Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 01:01 PM,
#20
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ शर्म से पानी पानी हो गई तो शादाब थोड़ा सा आगे को हुआ जिससे उसका लंड पूरी तरह से शहनाज़ की कमर से सट गया और उसने अपनी अम्मी का हाथ पकड़े हुए अपना हाथ नीचे झुकाया और शहनाज़ ने मूसल को उठा लिया। शादाब ने मूसल को तेजी से नीचे की तरफ मारा तो वो एक झटके के अंदर घुस गया, जितनी जोर से मूसल अंदर घुसा इतनी ही जोर से शादाब का लंड शहनाज की कमर पर लगा जिससे शहनाज़ के जिस्म को एक तेज झटका लगा जिससे उसकी चूचियां रबड़ की बॉल की तरह उछली और शादाब के मुंह से जा टकराई जिससे दोनो मा बेटे के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी। फिर क्या था देखते ही देखते शादाब ने पूरी स्पीड पकड़ ली और बिजली की गति से मूसल अंदर बाहर होने लगा। शहनाज़ फैसला नहीं कर पा रही थी कि उसके बेटा का लंड ज्यादा ठोस हैं या मूसल क्योंकि जैसे ही लंड उसकी कमर पर लगता तो एक झटके के साथ वो आगे को झुक जाती और जैसे ही मूसल बाहर आता था तो वो शादाब के हाथ के साथ साथ थोड़ा सा पीछे को खींच जाती। जब भी मूसल अंदर की तरफ घुसता तो औखलीं से घरर घरर की आवाज निकलने लगती। शहनाज़ को लग रहा था जैसे ये धक्के औखलीं में नहीं बल्कि उसकी चूत में पड़ रहे हैं इसलिए उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और शर्म लिहाज छोड़कर अपनी एक अंगुली को अपनी जांघो के बीच में घुसा दिया और अपनी चूत को सलवार के ऊपर से रगड़ने लगी। मूसल के हर झटके पर शहनाज़ के हाथ तेजी से उपर नीचे हो रहे थे जिसका नतीजा ये हुआ कि आगे से उसके सूट का गला चरर की आवाज करते हुए फट गया जिससे उसकी काले रंग की ब्रा में कैद चूचियां पूरी तरह से खिल उठी। मूसल के शोर के कारण और मस्ती में डूबी हुई होने के कारण शहनाज़ को इसका आभास नहीं हुआ क्योंकि उसका पूरा ध्यान तो अपने कमर पर पड़ रहे अपने बेटे के लंड और औखली से निकलती हुई आवाज पर था। उसे लग रहा था जैसे ये औखली की नहीं बल्कि उसकी चूत की आवाज हैं। मसाला तो कब का कुट चुका था और हर झटके पर मसाला बाहर गिर रहा था जिसकी दोनो मा बेटे को खबर नहीं थी। अम्मी की चूचियां देखते ही शादाब सब कुछ भूलकर पूरी ताकत से मूसल को ठोकने लगा। अपने बेटी के लंड की कमर पर पड़ती मार की वजह से वो अपनी जगह से कम से कम दो फुट खिसक चुकी थी। शादाब अपनी अम्मी के कान में बहुत सेक्सी आवाज में बोला:"

" मूसल लंबा मोटा ठोस होने से कुछ नहीं होता, उससे ठोकने के लिए दम भी होना चाहिए।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ की सांसे पूरी तरह से बेकाबू हो गई और उसने जोर से अपनी क्लिट को दबा दिया जिससे उसके मुंह से एक तेज मस्ती भरी सिसकी निकल पड़ी जिसे सुनकर शादाब ने अपनी जीभ को अपनी अम्मी की चूचियों पर फेर दिया तो शहनाज़ ने अपनी चूत को जोर से मसल दिया और उसका पूरा बदन अकड़ता चला गया और उसके मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी सिसकी निकल पड़ी

" हाय अल्लाह मर गई मैं तो, उफ्फ आह मा बचा ले मुझे एसआईआईआईआईआई आह नहीं आईआईआई हाय सीई उफ्फ

शहनाज़ का शरीर एक दम बेजान सा होकर पीछे झुक गया जिससे शादाब का मुंह पूरी तरह से अपनी अम्मी की चुचियों में घुस गया। शादाब से ये कामुक और मस्ती भरा एहसास बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने पूरी ताकत के साथ मूसल को जोर से औखली में ठोक दिया। जितनी जोर से मूसल औखलि में घुसा उससे कहीं ज्यादा जोर से शादाब का लंड आगे की तरफ आया और शहनाज़ की कमर में घुसा। शहनाज़ एक बार फिर दर्द से कराह उठी और उसने दर्द को दबाने के लिए अपने बेटे के हाथ को पूरी जोर से दबा दिया। इस धक्के के साथ ही शादाब के लंड ने अपने वीर्य की पहली बरसात अपनी अम्मी की कमर पर दी। शादाब इस एहसास से पूरी तरह से बहक गया और शादाब ने मस्ती में आकर अपनी अम्मी की चूची के उभार पर दांत गडा दिए और उसके ऊपर ढेर हो गया जिससे शहनाज़ उसके भारी भरकम शरीर का वजन नहीं झेल पाई और आगे की तरफ गिर पड़ी और शादाब भी कटे हुए पेड़ की तरह अपनी अम्मी की कमर पर गिर गया जिससे एक बार फिर से शहनाज़ के होंठो से आह निकल पड़ी।

शहनाज़ की चूत से अभी भी गर्म गर्म रस निकल रहा था और वो अपनी दोनो आंखे बंद किए हुए पूरी तरह से मदहोश पड़ी हुई थी। शादाब के लंड से निकलता हुआ वीर्य शहनाज़ की कमर को हल्का हल्का भिगो रहा था और वो अभी भी मस्ती में डूबा हुआ अपनी अम्मी की गर्दन जीभ से चाट रहा था जिससे शहनाज़ एक अलग ही मस्ती महसूस कर रही थी। थोड़ी देर के बाद जैसे ही उसकी चूत से रस टपकना बंद हुआ तो अपनी हालत का एहसास हुआ तो वो शर्म के मारे लाल हो गई और उसकी नजर औखली पर पड़ी जो कि पास में पड़ी हुई थी और उसमें से सारा मसाला कूटकर जमीन पर बिखर गया था और औखली पूरी तरह से खाली पड़ी हुई थी जिसका मूसल की मार से डिजाइन बिगड़ गया था। उसने धीरे से अपनी चूत को छुआ तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत से सारा रस बहकर जमीन पर बिखर गया था और उसकी चूत औखलीं की तरह से एक दम खाली हो चुकी थीं। उफ्फ मेरा बेटा ऐसे ही मेरी चूत की भी हालत औखली की तरह बिगाड़ देगा ये सोचते ही वो एक बार फिर से कांप उठीं।

अब उससे अपने शरीर पर अपने बेटे का भारी भरकम शरीर बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए बोली:"

" बेटा हट जा मेरे उपर से मुझे बहुत वजन लग रहा है , उफ्फ कितना तगड़ा है तू!

शादाब अपनी अम्मी की बात सुनकर उसके उपर से हट गया और जैसे ही शहनाज़ खड़ी हुई तो पहली बार उसकी नजर अपने फटे हुए सूट से बाहर झांकती अपनी ब्रा पर पड़ी जिसमे से उसके चूचियां आधे से ज्यादा बाहर झांक रही थी। शहनाज़ शर्म के मारे जमीन में गड़ गई और उसने दोनो हाथो से अपना मुंह ढक लिया और बोली:"

" उई मा, ये क्या हो गया,उफ्फ

शहनाज़ तेजी से भागती हुई अपने कमरे में घुस गई।

शहनाज़ अपने कमरे में घुस गई और शर्म के मारे उसका समूचा जिस्म पूरी तरह से हिल रहा था। उफ्फ ये क्या हो गया शादाब क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में। उसकी नजर अपनी चुचियों के उभार पर पड़ी तो उसने देखा कि उसकी चूचियां कितनी खूबसूरत और ठोस हैं इस उम्र में भी। अपनी चूचियों को ललचाई नज़रों से देखते उसका एक हाथ अपने आप उन पर पहुंच गया तो उसे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां पूरी तरह से भीगी हुई थी तो उसे एक झटका सा लगा और धुंधला धुंधला याद आने लगा कि उसका बेटा उसकी चूचियों के बीच में अपनी जीभ फिरा रहा था। ये याद आते ही शहनाज़ की सांसे शर्म के मारे थम सी गई और उसने एक अपनी गोलाईयों को अच्छे से छूकर देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसके बेटे ने पूरी मस्ती से अपनी जीभ से उन्हें चाटा हैं।

शहनाज़ ने जैसे ही अपनी गोलाईयों को ध्यान से देखा तो उसे एक हल्का सा निशान दिखाई दिया तो उसने हल्का सा हाथ फेरकर देखा तो उसे बहुत अच्छा मीठा मीठा दर्द महसूस हुआ। उफ्फ इस कमीने शादाब ने तो मेरी चुचियों पर अपने दांत भी गड़ा दिए हैं ये सोचकर शहनाज़ अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठी।

शहनाज़ को अपनी कमर पर कुछ गीला गीला महसूस होने लगा तो उसका एक हाथ उत्सुकतावश उसकी कमर पर पहुंच गया तो उसने देखा कि सचमुच उसकी कमर भीगी हुई है तो उसने अपनी उंगलियों को अच्छे से अपनी कमर पर घुमाया तो उसकी उंगलियां काफी हद तक गीली हो गई और वो ये देखने के लिए कि उसकी कमर पर क्या लगा था अपनी उंगलियां अपनी आंखो के सामने लाकर देखने लगी। उफ्फ ये क्या हैं सफ़ेद सफ़ेद सा इतना गाढ़ा मेरी कमर पर कहां से लग गया। शहनाज उसे गौर से देखने के लिए थोड़ा सा और अपनी आंखो के पास लाई तो एक कस्तूरी जैसी मस्त खुशबू का एहसास उसे हुआ तो वो मस्ती से भर उठी। उफ्फ कितनी अच्छी खुशबू आ रही है इसमें से, मैं मदहोश होती जा रही हूं। अगर सूंघने से ही इतना अच्छा है तो ये कितना स्वादिष्ट होगा, उसके मन में सबसे पहले यही सवाल आया कि क्या मुझे इसका टेस्ट करना चाहिए ये सोचते ही उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई। उफ्फ पता नहीं क्या होगा ऐसे ही किसी चीज को चाटना अच्छा नहीं होगा ये सोचकर उसने अपना विचार बदल दिया। लेकिन एक बार फिर से अच्छे से सूंघने की इच्छा हुई तो उसने अपनी कमर को अपनी उंगलियों से अच्छे से रगड़ा तो उसे अपनी कमर पर दर्द का एहसास हुआ तो उसकी आंखो के आगे वो दृश्य तैर गया जब उसके बेटा का लंड औखली में घुसते मूसल के साथ उसकी कमर को ठोक रहा था। लंड के उस कठोर स्पर्श को याद करते ही शहनाज के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। कमीना कहीं का मसाले के साथ साथ मेरी कमर को भी कूट दिया। शहनाज़ अपनी बेटी की ताकत की कायल हो गई और उसने अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए उन्हें शुक्रिया बोला क्योंकि इनका दूध पीकर ही वो इतना ताकतवर बना था।

शहनाज़ ने रेडीमेड मसाले निकाले और सब्जी बनाने के लिए किचेन में घुस गई। आज वो बहुत दिनों के बाद इतनी ज्यादा खुश थी और हल्की आवाज में मधुर गीत गुनगुनाती हुई अपना काम कर रही थी।

दूसरी तरफ शादाब अभी तक अपने पहले स्खलन के एहसास में डूबा हुआ था। उफ्फ उसे रह रह कर अपनी अम्मी की गोरी चिकनी चूचियां याद आ रही थी, उफ्फ कितनी सुंदर लग रही थी वो, अम्मी कैसे मस्ती से मेरे साथ मसाला कूट रही थी।

तभी उसे फर्श पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उसने हाथ फेर कर देखा तो उसकी उंगलियां अपनी अम्मी के रस से भीग गई। शादाब को याद आया कि यहां तो उसकी अम्मी बैठी हुई थी तो क्या ये उनके अंदर से निकला हैं। उसने सोचा उफ्फ आज मेरा भी कितना सारा दूध सा कुछ निकला हैं तो क्या अम्मी के अंदर से भी ऐसे ही निकलता हैं। उसने उंगली को अपनी नाक के पास किया और सूंघने लगा तो उसे बहुत अच्छा लगा और उसने उसे टेस्ट करने के लिए अपने मुंह में अपनी उंगली को घुसा लिया।एक खट्टे खट्टे तेज नमकीन स्वाद से आज उसका परिचय हुआ जो उसे बहुत स्वादिष्ट लगा और ज्यादा चूसने का लालच उस पर सवार हो गया। शादाब सोच रहा था कि अब अम्मी क्या सोच रही होगी मेरे बारे में!! जोर से मसाला कूटने के चक्कर में उनका सूट भी फाड़ दिया मैंने और सारे मसाले का भी सत्यानाश कर दिया। कहीं अम्मी मुझे डांटने ना लग जाए, शादाब हल्का सा डर गया और अम्मी का मूड चेक करने के लिए बाहर निकला तो उसके कानों में शहनाज़ के गीत की मधुर आवाज सुनाई पड़ी तो उसे कुछ सुकून मिला और वो वापिस अपने कमरे में आ गया और फर्श पर पड़ा हुआ मसाला साफ करने लगा।

थोड़ी देर में खाना बन गया। शादाब नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया था और जल्दी ही नहाकर बाहर आ गया और अपने कमरे में घुस गया। शहनाज़ ने खाना बनाने के बाद शादाब को आवाज लगाई तो वो डरता हुआ अपनी अम्मी के पास पहुंच गया।

उसे देखकर शहनाज भी थोड़ी शर्म महसूस कर रही थी लेकिन उसका डर देखकर उसकी हिम्मत बढ़ गई और बोली:"

" शादाब खाना बन गया है इसलिए नीचे ले जाने में मेरी मदद करो। तुम्हारे दादा दादी को खाना खिलाना हैं नहीं तो वो आवाज लगाने लगेंगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा बिल्कुल भी बेटा।

शादाब अपना मुंह नीचे किए ही आगे बढ़ा और खाना लेकर नीचे की तरफ चल पड़ा तो उसके साथ ही शहनाज़ भी गरम गरम रोटी लेकर उसके साथ ही चल पड़ी। नीचे जाकर उहोंने खाना सजा दिया तो उसके सास ससुर खाना खाने लगे। जैसे ही ससुर ने पहला निवाला खाया तो उसे एहसास हो गया कि आज आज खाने का टेस्ट कुछ अलग हैं इसलिए बोला:"

" बेटी आज खाने का टेस्ट कुछ अलग हैं इसमें से कुटे हुए मसालों की खुशबू नहीं आ रही हैं।

शहनाज़ और शादाब दोनो के दिल एक साथ धड़क उठे और उन्होंने चोर निगाहों से एक दूसरे की तरफ देखा और शहनाज़ बोली:" अब्बा दर असल वो औखली नहीं मिली थी, सफाई करते हुए याद नहीं रहा कहां रख दी थी मैंने, मैं शाम तक पक्का ढूंढ़ लूंगी और शाम को सब्जी में कुटे हुए मसाले ही इस्तेमाल करूंगी।

ससुर:" ठीक है बेटी, दर असल आदत सी बन गई हैं इसलिए उसके बिना खाना अच्छा नहीं लगता मुझे।

शादाब:" आप फिक्र ना करे दादा जी, मैं खुद अम्मी के साथ मिलकर औखली ढूंढ़ लूंगा।

शहनाज़ अपने बेटे की इस बात से बुरी तरह से लजा गई क्योंकि औखली सुनते ही उसे अपनी चूत याद आ गई। उफ्फ कमीना कैसे अपने दादा जी के आगे ही ऐसी बात कर रहा है।

शहनाज़ ने जल्दी से कहा:"
" औखली तो मिल गई थी बेटा मूसल नहीं मिला था। इसलिए मसाला नही कुट पाया था!
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक - by desiaks - 10-08-2020, 01:01 PM

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