RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“मेरे को तो इसके लच्छन प्ले ब्वायज जैसे लगते हैं ।”
“प्ले ब्वाय ही है । सच पूछो तो ये ज्योति का कीमती खिलौना है जिसकी मेनटेनेंस में बेचारी का इतना खर्चा होता है कि जितना कमा ले थोड़ा है ।”
“कार तो बड़ी कीमती है ।”
“वो खुद बड़ा कीमती हैं । ऊपर से लाडला भी । ऐसे बच्चे का खिलौना कीमती नहीं होगा तो क्या होगा !”
“ओह !”
कौशल कार से बाहर निकला, बांहें फैलाये भीतर दाखिल हुआ और सब बुलबुलों से गले लग-लग के मिला ।
बुलबुलें किलकारियां मार रही थीं, कौशल से चुहलबाजी कर रही थीं और क्षण भर को बिल्कुल भूल गयी मालूम होती थीं कि वहां एक कत्ल होकर हटा था । पुलिस तफ्तीश की वजह से वहां फैली मनहूसियत को हटाने में उसे आदमी की आमद ने जैसे कोई जादूई असर किया था ।
फिर दो सतीश की तरफ आकर्षित हुआ ।
“विकी, माई ब्वाय ।” - सतीश बांहें फैलाये उसकी तरफ बढता हुआ बोला - “वैलकम ! वैलकम टु माई हम्बल अबोड ।”
उसने करीब आकर विकी से बगलगीर होते हुए उसकी बायीं बांह थामी तो विकी के चेहरे पर ऐसे भाव आये जैसे किसी ने उसे गोली मार दी हो । बन्धनमुक्त होने की कोशिश में उसने इतनी जोर से अपनी बांह को झटका दिया कि सतीश का सन्तुलन बिगड़ गया और वो गिरता-गिरता बचा ।
“डोंट टच मी ।” - वो बड़े हिंसकभाव से बोला - “हाथ मत लगाओ ।”
“क... क... क्या ?” - हकबकाया-सा सतीश बड़ी कठिनाई से पाया - “क... क्या... !”
“तुम जानते हो मेरे से हाथापाई बर्दाश्त नहीं होती ।” - फिर जैसे एकाएक वो भड़का था, वैसे ही एकाएक शान्त हो गया । वो जोर से हंसा और फिर सतीश की छाती को टहोकता हुआ बोला - “सारी, बॉस । बहुत थका हुआ हूं । बहुत हलकान हूं । इसलिये माथा गर्म है ।”
“नैवर माइन्ड ।” - सतीश अनमने स्वर में बोला ।
“फीमेल हैंडलिंग के लिये बनी मेरी बॉडी, मुझे अफसोस है कि, तुम्हारी मर्दाना जकड़ बर्दाश्त न कर पायी । बॉस, मेरा ये हाल हुआ, किसी बुलबुल का क्या हाल होता होगा !”
सतीश बेमन से हंसा ।
“अब बोलो” - कौशल ने फिर उसकी छाती को टहोका - “कि तुमने मुझे माफ किया ।”
“माई डियर ब्वाय, माफी वाली कोई बात ही नहीं हुई ।”
“फिर भी बोलो माफ किया ।”
“अच्छा, माफ किया ।”
“गॉड ब्लैस यू, बॉस । नाओ आई एम रिलीव्ड ।”
“बहरहाल आमद का शुक्रिया ।”
“सीधा आगरा से आ रहा हूं । कोई उन्नीस घण्टे की ड्राइव नॉन स्टाप । इतना लम्बा और बोर सफर अकेले करना पड़ा । तौबा बुल गयी !”
“आगरा क्या करने गये थे ?” - शशिबाला ने पूछा ।
“टयोटा की डिलीवरी लेने गया था ।” - वो बड़े गर्व से पोर्टिको में खड़ी अपनी कार की तरफ देखता हुआ बोला ।
“ओह ! एकदम नयी मालूम होती है ।”
“नयी तो नहीं है । है तो सैकेण्ड हैण्ड ही । लेकिन ए-वन कन्डीशन में है । बस जरा एयर कन्डीशनर काम नहीं करता जो तक ठीक करवाना पड़ेगा ।”
“करवा लेना । जल्दी क्या है । इधर तो मौसम वैसे ही सुहावना है ।”
“इधर है । रास्ते में नहीं था । आगरा नर्क । ग्वालियर महानर्क । भोपाल नर्क नर्क नर्क । गर्मी ने बर्बाद कर दिया ।”
“अब ठण्डी हवायें खाना और पिछली कसर भी निकाल लेना ।”
“आपकी तारीफ ?”
राज ने अनुभव किया कि सवाल उसकी बाबत था लेकिन किया सतीश से गया था ।
सतीश ने राज का उससे परिचय करवाया । उसने उसे वहां हुई वारदात की बाबत भी बताया ।
“ओह !” - कौशल संजीदगी से बोला - “ये तो रंग में भंग पड़ने वाली बात हुई ।”
“वहीं तो ।” - सतीश बोला - “पार्टी का मजा मारा गया ।”
जिसके लिये कि - राज ने बड़े वितृष्णापूर्ण भाव से मन-ही-मन सोचा - बेचारी मरने वाली कसूरवार थी ।
“भई, हमारी बेगम नहीं दिखाई दे रहीं ।” - कौशल बोला ।
“अभी तो यहीं थी” - सतीश बोला - “अभी उठकर गयी है । ऊपर अपने कमरे में होगी ।”
“उसका कमरा कहां है ?”
“आओ मैं बताती हूं ।” - आयशा बोली ।
तत्काल कौशल आयशा के साथ हो लिया ।
उसके पीठ फेरते ही सतीश के चेहरे से फर्जी हंसी गायब हो गयी । वो फिर अप्रसन्न दिखाई देने लगा ।
आलोक सतीश के करीब पहुंची और बड़े प्यार से उसका कन्धा थपथपाती हुई - “डोंट माइन्ड हिम, हनी । वहशी है साला । बीवी के लाड का बिगड़ा हुआ है ।”
“मूड खराब कर दिया ।” - सतीश बोला - “कहता है डोंट टच मी । हाथ न लगाओ । जैसे शीशे का बना हुआ हो । जरा-सी ठेस लगने से टूट सकता हो । इतने नखरे तो कोई लड़की नहीं करती ।”
“अब छोड़ो भी । बोला न, पागल है वो ।”
तभी सब-इंस्पेक्टर वहां वापिस लौटा तो उस अप्रिय प्रसंग का पटाक्षेप हुआ । आते ही वो सीधा आलोका के सामने पहुंचा । उसके हाथ में गुलाबी रंग का एक रेशमी रुमाल था जो उसने आलोका की गोद में डाल दिया । तत्काल आलोका यूं चिहकी जैसे वो रुमाल न हो, जीता जागता सांप हो ।
“ये आपका है ।” - सब-इंस्पेक्टर बोला - “मुकरने का इरादा हो तो ये ख्याल कर लीजियेगा कि इस पर आपके नाम के प्रथमाक्षर कढे हुए हैं ।”
“इसमें मु... मुकरने की क्या बात है ?” - आलोका फंसे कण्ठ से बोली - “हां, ये रुमाल मेरा है ।”
“आपका है तो आपके पास क्यों नहीं है ?”
“मु... मुझे नहीं मालूम था कि ये मेरे पास नहीं था । आपको कहां से मिला ?”
“वहीं से जहां आपने इसे छोड़ा था ।”
“कहां ?”
“आपको नहीं मालूम ?”
“नहीं ।”
“याद करने की कोशिश कीजिये ।”
“मैं क्या याद करने की कोशिश करूं ! मुझे तो यही मालूम नहीं था कि ये खोया हुआ था ।”
“खोया हुआ था या आप इसे कहीं रख के भूल गयी थीं ।”
“कहां ?”
“मसलन मिस्टर सतीश की कोन्टेसा में ।”
“कोन्टेसा में ?”
“जहां से कि ये मुझे मिला है । ये स्टियरिंग व्हील के नीचे गाड़ी के फर्श पर पड़ा था ।”
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