RE: Desi Sex Kahani वारिस (थ्रिलर)
ब्लैक पर्ल क्लब गणपतिपुले को रत्नागिरि से जोड़ने वाली सड़क पर कोकोनट ग्रोव से कोई आधा मील के फासले पर स्थापित थी । उस इलाके में वैसी क्लब होना एक बड़ी घटना थी इसलिये सैलानियों की और आसपास के इलाकों के रंगीन मिजाज, तफरीहपसन्द लोगों की शाम को वहां अच्छी खासी भीड़ रहती थी । क्लब एक एकमंजिला इमारत में थी जिसके सामने का पार्किंग एरिया और मेन रोड से वहां तक पहुंचता ड्राइव-वे दिन डूबने के बाद खूब रोशन रहता था ।
क्लब में मेहमानों के मनोरंजन के लिये एक चार पीस का बैंड ग्रुप भी था और मीनू सावन्त नाम की एक पॉप सिंगर भी थी जिसके बारे में लोगबाग ये फैसला नहीं कर पाते थे कि वो गाती बढिया थी, या खूबसूरत ज्यादा थी ।
क्लब को असली कमाई पिछवाड़े के एक बड़े कमरे में स्थापित मिनी कैसीनो से थी जिसका प्रमुख आकर्षण रौलेट का गेम था । उस प्रकार के विलायती जुए का इन्तजाम वहां कानूनी था या गैरकानूनी, ये न कभी किसी ने दरयाफ्त किया था और न क्लब के मालिक अनन्त महाडिक ने इस बाबत कभी कुछ कहने की कोशिश की थी । बहरहाल वहां बार, जुआ, सांग, डांस सब बेरोकटोक चलता था ।
बालाजी देवसरे अपनी उस इलाके में आमद के पहले दिन से ही उस क्लब, का और उसके मिनी कैसीनो का रेगुलर पैट्रन था ।
देवसरे अमूमन ‘आजतक’ पर सात बजे की खबरें सुन चुकने के बाद क्लब का रुख करता था लेकिन विनोद पाटिल से हुई झैं झैं ने उसका ऐसा मूड बिगाड़ा था कि उस रोज उसे वहां पहुंचते पहुंचते नौ बज गये थे । अब वो क्लब के मेन हॉल के कोने के एक बूथ में अपनी ‘आया’ मुकेश माथुर और क्लब की हसीनतरीन पॉप सिंगर मीनू सावन्त के साथ मौजूद था जहां ड्रिंक हाथ में आने के बाद ही उसका मूड सुधरना शुरू हुआ था ।
देवसरे वहां मीनू सावन्त के संसर्ग से बहुत खुश होता था और संसर्ग उसे लगभग हमेशा हासिल रहता था । वो मीनू सावन्त के साथ नहीं होता था तो मिनी कैसीनो में होता था जिस तक पहुंचने का हॉल के पिछवाड़े के गलियारे से क्योंकि एक ही रास्ता था इसलिये मुकेश को ये अन्देशा नहीं था कि वो वहां से चुपचाप कहीं खिसक जायेगा । उस क्लब में मुकेश का अपने कलायन्ट की निगाहबीनी का काम मीनू सावन्त पर और मिनी कैसीनो को जाते गलियारे के दहाने पर निगाह रखने भर से ही मुकम्मल हो जाता था जो कि उसके लिये बहुत सुविधा की बात थी क्योंकि यूं महज वाचडॉग बने रहने की जगह खुद उसे भी वहां अपनी मनपसन्द तफरीह का मौका मिल जाता था ।
मीनू सावन्त बहुत खुशमिजाज लड़की थी और बावजूद इसके कि उसका क्लब के मालिक अनन्त महाडिक से टांका फिट था उसे क्लब के किसी मेहमान से मिलने जुलने या चुहलबाजी से कोई गुरेज नहीं होता था । इसी वजह से मुकेश को अक्सर उसके साथ चियर्स बोलने का या डांस करने का मौका मिल जाता था । ऐसे मौकों पर कई बार वो साफ कहती थी कि ‘रिंकी बुरा मान जायेगी’ तो मुकेश को उसे ये समझाने में बड़ी दिक्कत होती थी कि उसका रिंकी शर्मा से वैसा अफेयर नहीं था । जैसा कि मीनू सावन्त का अनन्त महाडिक से था । अलबत्ता ये बात वो उससे भी छुपा कर रखता था कि वो पहले से शादीशुदा था ।
रिंकी उस वक्त मेहर करनानी की सोहबत में थी । वो दोनों हॉल में एक मेज पर बैठे डिनर लेते उसे अपने केबिन में से निर्विघ्न दिखाई दे रहे थे । उस घड़ी केबिन में देवसरे यूं घुट घुट कर मीनू सावन्त से बातें कर रहा था जैसे मुकेश का वहां कोई अस्तित्त्व ही न हो ।
फिर एकाएक देवसरे उसकी ओर घूमा ।
“यहां बैठे क्या कर रहे हो ?” - वो बोला - “जा के मौज मारो ।”
“वही तो कर रहा हूं ।” - मुकेश उसे अपना विस्की को गिलास दिखाता हुआ बोला ।
“अरे पोपटलाल, बैंड डांस म्यूजिक बजा रहा है । जा के डांस करो ।”
“किसके साथ ?”
“ये मैं बताऊं ?
मुकेश की निगाह अनायास ही रिंकी शर्मा की ओर उठ गयी ।
देवसरे ने उसकी निगाह का अनुसरण किया और फिर धीरे से बोला - “मुझे नहीं लगता कि वो सिन्धी भाई की सोहबत को कोई खास एनजाय कर रही है ।”
“ऐसा ?”
“हां । जा के डांस के लिये हाथ बढाओ । वो हाथ थाम ले तो समझ लेना कि मेरी बात सही है ।”
सहमति में सिर हिलाता मुकेश उठा और रिंकी और मेहर करनानी की टेबल पर पहुंचा । उसने करनानी का अभिवादन किया और फिर बड़े स्टाइल में रिंकी से बोला-- “मैडम, मे आई हैव दिस डांस प्लीज ।”
“ये कॉफी पी रही है ।” - करनानी बोला ।
“पी चुकी हूं ।” - रिंकी जल्दी से बोली और उसने एक ही घूंट में अपना कप खाली कर दिया ।
“ये इस वक्त मेरी कम्पनी में है ।” - करनानी बोला - “तू क्यों कम्पनीकतरा बनना चाहता है, भई ?”
“वडी साईं” - मुकेश नाटकीय स्वर में बोला - “मेहर कर न नी !”
करनानी की हंसी छूट गयी ।
“ठीक है । ठीक है ।” - वो बोला - “लेकिन वापिस इधर ही जमा करा के जाना उसे ।”
“यस, बॉस ।”
दोनों डांस फ्लोर पर पहुंचे और बांहें डाल कर बैंड की धुन पर डांस करते जोड़ों में शामिल हो गये ।
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