RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
लंच से लौटे राज माथुर ने मैरीन ड्राइव की एक बहुमंजिला इमारत में स्थित आनन्द आनन्द आनन्द एण्ड एसोसियेट्स के आफिस में कदम रखा । वो वकीलों की एक बड़ी पुरानी फर्म थी जिसके ‘एण्ड एसोसियेट्स’ वाले हिस्से का प्रतिनिधित्व युवा राज माथुर करता था जो कि अपनी बद्किस्मती और अपने दिवंगत पिता की जिद की वजह से वकील था ।
“आपको बड़े आनन्द साहब याद कर रहे हैं ।” - उसके भीतर कदम रखते ही चपरासी बोला ।
राज ने सहमति में सिर हिलाया और फिर अपने कबूतर के दड़बे जैसे केबिन में जा बैठने की जगह उसने बड़े आनन्द, नकुल बिहारी, के विशाल सुसज्जित आफिस में कदम रखा ।
“आपने याद किया, सर ! - राज बड़े अदब से बोला ।
बड़े आनन्द साहब ने आदतन उसे अपने बाइफोकल्स में से घूरा और फिर बोले - “आजकल क्या कर रहो हो ?”
“खास कुछ नहीं, सर ।”
“खास कुछ कब करोगे ?”
राज से उस नाजायज सवाल को जवाब देते न बना ।
“तुम्हारे पिता तो अब रहे नहीं लेकिन तुम्हारी मां फर्म में तुम्हारी प्रॉग्रेस के बारे में अक्सर सवाल पूछती है । वो चाहती है कि हम उसे ये गुड न्यूज दें कि अब तुम यहां अपने काम को पिकअप कर रहे हो । जिस दिन हम उसे ये खबर देंगे कि तुम अपने पिता के मुकाबले में एक चौथाई काबिल वकील भी बन गये हो तो वो तुम्हारी शादी कर देगी ।”
“मुझे शादी की जल्दी नहीं, सर ।”
“यानी कि तुम्हें तरक्की की जल्दी नहीं । अपने पिता से एक चौथाई ही सही लेकिन काबिल बनने की जल्दी नहीं ।”
“सर, मेरा वो मतलब नहीं था । मेरा तो सिर्फ ये मतलब था कि मैं अभी शादी...”
“तुम्हारी शादी की जल्दी तुम्हारी मां को है । मां को । समझे ।”
“ज... जी... जी हां ।”
“तीन साल से तुम अपने पिता की जगह यहां हो । अभी तक का तुम्हारा ट्रैक रिकार्ड ये समझ लो कि ‘जस्ट एवरेज’ है ।”
“सर, वो क्या है कि...”
“सुनते रहो । बीच में मत टोको ।”
“यस, सर ।”
“मैं तुम्हें एक जिम्मेदारी का काम सौंपने जा रहा हूं । मैं तुम्हें अपनी काबलियत दिखाने का, अपनी उम्दा काबलियत दिखाने का, एक सुनहरा मौका देने जा रहा हूं ।”
राज का दिल डूबने लगा । क्या कराना चाहता था बूढा उससे ?
“यंग मैन, आई हैव ए स्पेशल असाइनमैंट फार यू ।” - वृद्ध बोले - “आर यू रेडी फार इट ?”
“यस, सर । आफकोर्स, सर ।”
“तुम्हें गोवा जाना है ।”
“क... कब ?”
“आज ही । शाम ही फ्लाइट से । तुम्हारी टिकट मैंने मंगवा ली है ।”
“ग... गोवा कहां, सर ?”
“फिगारो आइलैंड पर । ये कोई ढाई सौ किलोमीटर के क्षेत्रफल वाला छोटा सा आइलैंड है । पणजी से सोलह किलोमीटर दूर कलंगूट बीच है, उससे वाकिफ हो ?”
“यस, सर ।”
“फिगारो आइलैंड वहां से पचास किलोमीटर दूर है जहां के लिये कलंगूट बीच से स्टीमर मिलता है । वहा तुम्हें मिस्टर सतीश नाम के एक साहब के यहां पहुंचना है । मिस्टर सतीश वहां की मशहूर हस्ती है । आइलैंड पहुंचने पर कोई भी टैक्सी वाला तुम्हें वहां पहुंचा देगा । ओके ?”
“यस, सर ।”
“मिस्टर सतीश को तुम्हारी आमद की खबर कर दी जायेगी । वहां तुम्हारा पूरा स्वागत होगा इसलिये बेखौफ जाना ।”
“थैक्यू, सर । लेकिन काम क्या है ?”
“यंग मैन, ऐसा सवाल नहीं करना चाहिये जिसका जवाब वैसे ही सामने आने वाला हो । मैं तुम्हें यही बताने जा रहा था कि तुमने बीच में टोक दिया ।”
“आई एम सॉरी, सर ।”
“बुरी आदत होती है अपने सीनियर को बीच में टोकना ।”
“आई विल रिमेम्बर, सर ।”
“तुम शायद नाडकर्णी के नाम से वाकिफ हो ?”
“जी हां । वो एक रईस आदमी था और अपनी जिन्दगी में हमारी फर्म का क्लायन्ट था ।”
“करैक्ट । मुझे खुशी है कि तुम कभी-कभार कोई अहम बात याद भी रख पाते हो ।”
कमीना ! खामखाह मिर्ची लगाता है !
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