RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“उससे बेहतर । मैं जब उसके दरवाजे पर पहुंची थी तो वो भीतर वसुन्धरा को किसी बात पर डांट रही थी । वसुन्धरा कुछ कहने की कोशिश करती थी तो वो उसे बीच में ही टोक देती थी और फिर उस पर बरसने लगती थी । मैं तो चुपचाप लौट आयी वापिस ।”
“अच्छा किया ! वर्ना वो तुझे भी फिट कर देती ।”
“वही तो ।”
“ऐग्जेक्टली ऐज आई सैड ।” - सतीश - “हमारी पायल आज भी पहले ही जैसी गुस्सैल और तुनकमिजाज है ।”
“अजीब बात है” - राज बोला - “कि वो हाउसकीपर पर बरस रही थी ।”
“अजीब क्या है इसमें ?”
“जनाब, हाउसकीपर तो उसकी इतनी तारीफ कर रही थी । उसे निहायत मिलनसार, निहायत खुशमिजाज बता रही थी । जो लड़की उस के साथ पायर से यहां के रास्ते में इतना अच्छा पेश आयी थी, उसके यहां आते ही ऐसे तेवर क्योंकर बदल गये थे कि वो हाउसकीपर पर बरसने लगी थी ? ऐसा बरसने लगी थी कि उसे अपनी सफाई का कोई मौका नहीं दे रही थी ?”
“दैट इज अवर पायल वर हण्ड्रड पर्सेंट । माई डियर यंग मैन, मौसम जैसा मिजाज सिर्फ हमारी पायल ने ही पाया है । अभी लू के थपेड़े तो अभी ठण्डी हवायें । अभी चमकीली धूप तो अभी गर्ज के साथ छींटे । अभी...”
तभी वातावरण एक चींख की तीखी आवाज से गूंजा ।
सब सन्नाटे में आ गये ।
“ये तो” - फिर सतीश दहशतनाक लहजे से बोला - “आलोका की आवाज है ।”
“ऊपर से आयी है ।” - राज बोला ।
तत्काल सब उठकर ऊपर को भागे ।
चीख की आवाज फिर गूंजी ।
आलोका उन्हें पायल के कमरे के खुले दरवाजे की चौखट से लगी खड़ी मिली । उसके चेहरे पर दहशत के भाव थे और वो चौखट के साथ लगी-लगी जड़ हो गयी मालूम होती थी ।
सतीश, जो सबसे आगे था, सस्पेंसभरे स्वर में बोला - “आलोका ! क्या हुआ, हनी ?”
आलोका के मुंह से बोल न फूटा । उसने अपनी एक कांपती हुई उंगली कमरे के भीतर की ओर उठा दी ।
राज लपककर अपने मेजबान के पहलू में पहुंचा और उसने कांपती उंगली द्वारा इंगित दिशा का अपनी निगाहों से अनुसरण किया ।
कमरे के कालीन बिछे फर्शे पर हाउसकीपर वसुन्धरा की लाश पड़ी थी । उसकी छाती में गोली का सुराख दिखाई दे रहा था जिसके इर्द-गिर्द और नीचे कालीन पर लाश के पहलू में बहकर जम चुका खून दिखाई दे रहा था । उसकी पथराई हुई आंखें छत पर कहीं टिकी हुई थीं ।
वो निश्चित रूप से मर चुकी थी ।
Chapter 2
नकुल बिहारी माथुर नजदीकी ताजमहल होटल में लंच पर जाने के लिये उठने ही वाले थे कि वो टेलीफोन काल आ गयी थी ।
“सर, मैं राज माथुर बोल रहा हूं । फिगारो आइलैंड से ।”
“अर्जेन्ट काल क्यों बुक कराई ?”
खुदा की मार पड़े बूढे पर - राज दांत पीसता मन-ही-मन बोला - अर्जेन्ट काल की फीस पर कलप रहा था, ये नहीं पूछ रहा था कि काल उसने की क्यों थी !
“सर, आर्डिनरी काल लग नहीं रही थी ।”
“तो इन्जतार करना था काल लगने का । ऐसी क्या तबाही आ गयी है जो...”
“सर, तबाही तो नहीं आयी लेकिन...वो क्यों है कि यहां...यहां एक कत्ल हो गया है ।”
“कत्ल ! कत्ल हो गया है बोला तुमने ?”
“यस, सर ।”
“किसका कत्ल हो गया ? जरा ऊंचा बोलो और साफ बोला ।”
“सर, यहां मिस्टर सतीश के दौलतखाने पर उनकी हाउसकीपर वसुन्धरा पटवर्धन का कत्ल हो गया है । किसी ने उसे शूट कर दिया है ।”
“हाउसकीपर का...हाउसकीपर का कत्ल हुआ है ?”
“यस, सर ।”
“हमारी क्लायन्ट तो सलामत है न ?”
तौबा !
“सलामत ही होगी सर ।”
“होगी क्या मतलब ?”
“सर, वो गायब है ।”
“गायब है ? यानी कि हमें मिली खबर गलत थी । मिसेज नाडकर्णी आइलैंड पर नहीं पहुंची थी ।”
“सर, मिसेज नाडकर्णी, आई मीन पायल, आइलैंड पर तो पहुंची थी, मिस्टर सतीश के मैंशन पर भी पहुंची थी लेकिन अब वो गायब है । आई मीन यहां पहुंचने के बाद के किसी वक्त से गायब है ।”
“कहां गायब है ?”
लानती ! जिसके बारे में मालूम हो कि वो कहां गायब थी, उसे गायब कैसे कहा जा सकता था !
“सर, पता नहीं ।”
“तो फिर क्या फायदा हुआ फोन करने का, अर्जेन्ट फोन काल पर कर्म का पैसा खराब करने का !”
“सर, वो क्या है कि...”
“फर्स्ट काम डाउन । एण्ड कन्ट्रोल युअरसैल्फ । अब जो कहना है साफ-साफ कहो, एक ही बार में कहो और इस बात को ध्यान में रखकर कहो, कि तुम अर्जेन्ट ट्रंककाल पर बात कर रहे हो । पैसा पेड़ों पर नहीं उगता ।”
“यस, सर । सर वो क्या है कि रात को दो बजे हाउसकीपर वसुन्धरा पूर्वनिर्धारित प्रोग्राम के मुताबिक पायल को पायर पर रिसीव करने गयी थी जहां से कि वो कोई तीन बजे के करीब पायल के साथ वापिस लौटी थी । पायल क्योंकि बहुत थकी हुई थी इसलिये वो यहां आते ही सो गयी थी । आज सुबह दस बजे तक भी जब वो ब्रेकफास्ट पर न पहुंची तो उसकी पड़ताल को गयी थी । सर, उसके कमरे में हाउसकीपर वसुन्धरा की लाश पड़ी पायी गयी थी और वो खुद वहां से गायब थी । सर, यहां आम धारणा ये है कि पायल ने ही वसुन्धरा का कत्ल किया है और फिर फरार हो गयी है ।”
“आम धारणा है ! किसकी आम धारणा है ?”
“सबकी, सर । पुलिस की भी ।”
“बट दैट इज रिडीक्यूलस ! मिसेज नाडकर्णी कातिल कैसे हो सकती है ?”
“सर, पुलिस कहती है कि...”
“क्या पुलिस को मालूम नहीं कि मिसेज नाडकर्णी हमारी क्लायन्ट है । आनन्द आनन्द आनन्द एण्ड एसोसियेट्स की क्लायन्ट है ?”
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