RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
जैसी बादशाही सतीश की एस्टेट की हर चीज थी, वैसी ही वहां की लायब्रेरी और उसका मिनी शस्त्रागार निकला जिसकी बाबत सतीश की खुद नहीं मालूम था कि वहां कुल जमा कितने हथियार थे । उसकी दरख्वास्त पर राज उसके साथ लायब्रेरी में गया था जहां कि उन दोनों ने मिलकर हथियारों का जायजा लिया था । राज हथियारों पर से उनके सीरियल नम्बर पढकर बोलता रहा था और सतीश उन्हें फायरआर्म्स रजिस्टर में टिक करता रहा था । नतीजतन एक हथियार कम निकला था ।
एक अड़तीस कैलीबर की स्मिथ एण्ड वैसन रिवॉल्वर वहां से गायब पायी गयी थी ।
सतीश उस खोज से बहुत घबराया था । तब उसने लायब्रेरी के दरवाजे पर एक मजबूत ताला जड़ दिया था और चाबी सम्भालकर अपने पास रख ली थी ।
शाम चार बजे चाय पर सब लोग दोबारा इकट्टे हुए ।
तब तक पुलिस का फोटोग्राफर और बैलेस्टिक एक्सपर्ट वहां से रुख्सत हो चुके थे ।
“मिस्टर सतीश” - तब सब-इंस्पेक्टर बोला - “आई हैव ए प्रॉब्लम हेयर ।”
“क्या ?” - सतीश सशंक भाव से बोला ।
“पुलिस का डाक्टर पणजी से आज यहां नहीं आ सकता । एम्बूलैंस भी कल सुबह से पहले उपलब्ध नहीं । इसलिये पोस्टमार्टम के लिये लाश को कल सुबह से पहले पणजी नहीं ले जाया जा सकता ।”
“इसका क्या मतलब हुआ ?” - सतीश हड़बड़ाकर बोला - “क्या लाश ऊपर पायल के कमरे में ही पड़ी रहेगी ?”
“मजबूरी है, जनाब ।”
“ऐसा कैसे हो सकता है ! बंगले में एक लाश की मौजूदगी में मेरे मेहमान कैसे कम्फर्टेबल महसूस करेंगे ? नहीं-नहीं । आप लाश हटवाइये यहां से ।”
“सारी । लाश पुलिस के डाक्टर की देखरेख में ही हटवाई जा सकती है ।”
“देखरेख वो कहीं और कर ले । आप लाश को अपनी चौकी पर ले जाइये ।”
“वहां जगह नहीं है लाश रखने के लिये ।”
“मिस्टर पुलिस आफिसर, मैं हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकता कि रात-भर लाश मेरे बंगले में पड़ी रहे ।”
“शायद आपके मेहमानों को एतराज न हो !”
“मुझे एतराज है । आई कैन नाट स्लीप विद ए कार्प्स इन माई नेबरहुड ।”
“कल भी तो सोये थे !”
“कल मुझे लाश की खबर नहीं थी ।”
“लेकिन...”
“नो, सर । लाश यहां नहीं रहेगी ।”
“आपकी इतनी बड़ी एस्टेट है, आप कोई और जगह सुझाइये जहां लाश की ओवरनाइट मौजूदगी से आपको एतराज न हो ।”
“ग्रीन हाउस ।”
“ये क्या जगह हुई ?”
“यहां से काफी परे गार्डन में एक काटेज है जो ग्रीन हाउस के नाम से जाना जाता है ।”
“ठीक है । जाने से पहले मैं लाश को वहां शिफ्ट करा दूंगा और रात-भर के लिये वहां एक हवलदार भी तैनात कर दूंगा । ओके ?”
सतीश ने हिचकिचाते हुए सहमति में सिर हिलाया ।
“अब बोलिये, फायरआर्म्स की आपकी पड़ताल का क्या नतीजा निकला ?”
तब मुरझाई सूरत के साथ सतीश ने लायब्रेरी में से एक अड़तीस कैलीबर की स्मिथ एण्ड वैसन रिवॉल्वर के गायब होने की घोषणा की ।
“हूं ।” - सब-इंस्पेक्टर गम्भीरता से बोला - “पायल आज से पहले यहां कब आयी थी ?”
“आठ साल पहले ।” - सतीश बोला - “जबकि इस किस्म की पहली पार्टी यहां हुई थी ।”
“मैंशन में आपके शस्त्रागार का अस्तित्व तब भी था ?”
“हां ।”
“यानी कि पायल को खबर थी कि यहां हथियार उपलब्ध था और कहां उपलब्ध था ?”
“वो तो ठीक है लेकिन ये क्या कोई मानने की बात है कि रात तीन बजे यहां पहुंचने के बाद अपने कमरे में जाकर रैस्ट करने की जगह वो हथियार की टोह में निकल पड़ी हो !”
“हथियार कमरे में किसी और जरिये से पहुंचा हो सकता है ।”
“और जरिया ! और जरिया कौन-सा ?”
“आपकी हाउसकीपर वसुन्धरा । वो इतनी रात गये पायल को लिवा लाने के लिये अकेली पायर पर गयी थी । हो सकता है अपनी हिफाजत के लिये उसने अपने पास किसी हथियार की जरूरत महसूस हो ।”
“हो तो सकता है ।” - सतीश के मुंह से स्वयमेव निकला ।
“यानी कि जो रिवॉल्वर आपने अपने शस्त्रागार से गायब पायी है, उसे वसुन्धरा अपने साथ लेकर गयी होगी । जब वो पायल के साथ लौटी होगी तो जाहिर है कि वो रिवॉल्वर तब भी उसके पास होगी । अब मिस फौजिया खान का बयान है कि उन्होंने रात तीन बजे के बाद किसी वक्त पायल के कमरे में पायल और वसुन्धरा के बीच तकरार होती सुनी थी । वो तकरार आगे कब तक जारी रही, ये इन्हें खबर नहीं क्योंकि ये कहती हैं कि पायल के उस वक्त के मूड से खौफ खाकर ये उलटे पांव वापिस लौट आयी थीं । लेकिन हकीकतन पायल के बन्द कमरे में तकरार ने कोई खतरनाक रुख अख्तियार कर लिया, नतीजतन हाउसकीपर ने ताव खाकर रिवॉल्वर निकाल ली, रिवॉल्वर देखकर पायल उस पर झपटी, छीना-झपटी में इत्तफाकन रिवॉल्वर चल गयी, गोली हाउसकीपर की छाती में जा लगी, वो मरकर गिर पड़ी, पायल के छक्के छूट गये और फिर वो वहां से भाग खड़ी हुई ।”
“यानी कि” - राज बोला - “हाउसकीपर का कत्ल महज एक हादसा था ?”
“हो सकता है । कत्ल इरादतन किया जाता है तो बचाव की कोई सूरत पहले सोच के रखी जाती है, मसलन कोई ऐसा जुगाड़ किया जाता है कि वो आत्महत्या लगे या बतौर कातिल किसी और की करतूत लगे । कत्ल दुर्घटनावश हुआ इसलिये पायल का माथा फिर गया और वो यहां से भाग खड़ी हुई ।”
“यानी कि” - सतीश बोला - “अब आप अपनी पहली थ्योरी से किनारा कर रहे हैं कि हाउसकीपर का कत्ल पायल के धोखे में हुआ और पायल अपनी जान को खतरा मानकर यहां से भाग खड़ी हुई ?”
“नहीं । फिलहाल मेरी पसन्दीदा थ्योरी वही है लेकिन पुलिस के लिये हर सम्भावना पर विचार करना जरूरी होता है । ये भी एक सम्भावना है जो अभी मेरे जेहन में आयी है और जिसे मैंने आप लोगों के सामने बयान किया है ।”
“आई सी ।”
“अब” - सब-इंस्पेक्टर गम्भीरता से बोला - “ये स्थापित हो चुका है कि आपकी हाउसकीपर की जान अड़तीस कैलीबर की गोली लगने से ही हुई है । कोई बड़ी बात नहीं कि गोली उसी रिवॉल्वर से चलाई गयी थी जो कि आपके फायरआर्म्स कलैक्शन में से गायब है । ये बात अपने आप में सुबूत है कि कातिल बाहर से नहीं आया था । वो यहीं मौजूद था । लेडीज एण्ड जन्टलमैन, वो रिवॉल्वर, यकीनी तौर पर यहीं से बरामद होगी ।”
“कातिल” - राज बोला - “कत्ल करने के बाद क्या अभी तक उसे अपने पास रखे बैठा होगा ?”
“हो सकता है । कत्ल का तजुर्बा हर किसी को नहीं होता । और नातजुर्बेकार कातिल ऐसी कोई गलती कर सकता है ।”
किसी के चेहरे पर आवश्वासन के भाव नहीं आये ।
“आप लोगों की जानकारी के लिये यहां आसपास के इलाके को रिवॉल्वर की तलाश में इसी घड़ी छाना जा रहा है । रिवॉल्वर मिस्टर सतीश के प्राइवेट बीच के समुद्र में भी फेंकी गयी होगी तो बरामद हो जायेगी ?”
“इतनी दूर जाने की क्या जरूरत है !” - सतीश बोला - “जबकि इस काम को अंजाम देने के लिये तो करीब ही एक बड़ी उम्दा जगह है ।”
“कौन-सी ?”
“पिछवाड़े में एक कुआं है जो कि सौ से ज्यादा साल पुराना है और जो कभी इस्तेमाल नहीं होता । सबसे ज्यादा आसानी से तो रिवॉल्वर वहीं फेंकी जा सकती है । मिस्टर पुलिस आफिसर, मेरी राय में आपको सबसे पहले उस कुएं को खंगालना चाहिये ।”
सब-इंस्पेक्टर सोचने लगा ।
“यकीन जानिये, ऐसा करके आप बहुत ढेर सारी वक्तबर्बादी से बच जायेंगे वर्ना सारी एस्टेट की और मेरे प्राइवेट बीच की तलाशी में तो बहुत ज्यादा वक्त लगेगा और आपके कई आदमियों को जानकारी करनी पड़ेगी । आप देख लीजियेगा, रिवॉल्वर उस कुएं से बरामद होगी ।”
“आप बहुत यकीन से कह रहे हैं ऐसा ?”
“बिकाज दिस स्टैण्ड्स टु रीजन । कम-से-कम अगर मैं कातिल होता तो रिवॉल्वर उस कुएं में ही फेंकता ।”
“आप कातिल हैं ?”
“ओह, माई गॉड ! ओह, नो । नैवर । मैंने तो एक मिसाल दी थी !”
“मैं अभी हाजिर हुआ ।” - सब-इंस्पेक्टकर बोला और लम्बे डग भरता हुआ वहां से बाहर निकल गया ।
“आपकी बात” - राज बोला - “जंच गयी मालूम होती है उसे ।”
सतीश ने बड़े सन्तुष्टिशपूर्ण भाव से सहमति में सिर हिलाया ।
तभी ज्योति ने अपना चाय का कप खाली किया और ‘एक्सक्यूज मी प्लीज’ बोलकर टेबल पर से उठ गयी ।
किसी ने उससे ये न पूछा कि वो कहां जा रही थी ।
राज ने एक फरमायशी जमहाई ली, फिर वो भी उठ खड़ा हुआ । उसने भी ‘एक्सक्यूज मी’ बोला और लाउन्ज से बाहर की ओर बढ चला ।
आधे रास्ते में उसने एक बार घूमकर पीछे देखा तो पाया डॉली उसे अपलक देख रही थी ।
वो पिछवाड़े में पहुंचा ।
वहां थोड़ा-सा ही भटकने के बाद उसने कुआं तलाश कर लिया ।
कोई पुलिस वाला तब तक वहां नहीं पहुंचा था ।
उसने कुएं के भीतर झांका तो पाया कि कुआं इतना गहरा था कि उसके तलहटी का बस बड़ा अस्पष्ट-सा आभास ही मिलता था जबकि सूरज अभी अपनी पश्चिम की यात्रा की ओर अग्रसर होता आसमान में मौजूद था ।
उसे कबूल करना पड़ा कि कोई चीज हमेशा के लिये गायब कर देने के लिये वो कुआं वाकेई बहुत मुनासिब जगह थी ।
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