RE: Incest Kahani Incest बाप नम्बरी बेटी दस नम्बरी
रिया- लेकिन आपकी उस लड़की से क्या दुश्मनी है? इससे आपको क्या फायदा होगा?
रमेश- मेरी उससे कोई दुश्मनी नहीं है लेकिन अगर हम लोगों को इस शहर में रहना है तो तुझे ये काम करना ही पड़ेगा. नहीं तो हमारी इज्जत की धज्जियां उड़ जाएंगी।
वो बोली- ठीक है, लेकिन आप ठीक से बताओ. आपकी बात मेरी समझ में नहीं आ रही?
रमेश- ठीक है। देखो मेरे दोस्त से तुम मिल ही चुकी हो, लेकिन उसे पता नहीं है कि तू मेरी बेटी है. जिस दिन उसे पता चल गया और उसने किसी को बता दिया तो हमारा इस शहर में रहना मुश्किल हो जाएगा।
आगे बताते हुए रमेश बोला- उसकी एक ही बेटी है रश्मि। बस तुझे अपनी साथी रंडियों और दलालों से मिलकर रश्मि को एक रंडी बनाना है और मेरे लिए बुक करना है। जिस दिन ये लड़की मेरी बांहों में होगी उस दिन तू फ्री हो जाएगी।
रिया- ठीक है. मुझे मंज़ूर है।
रमेश- आज से ही शुरू करते हैं। चल रूम में चल साली रंडी और नंगी हो जा।
रिया- नहीं यह नहीं हो सकता।
रमेश- तो फिर 10 लाख भूल जा।
रमेश को समझाते हुए वो बोली- मगर मैं घर में नंगी कैसे रह सकती हूं? मां भी तो है!
रमेश- तू उसकी फिक्र मत कर. मैं संभाल लूंगा।
रिया फिर बहाना बनाते हुए बोली- मगर मेरे पीरियड्स के टाइम?
समस्या देख कर रमेश बोला- हम्म … उस समय तू सिर्फ एक छोटी सी पैंटी पहन लेना और उन दिनों की भरपाई तू अगले कुछ दिनों में कर देना। वैसे भी तेरे पास तेरा मुंह और गांड भी तो है, मैं उससे भी काम चला लूंगा.
रिया- अगले कुछ दिनों में से क्या मतलब है आपका? मतलब टाइम से ज़्यादा?
रमेश- हाँ बस तीन चार दिन।
रिया- नहीं, उसके अलग से चार्ज लगेंगे।
रमेश- देख रंडी, यह पीरियड्स तेरी प्रॉब्लम है. तू ही इसे समझ. मैं तुझे पूरे दिनों के पैसे दे रहा हूँ. अगर सिर्फ तीन चार दिनों के लिए तू 10 लाख ठुकरा रही है तो तेरी मर्जी।
रिया डर गयी और बोली- ठीक है, ठीक है, मुझे मंजूर है. मगर मां का क्या?
हंसते हुए रमेश ने कहा- मैंने बोला ना … तू फिक्र मत कर।
फिर रमेश ने अपने फोन में एक नम्बर डायल किया.
रिया सोचने लगी कि कहीं डैड मेरी मां का मर्डर तो नहीं करवाना चाहते! नही-नहीं ऐसा नहीं हो सकता. मेरे डैड इतने जालिम नहीं हो सकते.
तभी दूसरी ओर से किसी ने फोन उठा लिया.
रमेश- हैलो डॉक्टर राकेश।
राकेश- हाँ रमेश, बोल।
रमेश- अरे यार तुझसे कुछ काम है।
राकेश- हाँ बोल यार।
रमेश- यार मैं चाहता था कि रति दिन भर काम करती रहती है. मेरे कितना भी कहने पर वह कोई नौकर भी नहीं रखती। अकेले बहुत थक जाती है यार मुझसे यह देखा नहीं जाता।
राकेश- तो अब क्या मैं तुम्हारे लिए नौकर ढूंढ दूं?
रमेश- अरे नहीं यार, पहले पूरी बात तो सुन।
राकेश- हाँ तो बोल।
रमेश- मैं चाहता हूँ कि वह कुछ दिनों के लिए अपने भाई के पास रानीखेत घूम आये. उसका भी जरा मन बहल जाएगा और आराम भी हो जाएगा।
राकेश- ग्रेट आईडिया … तो भेज दे।
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