RE: Incest Kahani Incest बाप नम्बरी बेटी दस नम्बरी
रीता ने सामने कपबोर्ड में देखते हुए कहा- बाप रे! कितना गजब का शौक है आपका? इतनी सारी ब्रा पैंटी इकट्ठा कर रखी हैं! लगता है कि आपके सारे पैसे मेरे जैसी रंडियों की ब्रा और पैंटी पर ही खर्च होते हैं.
रमेश- सारी रंडियों की ब्रा- पेंटी पर नहीं … सिर्फ तुम्हारी ही ब्रा और पेंटी मैं ख़रीदता हूँ. बाकी तो सभी शौक से ही मुझे अपनी ब्रा और पेंटी दे देती हैं।
रीता- ठीक है, अब इसे रखिये और चलिये. देर हो रही है।
रमेश- पहले तुम अपनी ब्रा तो मुझे दे दो ताकि मैं इसे रख दूं।
रीता ने मुस्कराते हुए अपना ब्लाउज खोला और अपनी ब्रा को निकाल कर रमेश के हाथों में थमा दिया. फिर उसने अपना ब्लाउज वापस पहन लिया.
उसकी ब्रा और पैंटी को अंदर रखते हुए रमेश बोला- क्या तुम जानती हो कि ये सारी यूज़ की हुई ब्रा- पैंटी हैं? बिना धुली हुई. जब भी किसी की चूत की याद आती है मैं यह कपबोर्ड खोल कर इनकी खुशबू सूंघ लेता हूँ. बड़ा ही मजा आता है।
रीता- मुझे पता है. अब चलिये ना।
रमेश- बड़ी भूख लगी हुई है तुम्हारी चूत को, चलो तुम्हारी चूत की भूख को मिटा ही देता हूं.
होटल मूनलाइट में रमेश की पहले से ही स्पेशल सेटिंग थी. वो दोनों पहुंच गये और जाकर उन्होंने खाना ऑर्डर किया. थोड़ी देर के बाद वेटर आया और खाने के साथ ही एक कॉन्डम का पैकेट भी लेकर आ गया. वो रख कर वापस जाने लगा.
रमेश कॉन्डम का पैकेट उठाया और गुस्से में बोला- तुम्हें पता नहीं है कि जब मैं मैडम के साथ आता हूं तो मुझे कॉन्डम की जरूरत नहीं होती है?
रीता ने अपनी छिनाल हंसी के साथ कहा- जाने दीजिये ना … इस बेचारे को क्या पता कि मेरी चूत में ऐसा क्या है जो आपको कॉन्डम की जरूरत ही नहीं पड़ती.
रीता रंडी की बात सुन कर वेटर भी शरमा गया और वहां से चुपचाप चला गया.
उसके जाने के बाद वो दोनों खाना खाने के लिए तैयार होने लगे.
रीता- मैं जरा फ्रेश हो कर आती हूँ।
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