RE: Hindi Antarvasna - Romance आशा (सामाजिक उपन्यास)
“मुझे शक है ।”
“आपका शक बेबुनियाद है ।” - देवकुमार आवेशपूर्ण स्वर में बोला - “मैडम, एक बार अपने दायरे से बाहर निकल कर फिल्म उद्योग का रुख कीजिये, बम्बई का सारे हिन्दोस्तान, का फिल्म उद्योग आपके कदमों में होगा । मैडम, सिकन्दर अगर मकदूनिया में ही अपनी जिन्दगी गुजार देता तो क्या वह सारी दनिया को फतह कर पाता ?”
“आपका बात कहने का ढंग बहुत शानदार है ।” - आशा बोली ।
“मेरे बात करने के ढंग को भाड़ में झोंकिये आप ।” - देव कुमार बोला - “आप अपने बारे में सोचिये । अपने भविष्य के बारे में सोचिये ।”
“मैं सोचूंगी ।” - आशा चाय का आखिरी घूंट हलक से नीचे उतारती हुई बोली ।
“चलें -।” सिन्हा उतावले स्वर में बोला ।
“चलिये ।” - आशा ने उत्तर दिया ।
सिन्हा ने वेटर को संकेत किया ।
“कहां का प्रोग्राम है ?” - देवकुमार ने पूछा ।
“पिक्चर देखने जा रहे हैं ?”
“कौन सी ?”
“अरे बस्क्यू ।”
“आई सी । सोफिया लारेन को देखने जा रही हैं आप ?”
“जी हां और ग्रैगरी पैक को ।”
“जबकि सोफिया लारेन को चाहिए कि वह आपको देखे ।”
“क्या मतलब ?”
“आप सोफिया लारेन से एक हजार गुणा ज्यादा खूबसूरत हैं मैडम ।”
“आपका ख्याल गलत है । सोफिया लारेन बहुत खूबसूरत अभिनेत्री है ।”
“मैं उसकी अभिनय कला की नहीं उसकी शारीरिक सुन्दरता की बात कर रहा हूं ।”
“खूबसूरती के लिहाज से भी वह संसार की गिनी चुनी तीन चार अभिनेत्रियों में से एक है ।”
“आप उसकी फैन मालूम होती हैं, इसीलिये आप उसकी इतनी तारीफ कर रही हैं । खुद मुझे तो सोफिया लारेन में उभरी हुई गाल की हड्डियां और बाकी शरीर के अनुपात से बड़ी छातियों के अतिरिक्त और कुछ दिखाई नहीं देता ।”
“अपना अपना ख्याल है ।” - आशा बोली ।
“मैंने तो अपनी जिन्दगी में जो सबसे अधिक खूबसूरत औरत देखी है, वह आप हैं ।”
“धमाका साहब यह क्या है ?” - आशा मेज पर रखे पानी के गिलास की ओर संकेत करती हुई बोली ।
“यह ?” - देवकुमार तनिक हड़बड़ाकर गिलास की ओर देखता हुआ बोला ।
“हां ।”
“पानी का गिलास है ।”
“अच्छा ।” - आशा आश्चर्य का प्रदर्शन करती हुई बोली - “जिस अनुपात से आप बात को बढा चढाकर कहते हैं, उससे मैं तो मैं समझी थी कि आप इसे बाल्टी बतायेंगे ।”
देवकुमार के चेहरे ने एक साथ कई रंग बदले ।
“आप” - वह बोला - “आप मेरी बातों को मजाक समझ रही हैं, मैडम ?”
“धमाका साहब” - सिन्हा उठता हुआ बोला - “आशा तुम्हारी बातों को क्या समझ रही है इस विषय में हम फिर कभी बात करेंगे । आओ आशा ।”
आशा खड़ी हुई ।
“मैं आप से फिर मिलूंगा, मैडम ।” - देवकुमार भी खड़ा हो गया और ऐसे बोला जैसे धमकी दे रहा हो ।
“जरूर मिलियेगा ।”
“मैडम, मेरा दावा है कि बहुत जल्दी ही सारी बम्बई की नजर सिर्फ आप पर होगी । आप बहुत जल्दी ही बम्बई में एक हंगामा बरपाने वाली हैं ।”
“अच्छा, देखते हैं ।”
“जरूर देखियेगा और तब आप इस बन्दे को मत भूल जाईये जिसने सबसे पहले आपको भविष्य में झांका है ।”
“नहीं भूलूंगी ।” - आशा मुस्कराकर बोली ।
“थैंक्यू वैरी मच ।” - देव कुमार सिर नवा कर बोला ।
“ओके ।” - सिन्हा देवकुमार से बोला और आशा के साथ उस ओर चल दिया जिधर उसमें अपनी कार पार्क की थी ।
देवकुमार वहीं खड़ा रहा ।
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