RE: Hindi Antarvasna - Romance आशा (सामाजिक उपन्यास)
“तो फिर” - अन्त में वह बोला - “यह तुम्हारा आखिरी फैसला है ?”
“हां ।” - आशा कठिक स्वर से बोली ।
“ओके ।” - अशोक गहरी सांस लेकर बोला - “ओके मैडम । जैसी तुम्हारी इच्छा ।”
आशा चुप रही ।
अनजाने में ही अशोक ने आशा की अंगूठी वाला हाथ दुबारा थाम लिया । वह एकाएक बेहद गम्भीर हो गया था ।
आशा ने अपना हाथ अशोक के हाथ से खींचने का प्रयत्न नहीं किया ।
“देखो, मैं तुम्हें एक बात बताता हूं ।” - एकाएक वह बोला ।
आशा ने प्रश्नसूचक नेत्रों से उसकी ओर देखा ।
“मैं उम्र में छोटा जरूर हूं ।” - अशोक उसकी उंगलियों से खेलता हुआ बोला - “लेकिन जहां तक सैक्स का सवाल है, मैंने बहुत दुनिया देखी है । जेपी - मेरा बाप - एक बेहद ऐय्याश आदमी है, जैसा कि जेपी जैसा हर पैसे वाला आदमी होता है । पचास साल से ज्यादा उसकी उम्र हो गई है, शरीर बूढा हो चला है लेकिन दिल अभी भी जवान है और शायद कब्र में पांव पहुंच जाने तक रहेगा लेकिन अब भी जेपी को अपना बिस्तर गर्म करने के लिये बीस साल से कम उम्र की लड़की चाहिये । आजकल के जमाने में पैसे वाला आदमी जो चाहता है, उसे हासिल हो जाता है । जेपी भी पैसे वाला है, वह जो चाहता है, उसे हासिल होता है और बिना एक उंगली भी हिलाये हासिल होता है । बचपन से लेकर आज तक मैं जेपी के विलासी जीवन के हर पहलू के दर्शन करता चला आ रहा हूं । नतीजा यह हुआ कि जल्दी ही मैंने भी वही कुछ करना आरम्भ कर दिया, जो मैंने अपने बाप को करते देखा ।”
अशोक एक क्षण रुका और फिर बोला - “पन्द्रह साल की उम्र में जिस औरत ने पहली बार मुझे मुहब्बत का सबक सिखाया था, वह उम्र में मुझसे कम से कम दुगनी बड़ी थी और जेपी के हरम की स्थायी सदस्या थी । उस दिन से लेकर आज तक मैंने अनगिनत लड़कियों से मुहब्बत की है । अनगिनत लड़कियों ने अपनी इच्छा से या अपने मां बाप की शह पाकर मेरे बैडरूम की शोभा बढाई है लेकिन मैंने आज तक किसी के साथ ईमानदारी से पेश आने की कोशिश नहीं की । सैकड़ों लड़कियां समुद्र की लहरों की तरह मेरे कदमों से टकराकर बिखर गई लेकिन मैं एक विशाल चट्टान की तरह अडिग खड़ा रहा । मुझ पर अपनी जवानी लुटा कर कंगाल हो चुकी लड़कियों के सिर धुनने का कोई असर नहीं हुआ । मैंने आज तक किसी लड़की को अच्छी निगाहों से नहीं देखा । जो भी लड़की मेरे सम्पर्क में आती है मैं उस पर अपनी झूठी मुहब्बत डाल देता हूं और एक बेरहम डाकू की तरह उसका सब कुछ लूट लेता हूं ।”
अशोक ने एक गहरी सांस ली और फिर बोला - “आशा, तुम पहली लड़की थी जिसकी सूरत देख कर मैंने उसके नंगे शरीर को कल्पना नहीं की बल्कि उस खूबसूरत दिल की कल्पना की जो अपनी जिन्दगी में आप किसी एक पुरुष से बेइन्तहा मुहब्बत कर सकता है, उसे दुनिया भर की खुशियां दे सकता है । मैंने तुम्हें देखा और पहली बार मेरे मन में एक अच्छी भावना ने एक अच्छे विचार ने जन्म लिया । तुम्हें देखकर मुझे यूं लगा, जैसे मैं अपनी जिन्दगी की बेहद पेचीदी और दुखदाई राह पर लगातार चलते रहने रहने के बाद एकाएक मंजिल पर पहुंच गया हूं । मैंने सच्चे दिल से तुमसे मुहब्बत की और एकाएक अपनी जिन्दगी की ढेर सारी आशायें तुम्हारी जिन्दगी के साथ जोड़ दी थी । जो थोड़े से क्षण मैंने तुम्हारे साथ गुजारे हैं, वे मेरी जिन्दगी के खूबसूरत, सबसे सुखद क्षण थे लेकिन शायद भगवान ने मेरी जिन्दगी के में इतना ही सुख लिखा था ।”
अशोक चुप हो गया ।
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