Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 01:48 PM,
#28
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब अपनी अम्मी को गोद में भर कर नाच रहा था। शहनाज़ उसके कान खींचते हुए बोली:"

" अब कुछ बताएगा भी कि हुआ क्या हैं मेरे राजा?

शादाब :" अच्छा एक बात बताओ, आपका शहर जाने का घूमने का मन करता हैं या नहीं ?

जैसे शादाब ने शहनाज की दुखती हुई रग पर हाथ रख दिया था, इसलिए वो उदास होकर बोली :"

" बेटे मैं तो शादी के बाद से आज तक शहर नहीं गई, पहले बहुत मन करता था घूमने के लिए, लेकिन ये सब एक सपना बनकर रह गया है, लेकिन तू ये सब क्यों पूछ रहा हैं?

शादाब अपनी अम्मी के गाल चूम कर बोला:"
" अपनी दोस्त उसी सपनो के पूरा करने के लिए, मैंने दादा दादी जी से बात कर ली हैं, आप जल्दी से उनके लिए कुछ बनाओ और तैयार ही जाओ।

शहनाज खुशी से चहकते हुए उसका हाथ चूम लिया और बोली

" ये तो बहुत खुशी की बात हैं मेरे राजा, अच्छा तू इसलिए ही चाय लेकर नीचे गया था , अब समझी, मैं जल्दी से उनके लिए देशी घी का हलवा बना देती हूं, फिर चलते हैं।

शादाब उसका एक हाथ थोड़ा जोर से दबाते हुए:"

" हमे भी खिला दी कभी देशी घी का हलवा, अपने राजा से क्या दुश्मनी हैं तुम्हारी ?

शहनाज़ को उसके दबाने से हल्का सा दर्द महसूस हुआ और उसकी छाती हौले हौले मारती हुई बोली :"
" तेरे अंदर तो पहले ही सांड जैसे ताकत हैं, अगर देशी घी का हलवा तुझे खिला दिया तो तू तो अगली बार मसाले के साथ औखली को भी कूट देगा,

इतना कहकर शहनाज़ ने शर्म के मारे अपना मुंह उसके सीने में छुपा लिया ।

शादाब:" आय हाय इतनी शर्म, अच्छा जल्दी से हलवा बना दो आप, फिर चलते हैं!

शहनाज़ उसे उलाहना देते हुए बोली :" पहले मुझे नीचे उतारेगा तभी तो हलवा बनाऊंगी, इतनी भारी हूं फिर भी गुड़िया की तरह उठा लेता हैं मुझे !!

शहनाज़ ने उसे धीरे धीरे नीचे उतार दिया और बोला:".

" किसने कहां आप भारी हो, आप एक दम नाजुक हो किसी गुड़िया की तरह।

शहनाज़ उसकी बात सुनकर हंसते हुए बोली:" जब देखो झूठी तारीफ करता रहता हैं मेरी, तुम भी तैयार हो जाओ।

इतना कहकर वो किचेन में घुस गई और दूध गर्म करके एक थरमस में भर लिया और जल्दी दे हलवा तैयार कर लिया। उसे खुद पर हैरानी हो रही थी कि उसने इतनी जल्दी सब कुछ कैसे बना दिया। फिर वो तैयार होने के लिए कमरे में अा गई और तैयार होने लगी। उसने एक एक हल्के गहरे रंग का सूट पहन लिया और फिर अपने चेहरे का मेक अप करने लगी। उसने अपने बालो को खुला छोड़ दिया

शहनाज़ ऐसे ही अपने बेटे के रूम की तरह जाने लगी। शादाब उसे देखते ही बोला "

" क्या बात हैं बहुत सज ढक गई हो, आज किस पर बिजलियां गिराने का इरादा है ?

शहनाज एक दम से लजा गई और बोली:"

" मुझे तो तेरे सिवा कोई और नजर नहीं आता यहां मेरे राजा?

शादाब मुस्कुराते हुए उसकी तरफ बढ़ा और बोला:"

" हम तो पहले ही आपके दीवाने हो गए हैं मल्लिका ए हुस्न, अब जान ही ही ले लोगी क्या ?

शहनाज़ ने अपनी एक उंगली को अपनी बेटे के होंठो पर रख दिया और उसे चुप रहने का इशारा करके उससे लिपट गई। शादाब ने भी अपनी अम्मी को अपने गले से लगा लिया और बोला:"

" चले फिर?

शहनाज़ ने अपना बुर्का निकाला और उसे औढ़ने लगी तो शादाब की हंसी छूट गई और बोला:"

" अम्मी आप बिना बुर्के के ज्यादा खूबसूरत लगती हो, रहने दो ना बुर्का !

शहनाज़ उसकी तरफ थोड़ा नाराजगी से देखते हुए:"

" मेरे साथ खुद भी मार खाएगा क्या, आज तक बिना बुर्के के मैंने चौखट के बाहर कदम नहीं रखा।

और इतना कहकर उसने अपना बुर्का पहन लिया और दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़े नीचे की तरफ चल पड़े। दादी दादा के पास जाने से पहले ही शादाब ने शहनाज़ का हाथ छोड़ दिया और शादाब ने हलवा और दूध का थार्मास दादा जी को से दिया और फिर शादाब गाड़ी निकालने चला गया।

दादी :" बेटी अच्छा हुआ शादाब को कॉलेज का कुछ काम पड़ गया इसके बहाने तू भी शहर घूम आएगी और हमे भी कुछ नए कपड़े मिल जाएंगे।

शहनाज़ को अब जाकर सारी बातें समझ अाई कि उसके बेटे का कॉलेज का कुछ काम है इसलिए वो शहर साथ में उसे भी घूमने ले जा रहा है।

तब तक शादाब कर लेकर गेट पर अा गया और शहनाज़ आगे बढ़ते हुए उसके बैठ गई।

दादी चिंतित होते हुए:"

" बेटा थोड़ा आराम से ही जाना और जल्दबाजी मत करना, तेज गाड़ी मत चलाना बेटा ।

शादाब अपनी दादी की बात मानते हुए उन्हें एक स्माइल देकर आगे बढ़ गया। गाड़ी गांव के रास्ते को पर करती हुई मुख्य रोड पर अा गई और शहर की तरफ चल पड़ी।

शहनाज़ आज अपने आपको दुनिया की सबसे खुश नसीब मा समझ रही थी कि उसका बेटा उससे इतना प्यार करता । उससे लग रहा था मानो उसका बेटा नहीं बल्कि उसके सपनों का शहजादा सपनो से बाहर निकल आया हैं।

शादाब अपनी अम्मी की तरफ देखते हुए बोला:"

" अम्मी आप खुश तो हो ना अपने दोस्त के साथ घूमने आकर!!

शहनाज़ ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए उसका हाथ अपनी हाथ में भर लिया और बोली:"

" बहुत ज्यादा मेरे राजा, शुक्रिया मेरे दोस्त मेरी ज़िन्दगी में आने के लिए ।।

शादाब उसकी तरफ स्माइल देकर:"

" अम्मी अब आप ये बुर्का उतार दीजिए ना, ये आप पर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा हैं

शहनाज का दिल जोर से धड़क उठा और बोली:"
" मा बेटा कभी ऐसा सोचना भी मत, अगर किसी ने मुझे बिना बुर्के के देख लिया तो गजब हो जाएगा मेरे राजा!

शादाब समझ गया कि उसकी मम्मी के मन में डर हैं इसलिए वो बोला:"

" देखो अम्मी ना तो आज तक आपका चेहरा किसी ने देखा हैं और ना ही गांव में मुझे कोई जानता है, इसलिए आप बेफिक्र होकर उतार दीजिए।
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक - by desiaks - 10-08-2020, 01:48 PM

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