी अजीब हैं कि लंड भी सबसे पहले देखा तो अपने सगे बेटा का। उसे अपने बेटे की बड़ी फिक्र हुई और उसके कदम एक बार फिर से शादाब के कमरे की तरफ बढ़ गए। खुले गेट से उसने देखा कि उसका बेटा आराम से सोया हुआ था लेकिन लंड अभी तक खड़ा हुआ था शायद पेशाब के दबाव के कारण अकड़ गया था। तभी उसने देखा कि नींद में ही उसका बेटा मुस्कुरा उठा तो उसे खुशी हुई कि उसका बेटा ठीक है। उसके दिल को बहुत सुकून मिला और वो वापिस किचन की तरफ अाई तो देखा कि सारी चाय उबल कर निकल गई थी। उसे दुख हुआ क्योंकि आज पहली बार उसकी ज़िंदगी में ऐसा हुआ था कि चाय बाहर निकली हुई। खैर उसने दुखी मन से दोबारा चाई बनाई और ट्रे में लेकर नीचे पहुंच गई।
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक - by desiaks - 10-08-2020, 12:56 PM

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