RE: Incest Kahani Incest बाप नम्बरी बेटी दस नम्बरी
रिया आँखें बड़ी करके अपने डैड की आंखों में देख रही थी और रमेश के प्रोत्साहन से सांसें थाम कोई 15 सेकण्ड्स तक टिकी रही। फिर गैग रिफ्लेक्स की वजह से स्वतः अलग हो गयी और हांफते हुए हंसने लगी.
रमेश भी हंसने लगा.
रिया- ठीक कर रही हूं ना डैडी मैं?
रमेश- हम्म ….मगर मुझे लगता है कि तुम इससे और अच्छा कर सकती हो. ट्राय करो.
ये कह कर रमेश ने रिया के चेहरे को वापस भीगे लण्ड पर झुका दिया। रिया फिर लण्ड चूसने की प्रक्रिया में लीन हो गयी। रिया इस बार खुद को ही हराने के चक्कर में थी। इस बार उसने पूरे 30 सेकंड तक पूरे लण्ड को अपने हलक में छुपाए रखा।
रमेश को इतनी देर तक रिया के टिके रहने की उम्मीद नहीं थी। रमेश के आंड रिया की ठुड्ढी पर लटक रहे थे। रिया के चेहरे का निचला हिस्सा पूरी तरह गीला हो चुका था।
उसके हाथों में रखी कटोरी आधी भर चुकी थी। आखिरकार रिया ने मुंह से लण्ड को निकाला। रमेश ने उसके लिए ताली बजाई। रिया करीब 10 मिनट तक लण्ड चूसती रही।
रमेश- चल अब मैं तेरी गांड को चोदने का मजा लूंगा और तुझे भी बहुत मजा आयेगा.
रिया- मगर गांड में तो आपने खीर भर रखी है डैडी।
रमेश- लण्ड अपनी जगह बना लेगा साली रंडी। तू कुतिया बन जा।
रिया फिर चौपाया हो गयी और रमेश के सामने अपनी भूरी छेद वाली गाँड परोस दी।
रमेश ने उसके भारी भरकम चूतड़ों पर पहले थूका और तीन चार करारे थप्पड़ मारे। रिया थप्पड़ से उठे दर्द से ज्यादा आनंद महसूस कर रही थी। उसने खुद ही अपने चूतड़ पर तमाचे मारे- सटाक … सटाक … और मारो.. मेरी गांड पर। लाल कर दो डैडी.
वो ऐसा करते हुए अपनी गांड को जोर जोर से हिला रही थी. रमेश ने कई और थप्पड़ जोर से मारे.
रमेश ने फिर अपना लण्ड रिया की गांड पर रखा और पूछा- क्यों रे रंडी की बच्ची, लण्ड चाहिए?
रिया- हहम्म, हां चाहिए मुझे डैडी.
रमेश- क्या चाहिए कुत्ती खुलकर बोल? रमेश उसके बाल खींचते हुए बोला।
रिया- लण्ड … आपका लण्ड मुझे मेरी गांड में चाहिए डैडी। मुझे अपने लंड का ईनाम दे दो डैडी।
रमेश- भीख मांग लण्ड के लिए।
रिया- प्लीज डैडी, मैं आपके लंड की भीख मांग रही हूं. प्लीज ये मस्त लंड मेरी गांड में डाल दो. मेरी गांड चोद दो डैडी. प्लीज डैडी … मेरी गांड की चुदाई कर दो।
तभी रमेश ने अचानक से लंड के आगे का हिस्सा रिया की गांड में घुसा दिया. रिया के मुंह से चीख निकली मगर रमेश को कोई फर्क नहीं पड़ा। रिया के बाल पकड़े हुए उसने लण्ड को घुसाना चालू रखा। रिया एक हाथ से अपने बाएं चूतड़ को पकड़े हुए थी।
उसकी गांड के अंदर मौजूद खीर लण्ड के दबाव की वजह से और अंदर तक घुस रही थी. रमेश के लण्ड पर खीर का दबाव एक गद्दे की तरह लग रहा था। थोड़ी देर में रिया की गांड रमेश के घुसपैठिये लण्ड से अभ्यस्त हो चुकी थी।
रमेश रिया की गांड में लंड को रखे हुए उसकी गांड का पूरा पूरा अंदाजा लगा पा रहा था. एक तो रिया की गांड में नैचुरल मक्खन जैसा टेक्सचर था और अब खीर उसमें क़यामत ढहा रही थी।
वो बोला- पता है तुम्हारी गांड लाखों में एक है. बहुत ही मस्त शेप है तुम्हारे चूतड़ों की.
ये बोल कर उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये. रिया के मुंह से सीत्कारें उठने लगीं.
रमेश उसकी गांड पर बने टैटू को छूते हुए कस कर उसकी गांड मारने लगा. रिया के पास चीखें मारने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। रमेश को उसमें बेहद आनंद आ रहा था।
अब रिया की गांड चुदाई जोर से होने के कारण उसकी गांड से खीर भी बाहर गिरने लगी थी. रमेश ने कुछ नहीं कहा. अब रिया भी गांड में लंड के दिये दर्द से निकल कर आनंद की चौखट को चूम रही थी.
रिया पीछे मुड़ते हुए बड़बड़ायी- आह्हह डैडी, बहुत मजा आ रहा है … आह्ह चोदते रहो डैडी, मेरे प्यारे डैडी, मेरी गांड को दिन रात चोदते रहो. मैं आपके लंड की दीवानी हूं. अब मेरी गांड भी आपके लंड की दीवानी है.
रमेश- हां मेरी रंडी रानी. तेरी गांड में जो खीर है वो मुझे तेरी गांड चुदाई का और ज्यादा मजा दे रही है. तेरी चुदाई के बाद मैं तुझे लंड का स्वाद भी तेरे मुंह में दूंगा. तेरी गांड में हलवा तैयार कर रहा हूं मेरी रंडी बेटी.
तेरी गांड को चोद चोद कर उसमें एक मिश्रण बना दूंगा. जिसमें खीर और लंड का स्वाद होगा. खायेगी न बेटी?
रिया पर सेक्स और वियाग्रा का नशा चढ़ा हुआ था. वो मदहोशी में बोली- आह्ह … उम्म.. सोच कर ही मुंह में पानी आ रहा है डैडी. ऐसी टेस्टी खीर तो मैं पहली बार खाऊंगी. लाओ दो न डैडी।
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