RE: Desi Sex Kahani वारिस (थ्रिलर)
“असल वजह की मद में मेरे पास आपके लिये अच्छी खबर भी है और बुरी खबर भी है । पहले कौन सी सुनेंगे ?”
“ओह, कैन दि थियेट्रिकल्स । ये स्टेज नहीं है । न ही मैं किसी नाकाम एक्टर की नाकाम परफारमेंस देखने का तमन्नाई हूं । सो कम टु दि प्वायन्ट ।”
“ओके । अच्छी खबर ये है कि मैं अभी भी आपका दामाद हूं ।”
“हं हं !” - देवसरे के स्वर में तिरस्कार का स्पष्ट पुट था ।
“ये हकीकत है कि....”
“खुशफहमी मत पालो, बरखुरदार । मैंने तो तुम्हें तब अपना दामाद नहीं माना जब मेरी बेटी जिन्दा थी, अब तो....”
“आपके मानने या न मानने से क्या होता है ?”
“होता है ।”
“चलिये ऐसे ही सही । फिर तो बुरी खबर वाकेई बुरी है आपके लिये ।”
“अब कह भी चुको ।”
“बुरी खबर ये है कि मैं यहां रोकड़ा कलैक्ट करने आया हूं ।”
“रोकड़ा ! कैसा रोकड़ा ?”
“वो रोकड़ा जो इस रिजॉर्ट में मेरे हिस्से का दर्जा रखता है ।”
“तुम्हारा हिस्सा ? माथा फिरेला है ?”
“अभी नहीं । आप एक अहम बात भूल रहे हैं कि आपने अपनी बिटिया रानी को यहां के बिजनेस के एक चौथाई हिस्से का वारिस बनाया था ?”
“तो ? उससे तुम्हें क्या मतलब ?”
“अपनी मौत से पहले सुनन्दा ने एक वसीयत ती थी जिसमें उसने मुझे, अपने पति को, अपना इकलौता वारिस करार दिया था । उस वसीयत के तहत आपके इस रिजॉर्ट में उसके मुकर्रर पच्चीस फीसदी हिस्से का हकदार अब मैं हूं । अब आप रिजॉर्ट की मौजूदा कीमत के एक चौथाई हिस्से के बराबर की रकम मुझे दे सकते हैं या एक चौथाई रिजॉर्ट मुझे सौंप सकते हैं ।”
देवसरे एकाएक बेहद खामोश हो गया । अपने हाथ में थमा नया जाम उसने धीरे से सामने मेज पर रख दिया । उसने कुछ क्षण अपलक पाटिल को घूरा लेकिन उसे विचलित होता न पाया तो वो बोला - “कब की उसने ये वसीयत ?”
“एक्सीडेंट से दस दिन पहले ।”
“मुझे यकीन नहीं ।”
“रजिस्टर्ड विल है ।”
“मुझे यकीन नहीं ।”
“मुझे आपसे ऐसी ही ढिठाई की उम्मीद थी इसलिये यकीन दिलाने का सामान मैं साथ ले आया हूं । ये” - उसने जेब से एक तयशुदा कागज निकाल कर देवसरे के सामने टेबल पर डाला - “वसीयत की जेरोक्स कापी है । मुलाहजा फरमाइये ।”
देवसरे ने मेज पर से कागज उठाने का उपक्रम न किया । उसने मुकेश को इशारा किया ।
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