RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“वो हथियार स्टेटस सिम्बल के तौर पर यहां मौजूद हैं और लायब्रेरी की सजावट का हिस्सा हैं । लायब्रेरी में हजारों की तादाद में किताबें हैं । तुम क्या समझते हो कि सतीश ने उन्हें पढने के लिये रखा हुआ है ? हरगिज भी नहीं । वो वहां महज सजावट के लिये मौजूद हैं, मेहमानों को प्रभावित करने के लिये मौजूद हैं । सतीश ने तो कभी कोई एक किताब खोलकर भी नहीं देखी होगी । उसे तो किताबों के सब्जैक्ट तक ही नहीं मालूम होंगे । मिस्टर, लायब्रेरी की किताबों वाला दर्जा ही वहां के हथियारों का है । समझे ?”
“समझा ।”
“सतीश रंगीला राजा है । उसका शगल, उसका कारोबार, जिन्दगी की बाबत सोचना है, मौत की बाबत नहीं । फिर जिस आदमी की रात एक बजे ऐसी हालत थी कि उसके बुलबुलें उसे उठाकर ऊपर उसके बैडरूम में छोड़कर आयी थीं वो क्या दो ही घण्टे बाद चाक-चौबन्द होकर कत्ल करने की तैयारी में अपने पैरों पर खड़ा हो सकता था ?”
“शायद वो भी कल रात टुन्न होने का बहाना ही कर रहा हो । ऐन वैसे ही जैसे... जैसे...”
“मैं कर रही थी ?”
“हां ।”
“नानसेंस । सतीश और कातिल ! नामुमकिन । और कातिल भी किसका ? अपनी हाउसकीपर का ! कतई नामुमकिन ।”
“इस बात से काफी लोगों को इत्तफाक मालूम होता है कि पायल के धोखे में उसका कत्ल हो गया था ।”
“दैट इज अटर नानसेंस । अगर सतीश ने पायल का कत्ल करना होता तो क्या वो हमें पायल के आगमन की खबर करता ? वो पायल की फोन काल की बाबत खामोश रहता और रात को अपनी हाउसकीपर को उसे लिवा लाने के लिये भेजने की जगह चुपचाप खुद पायर पर जाता और उसका कत्ल करके उसकी लाश वहीं समुद्र के हवाले कर आता । उसे घर बुलाकर उसका कत्ल करने की हिमाकत भला वो क्यों करता ?”
“यानी कि सतीश कातिल नहीं हो सकता ?”
“मेरी निगाह में तो नहीं हो सकता ।”
“तो फिर कौन है कातिल ?”
“मुझे नहीं पता । मुझे नहीं पता कि कातिल कौन है लेकिन मुझे ये पता है कातिल कौन नहीं है ?”
“कौन नहीं है ।”
“मैं ।”
“ओह ! तुम नहीं हो, मैं नहीं हूं, सतीश भी नहीं है तो फिर बाकी की पांच बुलबुलों में से कोई ? नौकरों-चाकरों में से कोई ? या वो आदमी जो अपने आपको रोजमेरी का ब्वाय फ्रेंड बता रहा था ?”
“तुम दो कौवों को भूल रहे हो ।”
“कौन से कौवे ? ओह ! दो बुलबुलों के हसबैंड ! कौशल निगम और रोशन बालपाण्डे ?”
“हां ।”
“लेकिन वो तो अभी यहां पहुंचे हैं ?”
“पब्लिक के सामने ।” - वो ताकीद करने के अन्दाज से बोली - “पब्लिक के सामने अभी यहां पहुंचे हैं । हकीकतन आइलैंड पर वो पता नहीं कब से विचर रहे हों । हकीकतन कौन जानता है कि आलोका का हसबैंड उसी गाड़ी के किसी और डिब्बे में सवार नहीं था जिसमें कि उसने आलोका को सवार कराकर पूना से रुख्सत किया था ! हकीकतन कौन जानता है कि विकी सच में ही आगरा से उन्नीस घण्टे की नान स्टॉप कार ड्राइव के बाद यहां पहुंचा है !”
“वो कार, वो टयोटा, जो वो कहता है कि उसने आगरा से पिक की थी...”
“कार यहां है, कार का मालिक यहां है, इसका ये तो मतलब जरूरी नहीं कि कार को मालिक ही ड्राइव करके यहां लाया था ? उन्नीस घण्टों का सफर प्लेन से दो घण्टों में भी हो सकता है और कार कोई भी ड्राइव करके आगरे से यहां ला सकता है ।”
“बड़ा खुराफाती दिमाग पाया है तुमने ।”
“ये अगर तुमने मेरी तारीफ की है तो शुक्रिया ।”
“इस घड़ी क्योंकि तुम्हारा दिमाग सही गियर में है और सही रफ्तार पकड़े हुए है इसलिये एक बात और बताओ ।”
“पूछो ।”
“तुमने नोट किया था कि सब-इंस्पेक्टर के सामने हमारा मेजबान मर्डर वैपन की बरामदी की मामले में पिछवाड़े के कुएं पर कुछ ज्यादा ही जोर दे रहा था ?”
डॉली ने एक क्षण के लिये सड़क पर से निगाह हटाकर घूरकर उसे देखा ।
“जोर क्या दे रहा था, यकीनी तौर से कह रहा था कि रिवॉल्वर वहीं से बरामद होगी । ये तक कहा उसने कि अगर वो कातिल होता तो वो रिवॉल्वर उस कुएं में ही फेंकता ।”
“क्या पता वो वहीं से बरामद हो ?”
“नहीं हुई ।”
“तुम्हें कैसे मालूम ?”
“खुद सब-इंस्पेक्टर ने बताया था । उत्सुकतावश मैंने खास उससे पूछा था ।”
“ओह ! सतीश को तो इससे बड़ी मायूसी हुई होगी !”
“नाटक किया तो था उसने मायूसी होने का ।”
“नाटक !”
“एक राज की बात बताऊं ?”
“क्या ?”
“मुझे लगता है कि सतीश को रिवॉल्वर से कुछ लेना-देना नहीं था । उसका वहां से बरामद होना या न होना उसके लिये बेमानी थी । वो तो महज इतना चाहता था कि पुलिस पहले - आई रिपीट, पहले - कुएं की तलाशी ले ले ।”
“क्यों ? क्यों चाहता था ?”
“क्योंकि... एक बात बताओ । कोई खास चीज छुपाने के लिये बेहतरीन जगह कौन-सी होती है ?”
“वहीं जहां कोई न झांकने वाला हो ।”
“एक जगह इससे भी बेहतर होती है ।”
“कौन-सी ?”
“वो जहां पर कोई झांक चुका हो ।”
“ओह माई गॉड, तुम ये कहना चाहते हो कि उस कुएं में सतीश कुछ छुपाना चाहता है ।”
“उसका ऐसा कोई इरादा हो सकता है । जिस जगह की भरपूर तलाशी एक बार हो चुकी हो, उसकी दोबारा तलाशी भला क्यों होगी ? इस लिहाज से कोई चीज छुपाने के लिये कुआं तो सबसे सुरक्षित जगह हुआ ।”
“इसीलिये वो बार-बार कुएं की दुहाई दे रहा था क्योंकि वो चाहता था कि उसकी तलाशी पहले हो जाये ?”
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