RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“क्यों नहीं है ? तुम्हें नहीं पता क्यों नहीं है ? रात को क्या कोई अपने साथ गवाह लेकर सोता है ? हममें से किसी को क्या मालूम था कि वहां कत्ल होने वाला था जो कि कोर्ई अपने लिये एलीबाई का एडवांस इन्तजाम करके रखता ।”
“एक जने को तो यकीनन मालूम था ।”
“किसको ?”
“कातिल को ।”
“फिर पहुंच गये उसी पुरानी जगह पर ! अरे, मैं बोला न कि हममें कोई कातिल नहीं हो सकता ।”
“कातिल बाहर से आया भी नहीं हो सकता ।”
“ये बात” - राज बोला - “आप उस शख्स को जेहन में रख के कह रहे हैं जिसने कल रात पोर्टिको में हाउसकीपर पर हमला किया था ?”
“हमला नहीं किया था, सिर्फ धक्का दिया था ।”
“धक्का भी हमला ही होता है ।”
“उसने जो किया था, पकड़े जाने से बचने के लिये किया था ।”
“यानी कि वो ही शख्स फिर लौट आया नहीं हो सकता ? हत्या करने के इरादे से ?”
“नहीं । हम पहले ही कह चुक हैं कि वो कोई लोकल छोकरा था जो कि यहां मौजूद सुन्दरियों को ताकने-झांकने की नीयत से एस्टेट में घुस आया था । कोई पीपिंग टॉम था वो । उसको, यहां से कतई नावाकिफ शख्स को, ये खबर नहीं हो सकती थी कि इतने बड़े मैंशन में पायल कहां उपलब्ध थी !”
“कत्ल” - सतीश बोला - “पायल का नहीं हुआ ।”
“सर, लाइक दैट वुई विल बी बैक टु स्कवायर वन । जब हम पहले से ही इस सम्भावना पर विचार कर रहे हैं कि हाउसकीपर का कत्ल पायल के धोखे में हुआ हो सकता है तो...”
“ओके । ओके ।”
सब-इंस्पेक्टर की निगाह पैन होती हुई उपस्थित लोगों पर फिरी और फिर वो बोला - “तो मैं मिस्टर सतीश के जवाब को ही आप लोगों का भी जवाब समझूं ?”
तमाम सिर सहमति में हिले ।
“आप लोगों में कोई भी ऐसा नहीं जिसकी रात साढे तीन से सुबह पांच बजे तक की कोई मूवमेंट जिक्र के काबिल हो ?”
किसी ने जवाब न दिया ।
“किसी ने गोली चलने की आवाज सुनी ?”
तमाम सिर इनकार में हिले ।
“रात के सन्नाटे में चली गोली की आवाज तो इमारत में काफी जोर से गूंजी होगी !”
“इमारत में गूंजी होगी ।” - ब्राडो बोला - “लेकिन बन्द दरवाजों को न भेद पायी होगी । ऊपर से रात एक बजे तक यहां ड्रिंक्स का दौर चल रहा था जिसके बाद, जाहिर है कि, हर कोई घोड़े बेचकर सोया होगा । ऐसे माहौल में तो यहां तोप ही चलती तो शायद किसी को सुनाई देती ।”
“ऊपर से” - राज बोला - “नींद से एकाएक जागे ऐसे किसी व्यक्ति को क्या सूझ जाता कि वो गोली की आवाज थी ?”
“यानी कि किसी ने गोली की आवाज सुनी थी लेकिन उसे ये नहीं सूझा था कि वो गोली की आवाज थी ?”
“मैंने ये कब कहा !” - राज हड़बड़ाकर बोला - “मैंने तो महज एक मिसाल दी थी ।”
“मिसाल दी थी ! हूं । तो गोली की आवाज किसी ने नहीं सुनी थी ?”
तमाम सिर फिर इनकार में हिले ।
“अभी मैंने कहा था कि बैलेस्टिक्स का मुझे कोई खास तजुर्बा नहीं लेकिन इतना मैं फिर भी कह सकता हूं कि कत्ल किसी हैण्ड गन से - किसी पिस्तौल से या रिवॉल्वर से - हुआ था । लेकिन आलायकत्ल, वो गन, मौकायवारदात से बरामद नहीं हुई है । जिसका मतलब ये है कि घातक वार करने के बाद हत्यारा अपनी गन अपने साथ ले गया था ।”
“जोकि” - ब्राडो व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोला - “आप समझते हैं कि वो अभी भी अपने पास ही रखे होगा ?”
“लाइसेंसशुदा हथियार को और उसके मालिक को ट्रेस करना आसान होता है । लाइसेंसशुदा हथियार उसके मालिक की जिम्मेदारी होता है जिससे वो आसानी से किनारा नहीं कर सकता । मांगे जाने पर उसे वो हथियार इन्स्पेक्शन के लिये पेश करना पड़ सकता है । न पेश कर पाने पर और भी सख्त जवाबदेही से दो-चार होना पड़ सकता है । यानी कि जहां एक कत्ल का दख्ल हो, वहां ऐसा जवाब कि ‘मेरी पिस्तौल यहीं थी, पता नहीं कहां चली गयी’ या ‘किसी ने इसे इस्तेमाल करके वापिस रख दिया होगा’ जैसा जवाब नहीं चल सकता । अब मेरा सवाल है कि क्या आपमें से किसी के पास कोई हथियार है ?”
तमाम बुलबुलों का और राज का सिर इनकार में हिला ।
सब-इन्स्पेक्टर ने सतीश की तरफ देखा ।
“माई डियर, सर ।” - सतीश हड़बड़ाया-सा बोला - “मेरे पास तो हथियार नहीं है लेकिन हथियारों का यहां क्या घाटा है ?”
“क्या मतलब ?”
“यहां लायब्रेरी में बाकायदा शस्त्रागार है । तोप को छोड़कर शायद ही कोई ऐसा फायरआर्म होगा जो कि वहां नहीं है ! लायब्रेरी की एक दीवार दायें से बायें तक और ऊपर से नीचे तक रायफलों, बन्दूकों, रिवॉल्वरों, पिस्तौलों वगैरह से ही भरी हुई है । तुम्हारे खास इस बाबत सवाल पूछने से पहले मुझे तो इस बात का ख्याल ही नहीं आया था ।”
“वो सब हथियार लाइसेंसशुदा है ?”
“हां ।”
“सबका आपके पास रिकार्ड है ?”
“हां । बिल्कुल । लायब्रेरी में बाकायदा एक फायरआर्म्स रजिस्टर मौजूद है ।”
“वारदात के बाद आपने जाकर अपने फायर आर्म्सकलैक्शन का मुआयना किया ?”
“नहीं । सूझा तक नहीं मुझे ऐसा करना ।”
“जब कि हो सकता है कि कातिल ने आलायकत्ल आपके कलैक्शन से ही मुहैया किया हो ।”
सतीश खामोश रहा लेकिन अब उसके चेहरे पर परेशानी के भाव दिखाई देने लगे थे ।
“आप फायरआर्म्स को ताले में नहीं रखते ?”
“नहीं ।”
“लायब्रेरी की तो ताला लगता होगा ?”
“यहां किसी चीज को ताला नहीं लगा । ऐसी पाबन्दियों को मैं मेहमानों की खिदमत के खिलाफ मानता हूं और उनकी हत्तक मानता हूं । यहां किसी मेहमान का शूटिंग का मूड बन जाये तो क्या वो रायफल और कारतूत मुहैया करने के लिये मेरे से इजाजत मांगेगा ? मेरे से किसी ताले की चाबी मांगेगा ? ऐसा नहीं चल सकता । यहां जो सतीश का है, वो उसके मेहमान का है इसलिये...”
“ओके । ओके । लेकिन वहां से कोई हथियार चोरी गया पाया गया तो आप तब भी वहां कहीं ताला लगायेंगे या नहीं ?”
“मैं तो जरूरत नहीं समझता । लेकिन तुम कहोगे तो लगा दूंगा ।”
“हां । जरूर ।”
“लेकिन तभी जब कि वहां से कोई हथियार गायब पाया गया ।”
“न गायब पाया गया तब भी ।” - सब-इंस्पेक्टर सख्ती से बोला - “मिस्टर सतीश, फायरआर्म्स अन्डर लॉक एण्ड की ही होने चाहिये । उन तक हर किसी की पहुंच नहीं होनी चाहिये ! यू आर ए रिस्पांसिबल सिटिजन । यू शुड नो दिस । नो ?”
सतीश से जवाब देते न बना ।
तभी एक हवलदार ने वहां कदम रखा ।
“सर” - वो सब-इंस्पेक्टर से बोला - “पणजी से फोटोग्राफर और बैलेस्टिक एक्सपर्ट आ गये हैं ।”
“गुड ।” - सब-इंस्पेक्टर उठता हुआ बोला - “मिस्टर सतीश, मैं ऊपर मौकायवारदात पर महकमे के लोगों की हाजिरी भरने जा रहा हूं । आप तब तक बरायमेहरबानी अपने फायरआर्म्स कलैक्शन को चौकस कर लीजिये । अगर आपको वहां कोई घट-बढ मिले तो याद रखियेगा कि आपने फौरन मुझे उसकी खबर करनी है ।”
सतीश ने सहमति में सिर हिलाया ।
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