Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
मोहन:" मेरे काबिल दोस्त वकील आप ध्यान दे कि सिर्फ रिपोर्ट दर्ज हैं और उन्हें किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया हैं। अगर आपके इस बात का कोई सबूत हैं कि रेहाना ने अपने पति के साथ मिलकर उन लोगों का खून किया है तो आप कोर्ट को दे।

जज:" आपको क्या कहना हैं इस बारे में ?

सरकारी वकील:" घर में लाशे और गोलियों की आवाज और खून से सना हुआ फर्श इस बात का सबूत है कि खून रेहाना ने ही किया हैं।

मोहन:"अगर आपके पास कोई ठोस गवाह या सबूत हैं तो कोर्ट को बताए सिर्फ दलीलें पेश करने से किसी को मुजरिम साबित नहीं किया जा सकता।

सरकारी वकील:" सर मै चाहता हूं कि मुझे कुछ दिन की मोहलत और दी जाए ताकि मैं सबूत और गवाह जुटा सकूं।

मोहन सिंह:" मी लॉर्ड मैं चाहता हूं कि जब तक कोई पक्का सबूत ना मिल जाए तब तक के लिए उन्हें जमानत पर रिहा कर दीजिए।

सरकारी वकील:" मी लॉर्ड बेशक मेरे पास कोई सबूत नहीं है कि रेहाना और उसके पति ने इन लोगो का खून किया हैं लेकिन मोहन सिंह के पास भी इसका कोई सबूत नहीं है कि खून रेहाना ने नहीं किया हैं। इसलिए आपसे गुज़ारिश हैं कि जब तक ये फाइनल ना हो जाए कि असली मुजरिम कौन है इन्हे जमानत ना दी जाए।

जज:" आप दोनो की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट इस फैसले पर पहुंची हैं कि अगली सुनवाई तक रेहाना और उसके पति को जमानत नहीं मिल पाएगी और अगर अगली तारीख तक अगर ये साबित नहीं हो पाया कि खून रेहाना ने किया हैं तो उसकी जमानत मंजूर हो जाएगी। इस केस की अगली सुनवाई चांद रात वाले दिन होगी। कोर्ट की आज की कार्यवाही यहीं समाप्त होती है।

इतना कहकर जज चले गए तो मोहन सिंह ने सरकारी वकील को एक विजयी मुस्कान दी मानो ये साबित कर रहा हो कि वो साबित नहीं कर पाएगा और रेहाना की जमानत मंजूर हो जाएगी।

शादाब और शहनाज़ दोनो एक दूसरे के दूर थे लेकिन दूर होने के बाद भी उनका प्यार कम होने के बजाय एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा बढ़ रहा था।

शादाब शाहनाज को एक पल के लिए भी भूल नहीं पा रहा था लेकिन चाह कर भी फोन नहीं कर पा रहा था और बस शाहनाज के फोन का इंतजार करता रहता था लेकिन शाहनाज तो जैसे पत्थर की बन गई थी और उसने भूल से भी शादाब को कॉल नहीं किया। दोनो मा बेटे जुदाई की आग में जल रहे थे और चूंकि रमजान का पाक महीना चल रहा था इसलिए शादाब चाह कर भी अपना लंड नहीं हिला पा रहा था जिससे उसका लंड पहले से ज्यादा खूंखार होता जा रहा था मानो वीर्य जमा होने की वजह से उसको ताकत मिल रही थी। वहीं शहनाज़ की हालत भी इससे कुछ जुदा नहीं थीं, वो औरत जिसे एक बच्चा पैदा होने के बाद भी 36 साल की उम्र में चुदाई कैसे होती हैं ये पता चला हो तो उसके जिस्म की आग तो अपनी चरम सीमा पर होनी ही थी। उपर से शादाब यानी अपने बेटे से सिर्फ दो ही दिन चुदाई हुई तो मतलब साफ था कि वो अभी अच्छे से जी भर कर चुद भी नहीं पाई थी कि शादाब को जाना पड़ा और फिर उसके जिस्म के हिस्से में अा गया एक महीने का इंतजार।

वैसे भी शादाब के जाने या उसके पास रहने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला था क्योंकि रमजान के चलते वो दोनो ज्यादा कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं होते। हालाकि शहनाज़ का जिस्म काम वासना से जलकर एक शोला बनता जा रहा था और चूत में तो जैसे रह रह कर चिंगारियां सी उठ रही थी लेकिन फिर भी वो अपने आपको काबू में रखते हुए रमजान के महीने में खूब मन लगाकर इबादत कर रही थी। बस अब दोनो मा बेटे को जैसे चांद रात का ही इंतजार था।

कोई और भी था जो इनसे भी ज्यादा बेताबी से चांद रात का इंतजार कर रहा था और वो थी जेल में बंद रेहाना जो बाहर आने और अपना बदला लेने के लिए तड़प रही थी। रेहाना से ज्यादा काजल परेशान थी क्योंकि वो बाहर होते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही थी।

चांद रात से एक दिन पहले की बात है कि शहनाज़ ने रात के कोई 9 बजे के आस पास शादाब को कॉल किया तो शादाब अपने मोबाइल पर अपनी अम्मी का नंबर देखकर खुशी के मारे उछल पड़ा तो अजय उसे देखकर मुस्कुराए बिना नहीं रह सका। शादाब फोन लेकर बाहर की तरफ जाने लगा तो अजय बोला:"

" सुन मैं उपर छत पर टहलने जा रहा हूं, अगर तुम बात करने के लिए बाहर जा रहे हो तो यहीं कर लो आराम से।

शादाब ने उसे स्माइल दी और अजय बाहर चला गया तो शादाब ने शहनाज़ का फोन उठाया और उसके कान जैसे सदियों से बिछड़े प्रेमी की तरह शहनाज़ की आवाज सुनने के लिए तरस रहे थे

शहनाज़:" हेल्लो शादाब कैसे हो मेरे राजा मेरी जान ?

शहनाज़ की आवाज सुनकर एक पल के लिए तो शादाब अपनी सुध बुध खी बैठा और उसकी कोयल जैसी मधुर आवाज में खो सा गया। शहनाज़ शादाब की तरफ से तरफ से कोई उत्तर न पाकर दोबारा फिर से बोली:"

" शादाब कैसे हो मेरे राजा ?

शादाब जैसे अपनी सपनो से बाहर अाया और खुद को संभाल कर बोला:"

" ठीक हूं शहनाज़ मेरी अम्मी, आपकी आवाज सुनने के लिए तो जैसे कान ही तरस गए थे मेरे।

शहनाज़ खुद भी बेताब थी इसलिए बोली:"

" मैं खुद तेरे लिए पल पल तड़पी हूं शादाब, हल्की सी आहट पर तुम्हारे आने की उम्मीद होती थी।

शादाब:" अम्मी आपके बिना तो जैसे एक एक पल रों रोकर गुज़ारा हैं आपके बेटे ने।

शहनाज:" बस बेटा अब तू खुश हो जा क्योंकि कल चांद रात हैं और तू कल सुबह जल्दी ही अा जाना तेरी मा तेरा इंतजार करेगी शादाब और तेरी बीवी शहनाज़ भी मेरे राजा। बस बाकी बाते तेरे आने पर ही होगी शादाब।

इससे पहले कि शादाब कुछ बोल पाता शहनाज़ ने फोन काट दिया और शादाब तो खुशी से पूरे कमरे में नाच रहा था उछल रहा था।

आखिर कर वो दिन आ ही गया जिसका ये सभी लोग इतनी बेताबी से इंतजार कर रहे थे। कोई अपने प्यार को देखने उसे गले लगाने के लिए तड़प रहा था तो कोई अपना बदला लेने के लिए बेताब था।
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक - by desiaks - 10-08-2020, 02:15 PM

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