Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:07 PM,
#79
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब रेहाना का इशारा समझ चुका था और वो एक भरपूर मर्द बन चुका था इसलिए उसके जिस्म में भी हलचल होने लगी और उसकी पैंट में उभार बनने लगा। रेहाना बहुत पुरानी खिलाड़ी थी और जानती थी कि लडको को कैसे फसाकर उनका शिकार किया जाता हैं। रेहाना ने अपने दुपट्टे का पल्लू नीचे गिरा दिया तो उसकी चूचियों के बीच की गहरी खाई साफ नजर आने लगीं तो शादाब की नजरे अपने आप उधर टिक गई।

रेहाना समझ गई कि चिड़िया ने दाना चुगना शुरू कर दिया और बहुत ही जल्दी जाल में फस जायेगी। रेहाना ने अपने हाथ का हल्का सा दबाव अपने सीने पर बढ़ाया तो सूट के गले से उसकी चूचियां बाहर निकलने को बेताब सी नजर आईं। शादाब तो मंत्र मुग्ध सा होकर ये सब देख रहा था। शादाब के अलावा कोई और भी था जो ये सब बहुत ही गुस्से और नफरत के साथ देख रहा था और वो थी शहनाज़।

दर असल जैसे ही शादाब शहनाज़ की बांहों से निकला था तो उसकी नींद खुल गई और जब शादाब नीचे की तरफ गया तो शहनाज़ भी उसके पीछे पीछे ही चल दी थी। जब शादाब गेट खोलकर रेहाना को अंदर गेस्ट रूम में के गया था तभी शहनाज़ चुपके से दादा दादी जी के कमरे में घुस गई थी और दोनो कमरे के बीच लगे हुए दरवाजे से उन पर नजर रख रही थी और पूरी तरह से समझ गई थी कि रेहाना शादाब पर डोरे डाल रही हैं। वो चाहती थी अब तक का उसका मुंह तोड़ चुकी होती लेकिन वो ये देखना चाह रही थी कि शादाब उससे जो प्यार करने का दावा करता हैं वो कितना सच्चा हैं बस इसलिए खामोशी से सब देख रही थीं।

रेहाना:" और बताओ शादाब तुम्हारा मन लग रहा हैं गांव में ?

शादाब:" जी बस ठीक है, घर में रहता हूं अपनी अम्मी के साथ और अब जमीन का हिसाब भी देखना शुरू कर दिया है।

रेहाना:" वो तो ठीक है बेटा, लेकिन कहां वो हॉस्टल की ज़िन्दगी, दोस्तो के साथ मस्तियां, घूमना और कहां गांव की ये नीरस ज़िन्दगी, जहां ना अपनी मर्जी से पहन सकते हैं और ना खा सकते हैं शादाब।

शादाब:" आपकी बात ठीक हैं, लेकिन गांव में एक सुकून हैं अपनी मिटी की खुशबू ही अलग होती हैं।

रेहाना को लगा कि या तो शादाब बिल्कुल मासूम हैं जो उसके बोलना का मतलब नहीं समझ पा रहा हैं या फिर जरूरत से ज्यादा तेज हैं को जान बूझकर उसकी बात को घुमा रहा है। इसलिए रेहाना बोली:"

' शादाब मैं तो शहर में पली बढ़ी हुई हू इसलिए मुझे तो गांव का माहौल पसंद नहीं आता, मुझे तो बस घूमना और मस्ती करना चाहिए ।

शादाब:" वो तो सबकी अपनी अपनी पसंद होती हैं मैडम।

रेहाना शादाब को देखते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए बोली:" तुम्हे क्या पसंद हैं शादाब ?

शादाब:" बस कुछ खास नहीं, पढ़ाई से अलग कुछ सोचा नहीं, किताबो से और ही नहीं उठाया अभी तक।

रेहाना समझ गई कि उसे एक दम फ्रेश माल मिला है इसलिए खुश होते हुए उसकी तरफ झुकते हुए टेबल पर अपनी दोनो कोहनियां टिका दी जिससे उसकी चूचियां बाहर निकलने को बेताब सी नजर आईं। रेहाना अपनी जीभ अपने होंठो पर घुमाते हुए बोली:'

" दुनिया बहुत खूबसूरत हैं शादाब, एक बार देखो किताबे भूल जाओगे।

शादाब बिना पलके झपकाए रेहाना की गोलाईयों को देखने लगा तो रेहाना समझ गई कि लड़का लाइन पर अा गया है तो उसने धीरे से टेबल के नीचे से अपना पैर शादाब के पैर पर रख दिया तो शादाब ने उसकी तरफ देखा तो रेहाना ने एक स्माइल दी और उसका पैर सहलाना शुरू कर दिया और बोली:"

:" शादाब तुझे रोज मेरे बेटे को पढ़ाने के लिए मेरे घर अा जाया करना, तुम्हे मैं पूरी दुनिया दिखा दूंगी।

इतना कहकर रेहाना ने अपने टेबल के नीचे से ही शादाब का पैर सहलाते हुए उसकी जांघ पर अपना एक हाथ रख दिया तो शादाब एक पल के लिए विचलित हो उठा और बोला:"

" माफ कीजिए मैडम, मै नहीं अा पाऊंगा, घर में मेरी अम्मी अकेली रहती हैं तो मैं उनके साथ रहता हूं।

रेहाना थोड़ा सा जोर से उसकी जांघ सहलाते हुए:" अच्छा अरे हान तुम्हारी अम्मी, वो तो पुराने जमाने की औरत हैं। माफ करना शादाब लेकिन उससे तुम पक जाते होंगे।

शादाब ने एक दम से गुस्से से रेहाना का हाथ हटा दिया और थोड़ा जोर से बोला:"

" थोड़ा तमीज से बात कीजिए, मेरी अम्मी बहुत अच्छी है, आप मुझे मत सिखाए, आप जा सकती हैं।

रेहाना को लगा कि उसने जल्दबाजी कर दी हैं और उसे शहनाज़ के बारे में ऐसे नहीं बोलना चाहिए था। रेहाना थोड़ा नरम पड़ते हुए बोली:"

" बेटा शादाब तुम तो बुरा मान गए, मेरा वो मतलब नहीं था जो तुम सोच रहे हो। मैं तो बस ये कहना चाह रही थी कि तुम्हारी अम्मी को दुनिया के साथ चलना चाहिए, अब कहां ऐसी सोच हैं कि घर के अंदर भी बुर्का नहीं उतर सकते।

शादाब का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और बोला:' रेहाना मैडम आप जा सकती हैं। बहुत हो गया, मुझे अपनी अम्मी के बारे में कुछ भी गलत बात बर्दाश्त नहीं।

रेहाना ने भी अपने शाही तेवर दिखाने शुरू कर दिए और बोली:" जुबान संभाल कर बात करो शादाब, मैं तो तुम्हारे घर के नौकर नहीं तो तुम्हारी मर्जी से आऊ या जाऊ ?

शादाब ने गुस्से से एक जोरदार मुक्का टेबल पर दे मारा तो रेहाना के टेबल पर टिके हाथ एक झटके से हट गए और उसका मुंह टेबल पर लगा जिससे उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी।
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक - by desiaks - 10-08-2020, 02:07 PM

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