RE: Incest Kahani Incest बाप नम्बरी बेटी दस नम्बरी
अब रमेश से रहा नहीं गया और उसने जीन्स को पूरी तरह उसकी टाँगों से नीचे उतार दिया. रश्मि ने अपने हाथ से उसके कंधों पर वजन डाला और बारी बारी से टाँग उठा कर जीन्स अपने पैरों से अलग कर दी।
रमेश- मैं तुम्हारी चूत देखना चाहता हूँ. फिर साथ में ड्रिंक लेंगे.
इतना कहकर रमेश ने उसकी टाँगों को छुड़ाया और पैंटी की साइड छोर सरका कर चूत का मुआईना करने लगा.
चिपचिपी फूली हुई, हल्के रोयें से भरी चूत देख कर उसे अपनी बेटी रिया की याद आ गयी. तुरंत ही रमेश ने उंगली से चूत की फांकों को कुरेदना शुरू कर दिया. लंबाई उसे लगभग 3 इंच के बराबर जान पड़ी. जैसे ही रमेश ने अपनी मिडिल फिंगर अंदर डालनी चाही तो रश्मि ने टाँगों की जड़ को चिपका लिया और थोड़ा पीछे हट कर खड़ी हो गयी।
रमेश- क्या हुआ रश्मि?
रश्मि- अंकल सॉरी.
उसके चेहरे पर ग्लानि के भाव देख कर रमेश मुस्करा दिया- तुम कुँवारी नहीं हो. मेरी नज़र से कुछ नहीं बचता और शायद यही तुम्हारी परेशानी का कारण भी है. सही कहा ना मैंने?
फिर रमेश ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास खींचा और अगले ही पल किसी फूल की तरह अपनी गोद में उठा लिया। उमर ज़्यादा होने पर भी रमेश की मर्दाना ताकत से इंप्रेस होकर रश्मि ने अपना झूठ स्वीकार करने का फ़ैसला कर लिया।
वो बोली- जी अंकल, आपने सही पहचाना है, मैं वर्जिन नहीं हूं. लेकिन मैंने केवल एक बार ही किया हुआ है. मैं खून देख कर घबरा गयी थी और उसके बाद कभी मेरी हिम्मत नहीं हुई.
रश्मि के मुंह से सच सुन कर रमेश हँसने लगा और बोला- तो झूठ बोलने की कोई वजह?
रमेश ने उसे गोद से नीचे उतार कर कहा।
रश्मि- पैसे ज़्यादा मिल रहे थे, इसलिए बोल दिया था.
रश्मि के मुंह से ये स्वर बहुत ही धीमी आवाज में निकले.
रमेश- तो फिर अभी कितने दिये हैं उसने? रमेश ने उसका गंभीर चेहरा देख कर पूछा.
वो बोली- पचास हज़ार.
रमेश ने अपना हाथ रश्मि के सर पर ले जाकर रश्मि के बालों की पिन निकाल दी जिससे उसके लंबे बाल खुल कर पूरी पीठ पर फैल गये।
फिर रमेश ने मादक से स्वर में पूछा- लंड चूसना आता है? ये पूछते हुए रमेश अपने टॉवल के ऊपर से ही अपने तने हुए लंड को सहला रहा था.
चुदाई से पहले लंड चुसवाने का ये उसका शौक बहुत पुराना था.
रश्मि ने शरमाते हुए कहा- आता तो नहीं है, मगर आपकी खातिर चूस दूंगी.
रश्मि की इस भोली अदा पर तो रमेश एकदम से फिदा हो गया. उसने तुरंत अपना टॉवल खोल कर फर्श पर गिरा दिया. टॉवल गिरते हुए उसका मोटा तगड़ा लौड़ा जो इतनी देर से तौलिया की दीवार के पीछे कैद था अब हवा में खुले रूप से लहराने लगा.
बार बार उछाला देकर उसका लंड ये बता रहा था कि रश्मि के कोमल जिस्म को भोगने के लिए कितनी प्यास है उसके अंदर। रमेश ने धीरे से रश्मि का कोमल मुलायम हाथ पकड़ लिया और आहिस्ता से अपने झटके दे रहे लंड पर टिका दिया.
उसने अब अपनी बनियान निकाल दी और पूरा नंगा हो गया. साथ ही उसने रश्मि की ब्रा को भी निकाल दिया. रश्मि की नंगी चूची देख कर जैसे उसको कोई पुराना गड़ा हुआ खजाना मिल गया हो, कुछ ऐसी चमक आ गयी थी उसकी आंखों में।
धीरज खोकर उसने रश्मि की चूचियों को अपने हाथों में भर लिया और उनको आराम आराम से भींचना शुरू कर दिया. चूचियों पर रमेश के हाथ कसते ही रश्मि का हाथ भी रमेश के गर्म गर्म लोहे की तरह तप रहे लौड़े पर कस गया. रमेश लड़की को गर्म करने की कला में पूरा मास्टर था जिसका असर रश्मि पर साफ दिख रहा था.
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