Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:08 PM,
#86
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने शहनाज़ की कमर पर बहुत प्यार से हल्दी लगाई और फिर हाथ में हल्दी ली और कमर से नीचे की तरफ आने लगा। जैसे जैसे शादाब के हाथ शहनाज़ की गांड़ की तरफ बढ़ रहे थे शहनाज़ की चूत में गीलापन बढ़ता जा रहा था। शादाब ने अपने दोनो हाथ पहली बार शहनाज़ की पूरी नंगी गांड़ पर रख दिए तो शहनाज़ के होंठो से अपने आप एक मस्ती भरी सिसकारियां निकल पड़ी। शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को खूब अच्छे से हाथ में भर लिया और हल्का हल्का हाथ फिराने लगा, उफ्फ क्या मस्त मस्त मोटी गांड़ थी शहनाज़ की, एक दम कोरी, बाहर की तरफ निकली हुई , शादाब का मन तो कर रहा था कि उसकी गांड़ को दबा दबा कर लाल कर दे, एक फूल की तरह मसल कर रख दे लेकिन वो मजबूर था। शहनाज़ को अपनी गांड़ पर पड़ते शादाब के हाथ एक अलग ही मजा दे रहे थे क्योंकि उसकी गांड़ पूरी तरह से उसके बेटे के हाथो में समाई हुई थी। उस मनचले ने बिल्कुल ठीक कहा था ये लड़का ही इसकी गांड़ को अच्छे से मसल सकता हैं, शहनाज़ का भी मन तो कर रहा था कि शादाब कम से कम एक बार ही सही अच्छे से उसकी गांड़ मसल दे लेकिन मजबुर थी इसलिए बोल नहीं सकती थी। शादाब ने हाथ में हल्दी ली और शहनाज़ की गांड़ के दोनो पटो पर रगड़ना शुरू कर दिया, शादाब गांड़ को दबा नहीं रहा था बस थोड़ा टाइट हाथो से हल्दी लगा रहा था जिससे शहनाज़ की गांड़ मचल उठी और अपने आप थोड़ा सा ऊपर की तरफ उभर गई तो शादाब शहनाज़ का इशारा समझ गया और उसने हल्दी लेकर थोड़ा सा तगड़ा हाथ गांड़ पर रगड़ा तो शहनाज़ के होंठो से आह निकल पड़ी और जिस्म अपने आप उपर नीचे होने लगा। शादाब ने जोश में आकर शहनाज़ की गांड़ को थोड़ा जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया तो शहनाज़ के मुंह से निकलती हुई हल्की हल्की सिसकारियां कमरे में गूंजने लगी।

" आह शादाब, उफ्फ क्या मस्त लड़का हैं तू राजा, बाद मसलना या दबाना मत, ऐसे ही रगड़ उफ्फ बेटा बहुत अच्छा लग रहा हैं मुझे ।

शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को दाए बाए फैला दिया और थोड़ा सा अन्दर की तरफ हल्दी लगाने लगा तो शहनाज़ की चूत से रस टपकना शुरू हो गया और शहनाज़ अपनी जांघो को जोर जोर से आपस में रगड़ रही थी।

शादाब ने जैसे ही शहनाज़ के गांड़ के छेद के आस पास हल्दी लगाई तो शहनाज़ ने शर्म से घबराकर अपनी टांगे बंद कर ली और बोली:"

," आह मेरे राजा वहां नहीं, उफ्फ गंदी जगह हैं वो शादाब!!

शादाब:" हाय अम्मी, आपका जिस्म का हर हिस्सा एक दम साफ़ हैं कुछ भी गंदा नहीं है मेरी शहनाज,

शहनाज़:" मत कर बेटा,

शादाब:" करने दो मेरी शहनाज़ अपनी जान को, बस थोड़ी सी लगाऊंगा।

शहनाज़:" अच्छा बाद में लगा देना वहां, बस अब खुश

शादाब शहनाज़ की बात सुनकर मुस्कुरा दिया और हाथो में हल्दी लेकर उसकी कमर से उसकी पैर की उंगलियों तक लगाने लगा। कमर से उंगलियों की तरफ आते शादाब के हाथ जैसे ही गांड़ पर आते तो शहनाज़ की गांड़ खुशी में अपने आप थोड़ा सा उभर जाती और शादाब अच्छे से रगड़ देता। आखिर कार जल्दी ही शहनाज़ के पिछले हिस्से पर जब पूरी तरह से हल्दी लग गई तो शहनाज़ अपने आप पलट गई।
शादाब ने हल्दी ली और जैसे ही अपने हाथ टिकाए तो हाथ में शहनाज़ की चूचियां अा गई, शहनाज़ अपनी नंगी चूचियों पर शादाब का पहला स्पर्श महसूस करते हुए सिसक उठी!!

" आह राजा, उफ्फ बस दबाना मत, प्यार से लगा दे हल्दी मुझे सारे जिस्म पर मेरे राजा बेटा।

शादाब ने शहनाज की चूचियों को हाथो में भर लिया तो शहनाज़ का चेहरा लाल सुर्ख होकर दहकने लगा और आंखे मस्ती से खुलने बंद होने लगी। शादाब ने पहली बार अपनी मा की चूचियों को छू रहा था और उसे महसूस हुआ कि सच में शहनाज़ की चूंचियां कुदरत का नायाब नमूना हैं। बिल्कुल कश्मीरी सेब के आकार की, शादाब ने हल्दी लगाने के बहाने हल्का सा दबाव दिया तो चूचियां अकड़ गई और झुकने से मना कर दिया मानो शहनाज़ को चुनौती दे रही हो। शादाब से बर्दास्त नहीं हो रहा था, उसका बहुत मन था कि बस एक बार दबा कर देखे इसलिए वो थोड़ा सा आगे को झुका और शहनाज़ के कान में बोला:"

" आह मेरी मा शहनाज़, उफ्फ क्या मस्त चूचियां हैं, एक दम ठोस, प्लीज़ अम्मी एक बार दबा दू क्या ?

इतना कहकर शादाब ने शहनाज़ का निप्पल हल्दी लगाने के बहाने हल्का सा सहला दिया तो शहनाज़ के होंठो से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी!!

" आह मेरे राजा, पहली बार किसी ने मेरी जवानी की कदर करी हैं, दबा ले शादाब बस एक ही बार दबाना, कहीं ऐसा ना हो कि जोश में आज ही सुहागरात हो जाए।

शादाब ये सुनते ही जोश में अा गया और उसने जोर से शहनाज़ की चूचियों को भींच दिया तो शहनाज़ मस्ती और दर्द से कराह उठी क्योंकि उसके सीने में बहुत मीठा मीठा दर्द हुआ ।

" उफ्फ हाय मेरे बच्चे, थोड़ा प्यार से दबाते हैं राजा, बस अब जल्दी से हल्दी लगा दें

शादाब ने शहनाज़ की दोनो चूचियों को हल्दी से तर कर दिया और उसके हाथ ना चाहते हुए एक बार फिर से मचल उठे और उसने जोर से शहनाज़ की चूचियों को दबा दिया तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी

" आह कमीना कहीं का, उफ्फ मार ही देगा क्या मुझे, मत दबा सुहागरात में सब तेरा ही तो हैं।

शादाब जनता था कि शहनाज़ कैसे मनाना है इसलिए उसने दोनो कान पकड़ लिए तो शहनाज़ मुस्करा उठी। शादाब ने फिर से हल्दी ली और शहनाज़ की चूचियों से पेट और कंधे तक लगाने लगा।

शादाब का भी लंड पूरी तरह से अकड़ चुका था और शहनाज़ की चूत को जैसे पानी पानी हो रही थी। शादाब ने अगली बार हल्दी लेकर शहनाज़ की जांघो पर लगाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ की चूत के होंठ अपने आप मस्ती से खुलने बंद होने लगे। शादाब का हाथ जैसे ही जांघ के अंदर की तरफ जाता तो चूत कांप सी जाती। शादाब ने हल्दी ली और दोनो जांघो के जोड़ पर लगाने लगा, शहनाज़ पूरी तरह से तड़प रही थी , उसकी जीभ अपने आप उसके होठों पर घूम रही थी। शादाब का हाथ जैसे ही एक चूत के उपर से गुज़रा तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।शादाब ने जोश में आकर शहनाज की चूत को मुट्ठी में भर लिया तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसकी गांड़ अपने आप उपर नीचे होने लगी और सिसक उठी।

" आह मेरे राजा, मेरे शादाब, इसे मत दबा देना मेरे लाल, बस जल्दी से हल्दी लगा दे।

शादाब ने एक बार चूत पर अच्छे से अपनी उंगली फिराई तो शहनाज़ अपनी कमर को उठा उठा कर पटकने लगी। चूत के आकार को महसूस करते ही शादाब को बेरी की याद आ गई और बोला:"

" हाय अम्मी, ये तो बिल्कुल बेरी है, उफ्फ कितना रस निकल रहा है इसमें से मेरी शहनाज़।

शहनाज़ सिसकते हुए:_

" आहओह नहीं, उस दिन तूने इसमें ही तो उंगली घुसा दी थी मेरे राजा बेरी समझकर। उफ्फ हाय मा जल्दी लगा से मुझे कुछ हो रहा है शादाब।

शादाब चूत के दाने को सहलाते हुए:"

" आह अम्मी, एक बार घुसाने दो ना उंगली फिर से मुझे, उफ्फ कितनी गर्म हैं ये एकदम तपी हुई है शहनाज़।

शहनाज़ तड़पते हुए:" बस कर कमीने, अब भी उंगली ही घुसाएगा क्या, मूसल डालकर कूट देना अच्छे से सुहागरात को,

शादाब चूत पर उपर से नीचे उंगली फेरते हुए:"

" आह अम्मी, इसको मैं ऐसी कूट दूंगा कि आप ज़िन्दगी भर याद रखोगी, मूसल से सारा रस निकाल दूंगा मार मार कर।

शहनाज़ की चूत में तूफान सा उठ रही थी और वो खुद ही अपनी चूत अपने बेटे के हाथ पर रगड़ रही थी और जोर जोर से सिसक रही थी। बस शहनाज़ ने एक झटके के साथ अपनी जांघो को जोर से भींच दिया तो शादाब ने अपना हाथ बाहर निकाल लिया।
शहनाज़ तड़प उठी क्योंकि उसका रस निकलते निकलते रह गया और बोली:"

" आह शादाब मेरी जान, बस रगड़ दे इसको एक बार, चाहे तो दबा से जोर से मेरे राजा, आह निकाल दे मेरा रस !!
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक - by desiaks - 10-08-2020, 02:08 PM

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