RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“मूल रूप से वो कहां की रहने वाली थी ?”
“मालूम नहीं । केयरटेकर को मालूम होगा ।”
“उसने” - आयशा बोली - “मुझे बताया कि वो शोलापुर की रहने वाली थी ।”
“उसके परिवार के बारे में आपको काई जानकारी है या वो भी आपका केयरटेकर ही आयेगा तो बतायेगा ?”
“परिवार नहीं है उसका । मेरा मतलब है मां-बाप, अंकल-आंटी, भाई-बहन जैसा कोई नजदीकी रिश्तेदार नहीं था उसका ।”
“अनाथ थी ?”
“ऐसा ही था कुछ । शुरु से नहीं तो बाद में सब मर खप गये होंगे ।”
“पहले क्या करती थी ?”
“बम्बई और पूना में कई जगह सेल्सगर्ल की नौकरी कर चुकी थी । हाउसकीपर की ये उसकी पहली नौकरी थी ।”
“अपनी पिछली नौकरियों के बारे में कभी कुछ बताया हो उसने आप को ?”
“नहीं । सच पूछो तो मैंने इस बाबत उससे कभी कुछ नहीं पूछा था । अपनी संकोची प्रवृत्ति की वजह से वो बातचीत से कतराती थी इसलिये मैं भी उसे कुरेदने की कोशिश नहीं करता था ।”
“बहरहाल आपकी हाउसकीपर के और पायल के समाजी रुतबे में तो बहुत फर्क हुआ ?”
“बिल्कुल हुआ । वसुन्धरा तो, ये कह लीजिये कि, सर्वेन्ट क्लास थी जब कि, कर्टसी लेट श्याम नाडकर्णी, कम-से-कम पिछले सात साल से तो पायल का समाजी रुतबा बड़ा था । वो एक पैसे और रसूख वाले आदमी की बीवी थी... बेवा थी ।”
“यानी कि दोनों में कुछ कामन नहीं था ?”
“जाहिर है ।”
“तो फिर कत्ल का उद्देश्य क्या हुआ ? क्यों पायल ने उसका कत्ल....”
“नहीं किया ।” - एकाएक ज्योति तीखे स्वर में बोली - “पायल ने उसका कत्ल नहीं किया ।”
“कौन बोला ?” - सब-इंस्पेक्टर सकपकाया-सा उपस्थित परियों के चेहरों पर निगाह घुमाता हुआ बोला ।
“मैं बोली ।” - ज्योति बोली । वो जोश में उठकर खड़ी हो गयी थी । वो इतनी आन्दोलित दिखाई दे रही थी कि अमूमन रोब और शाइस्तगी दिखाने वाला उसका चेहरा उस घड़ी तमतमाया हुआ था - “मिस्टर सब-इंस्पेक्टर, उद्देश्य ढूंढते ही रह जाओगे । क्योंकि उद्देश्य है ही नहीं । क्योंकि पायल ने हाउसकीपर का कत्ल नहीं किया है । पायल की बाबत ऐसा सोचना भी जहालत और कमअक्ली होगी ।”
“आप” - सब-इंस्पेक्टर उसे घूरता हुआ बोला - “ये सोच-समझ के ऐसा कह रही हैं कि हाउसकीपर वसुन्धरा की लाश अभी भी ऊपर पायल के कमरे में पड़ी है और पायल फरार है ।”
“वो फरार नहीं है ।”
“ओके । वो गायब है ।”
“वो गायब भी नहीं है ।”
“तो क्या हमारे बीच में बैठी हुई है ?”
“वो... वो सिर्फ यहां नहीं है । किसी के किसी एक जगह पर न पाये जाने का मतलब ये नहीं होता कि वो गायब है या... या फरार है । जब वो यहां से गयी थी तब उसे मालूम तक नहीं था कि उसके पीछे यहां क्या हुआ था । उसे नहीं पता था कि यहां कोई कत्ल हो गया था । कसम उठवा लीजिये उसे नहीं पता था । मेरे से बेहतर पायल को कोई नहीं जानता और मैं ये जानती हूं कि वो मुझे धोखा नहीं दे सकती, वो मेरे से झूठ...”
वो ठिठक गयी, वो अपने होंठ काटने लगी ।
“हां हां ।” - सब-इंस्पेक्टर बोला - “कहिये । आगे बढिये ।”
जवाब में ज्योति ने यूं होंठ भींचे और यूं उनके आगे अपनी बंद मुट्ठी लगायी जैसे अपनी जुबान दोबारा न खुलने देने का सामान कर रही हो ।
“मैडम !” - सब-इंस्पेक्टर तीखे स्वर में बोला ।
“यस ।” - ज्योति फंसे कण्ठ से बोली ।
“इधर मेरी तरफ देखिये ।”
उसने बड़ी कठिनाई से सब-इंस्पेक्टर की तरफ सिर उठाया ।
“आप पायल से मिली थीं ।”
“नहीं, नहीं !”
“आप न सिर्फ पायल से मिली थीं, आपने उससे बात भी की थी । कबूल कीजिये ।”
जवाब में वो धम्म से वापिस अपनी कुर्सी पर बैठ गयी । उसने सिर झुका लिया और बार-बार बेचैनी से पहलू बदलने लगी ।
“जवाब दीजिये ।” - सब-इंस्पेक्टर अपने खास पुलसिया अन्दाज से कड़ककर बोला ।
“हां ।” - ज्योति बड़ी मुश्किल से बोल पायी - “मैं मिली थी उससे । हमारे में बातचीत भी हुई थी ।”
“कब ? किस वक्त ?”
“वक्त की मुझे खबर नहीं क्योंकि मैंने घड़ी नहीं देखी थी । लेकिन तब अभी अन्धेरा था और पौ फटने के अभी कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे थे । मेरी एकाएक नींद खुल गयी थी और पायल के बारे में सोचती मैं दोबारा सो नहीं सकी थी । मिस्टर सतीश ने पायल से हमारी मुलाकात ब्रेकफास्ट पर कराने की बात कही थी और मैं अपने पुराने तजुर्बे से जानती थी कि यहां ब्रेकफास्ट नौ बजे से पहले नहीं होता था । यानी कि पायल से मुलाकात के लिये मुझे नौ बजने का इन्तजार करना पड़ता जो कि उस घड़ी मेरे से नहीं हो रहा था । आखिर वो मेरी इतनी पुरानी फ्रेंड थी । इतना कुछ हम दोनों में कामन था । हम दोस्त ही नहीं, एक तरह से बहनें थीं...”
“आई अन्डरस्टैण्ड । मतलब ये हुआ कि आप तभी उठकर उसके कमरे में चली गयीं जहां कि आपकी उससे मुलाकात हुई ?”
“नहीं, वहां नहीं । उसके कमरे में नहीं । वो... वो मुझे बाल्कनी में सीढियों के दहाने पर मिली थी । मुझे देखकर उसने होंठों पर उंगली रखकर मुझे खामोश रहने को कहा था और नीचे चलने का इशारा किया था । मैं उसके पीछे-पीछे सीढियां उतरी थी और फिर लाउन्ज पार करके पोर्टिको में पहुंच गयी थी जहां कि मेरी उससे बात हुई थी ।”
“वो क्या वाक पर जा रही थी ?”
“नहीं । वाक वाली ड्रैस नहीं थी उसकी । वो तो यहां से पलायन करने की तैयारी में थी ।”
“वो चुपचाप यहां से खिसक रही थी ?” - सतीश हैरानी से बोला - “बिना किसी से मिले ? बिना अपने बुलबुल सतीश से मिले ? बिना किसी से राम-सलाम भी किये ?”
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