RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“सर, यहां की पुलिस ने हमारी फर्म का कभी नाम तक नहीं सुना ।”
“ऐसा कैसे हो सकता है ! हम कोई छोटी-मोटी फर्म हैं ? कलकत्ता और दिल्ली में हमारी ब्रांचें हैं । फारेन तक के केस आते हैं हमारे पास । इतने बड़े और रसूख वाले क्लायन्ट हैं हमारे । हम...”
“सर, हम अर्जेन्ट ट्रंककाल पर बात कर रहे हैं ।”
“यू और टैलिंग मी ? जो बात मुझे तुम्हारे से पहले मालूम है वो तुम मुझे बता रहे हो ?”
“बता नहीं रहा, सर, याद दिला रहा हूं ।”
“ओके ओके । अब आगे बढो । कब हुआ कत्ल ?”
“रात को ही । पायल के आने के बाद किसी वक्त ।”
“उस वक्त हाउसकीपर... वाट वाज हर नेम ?”
“वसुन्धरा । वसुन्धरा पटवर्धन ।”
“उस वक्त वो क्या कर रही थी मिसेज नाडकर्णी के कमरे में ?”
“मालूम नहीं, सर । लेकिन पुलिस का कहना है कि पायल ने ही किसी काम के लिये उसे अपने कमरे में तलब किया होगा और जब वो वहां पहुंची होगी तो उसने उसे शूट कर दिया होगा ।”
“क्यों ? क्यों शूट कर दिया होगा ? मिसेज नाडकर्णी की कोई अदावत थी, कोई रंजिश थी हाउसकीपर से ?”
“कैसे होगी, सर । वो दोनों तो एक-दूसरे को पहले जानती तक नहीं थीं । पायल के पूरे सात साल बाद वहां कदम पड़े बताये जाते थे और हाउसकीपर को मिस्टर सतीश की मुलाजमत में अभी सिर्फ तीन महीने हुए थे ।”
“सो देयर यू आर । ये बात अपने आप में सुबूत है कि हमारी क्लायन्ट उस... उस हाउसकीपर की कातिल नहीं हो सकती ।”
“सर, वो गायब है । हाउसकीपर की लाश को पीछे अपने कमरे के फर्श पर पड़ी छोड़कर वो गायब है । सर, कत्ल पायल के कमरे में हुआ । ऐसे हालात में उसका मौकायवारदात से गायब हो जाना अपनी कहानी खुद कह रहा है ।”
“वो कहीं इधर-उधर गयी होगी, लौट आयेगी ।”
“सर, पुलिस ने बहुत जगह पूछताछ की है । पुलिस ने यहां के फैरी पायर पर से पूछताछ की है, हेलीपैड से दरयाफ्त किया है, वो कहीं नहीं देखी गयी । क्योंकि आइलैंड से रुख्सत होने के ये ही दो ठिकाने हैं, हैलीकाप्टर और स्टीमर ही दो जरिये हैं इसलिये पुलिस का ख्याल है कि वो अभी भी आइलैंड पर ही कहीं छुपी हुई है ।”
“छुपी हुई है ?”
“यस, सर ।”
“जैसे क्रिमिनल्स छुपते हैं ? फ्यूजिटिव छुपते हैं ?”
“यस, सर ।”
“ओह बौश एण्ड नानसेंस । आनन्द आनन्द आनन्द एण्ड एसोसियेट्स का क्लायन्ट और क्रिमिनल ! भगोड़ा ! वो क्या...”
“सर, आई बैग टु रिमाइन्ड अगेन दैट...”
“जरूरत नहीं रिमान्ड कराने की । मुझे याद है कि हम ट्रंककाल पर, अर्जेंट ट्रंककाल पर बात कर रहे हैं । ट्रंककाल कॉस्टस मनी । अर्जेंट ट्रंककाल कॉस्ट्स मोर मनी एण्ड लाइटनिंग ट्रंककाल...”
“सर, सर ।”
“माथुर, मैं तुम्हें और काम सौंप रहा हूं । नोट करो ।”
“यस सर ।”
“नम्बर एक, मिसेज नाडकर्णी को आइलैंड पर तलाश करो । नम्बर दो, पुलिस को ये यकीन दिलाओ कि उनका मिसेज नाडकर्णी पर खूनी होने का शक करना नादानी है । हमारी क्लायन्ट खूनी नहीं हो सकती ।”
“आई नो, सर ।”
“नम्बर तीन, सोमवार सुबह साढे दस बजे मिसेज नाडकर्णी को साथ लेकर यहां आफिस में पहुंचो ताकि उसके विरसे का निपटारा किया जा सके और बतौर ट्रस्टी हम अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो सकें ।”
“यस, सर । पायल न मिली तो मैं आइलैंड साथ लेता आऊंगा जिसे हम अपने दफ्तर में खंगाल कर उसमें से अपनी क्लायन्ट बरामद कर लेंगे । जैसे बजरंगबली सुमेरु पर्वत उठा लाये थे तो उस पर से संजीवनी बूटी बरामद कर ली गयी थी । ईजी ।”
“वाट ! वाट डिड यू से ?”
“मैंने तो कुछ भी नहीं कहा, सर ।”
“लेकिन मैंने सुना कि...”
“लाइन में कोई खराबी हो गयी मालूम हो रही है, सर । क्रॉस टॉक हो रही है । बीच-बीच में मुझे भी कुछ अजीब-सा सुनायी दे रहा था ।”
“ओह, क्रॉस टॉक !”
“मैंने आदेश नोट कर लिये हैं, सर । मैं सब पर अमल करूंगा, सर ।”
“गुडलक, माई ब्वाय ।”
“थैक्यू, सर ।”
उसने रिसीवर हुक पर टांगा और इमारत से बाहर निकला ।
वो इमारत करीबी पोस्ट आफिस की थी जहां कि चुपचाप पहुंचकर उसने अपने बॉस को फोन किया था और अपनी हालत ‘नमाज बख्शवाने गये, रोजे गले पड़ गये’ जैसी कर ली थी ।
पैदल चलता हुआ वो सतीश की एस्टेट में वापिस लौटा ।
पोर्टिको में ही उसे एक हवलदार मिल गया जिसने उसे खबर दी कि सब-इंस्पेक्टर जोजेफ फिगुएरा उससे फिर बात करना चाहता था और वो इस बात से खफा हो रहा था कि राज माथुर इस काम के लिये तुरन्त उपलब्ध नहीं था ।
वो भीतर दाखिल हुआ ।
उसने सबको लाउन्ज में मौजूद पाया । सब-इंस्पेक्टर फिगुएरा कोई चालीस साल का व्यक्ति था जिसके चेहरे पर उस घड़ी बड़े कठोर भाव थे । वो एक टेबल के करीब खड़ा था और उस पर फैली कोई दर्जन भर तस्वीरों का मुआयना कर रहा था ।
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