Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:09 PM,
#93
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने शहनाज़ की कान की लौ को जीभ से चाटना शुरू किया तो शहनाज़ के जिस्म में बिजली सी दौड़ने लगी और उसकी सिसकी निकल पड़ी। शादाब ने जैसे ही उसकी लौ दांतो से हल्का सा काटा तो शहनाज़ की सिसकियां तेज होने लगी और वो शादाब की गांड़ पर हाथ फेरने लगी। शादाब ने नीचे आते हुए शहनाज़ की गर्दन पर अपने होंठ टिका दिए और उसकी गर्दन को चाटने लगा।

शहनाज़ से ये सब बर्दाश्त नही हुआ और उसकी गर्दन अपने आप ही शादाब की जीभ पर थिरकने लगी। (शहनाज़ को आज पहली बार एहसास हो रहा था कि प्यार क्या होता हैं, उसके पति ने सीधे लंड घुसा दिया था)!

शहनाज़ ने अपना हाथ नीचे लाते हुए शहनाज़ के सूट को पकड़ लिया और उपर की तरफ बढ़ाने लगा तो शहनाज़ की सांसे तेज होने लगी और चूत गीली हो गई। शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ उपर उठा दिए और शादाब ने उसका सूट उतार दिया तो शहनाज़ शर्म के मारे शादाब से कसकर लिपट गई तो शादाब के हाथ उसकी नंगी कमर पर जा लगे तो शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

" आह शादाब मेरे राजा, उफ्फ

शादाब ने शहनाज़ की कमर को अपने हाथो में भर कर सहलाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ किसी अमर बेल की तरह उससे लिपट गई। शादाब उसकी कमर दबाते हुए कहा:'

" आह अम्मी, आपकी कमर कितनी चिकनी और पतली हैं मेरी शहनाज़ !!

इतना कहकर उसने शहनाज़ की कमर को जोर दे दबा दिया तो शहनाज़ मस्ती से सिसक उठी और बोली:"..
" आह मेरे शादाब थोड़ा प्यार से राजा, सब कुछ तेरे लिए ही है मेरी जान।

शादाब के हाथ शहनाज़ की कमर से होते हुए उसकी गांड़ तक पहुंच गए और वो प्यार से शहनाज़ की गांड़ सहलाने लगा। शहनाज़ तो जैसे पागल ही हो गई और अपने दोनो हाथ अपने बेटे के हाथो पर रख दिए और अपनी गांड़ को दबाने लगी। शादाब ने अब शहनाज़ की सलवार के नाड़े को एक झटके में खोल दिया तो शहनाज़ के मुंह से उत्तेजना में फिर से सिसकी निकल पड़ी और शादाब ने उसकी सलवार को नीचे सरका कर उतार दिया तो अब शहनाज़ सिर्फ ब्रा पेंटी में पड़ी हुई थी और शर्म के मारे अपने आप में सिमट रही थी। (कमरे में जल रही मोमबत्तियां मैजिक कैंडल की तर्ज पर बनी हुई जिनका प्रकाश थोड़ी देर के बाद ट्यूब लाइट से भी तेज हो जाता हैं और अब धीरे धीरे कमरे में प्रकाश बढ़ रहा था) शहनाज़ की गांड़ सिर्फ पेंटी में थी।

शहनाज़ शर्म के मारे पेट के बल लेट गई और शादाब ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी गांड़ को पकड़ लिया और दोनो हाथो में भर कर जोर जोर से दबाने लगा। शहनाज़ मस्ती से भर उठी और सिसकते हुए बोली:"

" आह शादाब, उफ्फ थोड़ा प्यार से मेरी जान,

शादाब अपनी अम्मी की सिसकियां सुनकर जोश में अा गया और पूरी ताकत से उसकी गांड़ दबाने लगा।

शहनाज़ पूरी तरह से मस्ती में सिसकते हुए:"

" आह मार ही देगा क्या मुझे, उफ्फ दर्द होता हैं राजा थोड़ा प्यार से मसल।

शादाब उसकी के पटो को खोलकर अंदर की तरफ दबाते हुए:" आह शहनाज़, कितनी मस्त उभरी हुए गांड़ हैं तेरी, दबाने दे जोर जोर से आह टाइट है।

शादाब के मुंह से अपनी गांड़ की तारीफ सुनकर शहनाज़ बहक गई और अपनी गांड़ खुद ही उसके हाथो में मारने लगी और बोली:"

" आह मेरे राजा, मसल पूरी तरह से रगड़ मुझे ऐसे ही, दबा पूरी भर भर दबा मुझे।

शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को पूरी अपने हाथो में भर लिया और जोर जोर से मसलने लगा तो शहनाज़ सिसकते हुए बोली:"

" आह मेरे बच्चे,तेरे हाथ तो मेरी गांड़ के लिए ही बने हैं, उफ्फ कितनी बड़ी हैं फिर भी पूरी समा गई।

शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को पूरी तरह से दबा दबा कर लाल कर दिया और शहनाज़ मस्ती से अपनी गांड़ मसलवाती रही। शादाब ने एक हाथ से शहनाज़ की गांड़ दबाते हुए दूसरे हाथ से खुद को नंगा करना शुरू कर दिया और उसके जिस्म पर अब सिर्फ अंडर वियर बचा हुआ था।

शहनाज़ की गांड़ को जी भर कर दबा कर लाल सुर्ख कर देने के बाद शादाब शहनाज़ की पीठ पर लेट गया तो शहनाज़ को उसके नंगे होने का एहसास हुआ और उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी। शादाब उसकी गर्दन चाटते हुए अपना खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ में घुसाने लगा। शहनाज़ की चूत पूरी तरह से गीली हो गई और कच्छी भीग चुकी थी। शादाब ने अब शहनाज़ की कमर को चूमना शुरू कर दिया तो शहनाज़ की सिसकियां निकलने लगी।

शादाब अपनी जीभ निकाल कर शहनाज़ की कमर को चाटने लगा तो शहनाज़ ने दोनो हाथो से बेड शीट को दबोच लिया और अपनी चूची और चूत बेड शीट पर रगड़ते हुए बोली:"

" आह मेरे राजा, उफ्फ ऐसे ही प्यार कर मुझे, बहुत प्यासी है तेरी अम्मी शादाब।

शादाब की जीभ जैसे ही शहनाज़ की ब्रा से टकराई तो दोनो मा बेटे एक साथ मस्ती से सिसक पड़ें। शादाब ने शहनाज़ की ब्रा के हुक को दांतो से भर लिया और खोलने लगा तो शहनाज़ का पूरा जिस्म मचलने लगा। शादाब ने ब्रा के हुक को खोल दिया तो शहनाज़ की कमर पूरी तरह से नंगी हो गई और शहनाज़ फिर से सिसक उठी। शादाब में अपनी जीभ से उसकी पूरी कमर को चाटना शुरू कर दिया तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने ने हल्की सी अपनी कमर उपर उठाई और अपने दोनो हाथ अपनी चुचियों के नीचे टिका दिए। जैसे ही उसकी कमर नीचे अाई तो चूचियां अपने आप दबती चली गई और शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल गया :"

" आह मेरे राजा, उफ्फ मेरा शादाब।
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक - by desiaks - 10-08-2020, 02:09 PM

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