RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
रास्ते में एक छोटा-सा पार्क था जिसके करीब वो ठिठके । वहां बेतहाशा भीड़ थी । भीड़ की वजह वहां पार्क के बीच में बना बैण्ड स्टैण्ड था जिस पर बैंड बज रहा था और जिसकी धुन पर नौजवान जोड़े नाच रहे थे । वहां बजते गोवानी संगीत ने वहां बढिया समां बांधा हुआ था ।
तभी ड्रम बजाते युवक के पीछे, बैंड स्टैण्ड से नीचे राज को एक परिचित चेहरा दिखाई दिया । राज के नेत्र फैले, उसने डॉली की बांह दबोची और उत्तेजित स्वर में बोला - “डॉली ! वो रहा हमारा आदमी ।”
“कहां ?” - डॉली हकबकाई-सी बोली ।
“बैंड स्टैंड की परली तरफ । वो ड्रमर के पीछे वहां...”
तभी वो चेहरा वहां से गायब हो गया ।
तत्काल भीड़ में से रास्ता बनाता, लोगों को धक्के देता, लोगों के धक्के खाता, राज उसके पीछे लपका ।
उस घड़ी डॉली की उसे इतनी भी सुध नहीं थी कि वो पीछे ही ठिठकी खड़ी रह गयी थी या उसके पीछे आ रही थी ।
आगे भीड़ में अपनी पहचानी सूरत उसे एक बार फिर दिखाई दी और फिर एक छलावे की तरह फिर उसकी दृष्टि से ओझल हो गयी ।
लोगों की गालियां-कोसने झेलता वो भीड़ को धकियाता भीड़ से पार पार्क की परली तरफ पहुंच गया । वो आदमी वहां कहीं नहीं था । पराजित-सा वो वापिस लौटा ।
डॉली को जहां वो छोड़कर गया था, वो वहां नहीं थी ।
अब उसके सामने एक नया काम मुंह बाये खड़ा था । उस भीड़ भरे माहौल में से उसने डॉली को तलाश करना था ।
वो बाजार में अन्दाजन उधर बढा जिधर कि जीप हो सकती थी और जिधर डॉली गयी हो सकती थी ।
वो बाजार के इकलौते सिनेमा के पहलू से गुजरते वक्त ठिठका ।
सिनेमा की मारकी में उसे डॉली खड़ी दिखाई दी । उस घड़ी उसकी राज की तरफ पीठ थी लेकिन फिर भी उसने उसे साफ पहचाना ! वो अपने दोनों हाथ सामने पोस्टरों से अटी दीवार पर टिकाये थी और...
ठिठका हुआ राज अब थमककर खड़ा हो गया ।
...उसकी बांहो के घेरे में से उस आदमी का सिर झांक रहा था । जिसे कि वो इतनी देर से तलाश कर रहा था ।
उसका मन प्रशंसा से भर उठा । डॉली ने न केवल उसे उससे पहले तलाश कर लिया था बल्कि वो यूं उसे अपने और दीवार के बीच गिरफ्तार किये हुए थी कि वो भाग नहीं सकता था ।
वो लपकर उनके करीब पहुंचा ।
“शाबाश, डॉली ।” - वो उत्साह से बोला - “तुमने तो कमाल ही कर दिया जो इसे...”
डॉली दीवार पर से एक हाथ हटाकर उसकी तरफ घूमी और फिर बोली - “हनी, मीट माई ओल्ड फ्रेंड...”
“युअर ओल्ड फ्रेंड !” - राज भौंचक्का-सा बोला ।
“...धर्मेंद्र अधिकारी ।”
“हल्लो !” - वो आदमी बोला ।
“लेकिन” - राज आवेशपूर्ण स्वर में बोला - “ये तो वही आदमी है जो कल रात अपने आपको रोजमेरी का ब्वाय फ्रेंड बता रहा था ।”
डॉली ने अचकचाकर उसकी तरफ देखा ।
“एक्सक्यूज मी, डार्लिंग” - अधिकारी बोला फिर एकाएक एक छलांग मारकर डॉली से परे हटा और जाकर बाजार की भीड़ में विलीन हो गया ।
राज उसके पीछे भागने लगा तो डॉली ने उसे बांह पकड़कर वापिस घसीट लिया ।
“कोई फायदा नहीं होगा ।” - वो बोली - “इतनी भीड़ में वो हमारे हाथ नहीं आने वाला ।”
“पहले तुम्हारे हाथ कैसे आ गया था ?”
“मुझे क्या पता था कि ये वो आदमी था !”
“मैंने इतनी बारीकी से उसका हुलिया बयान किया था ।”
“मुझे नहीं सूझा था कि वो... लेकिन अधिकारी कैसे हो सकता है वो आदमी ? तुम्हें पक्का है कि कल रात तुमने इसे ही देखा था ?”
“मैं क्या अन्धा हूं ?”
“ओह हनी, तुम तो नाराज हो रहे हो ।”
“तुम्हें कैसे मिल गया ये ?”
“बस, यूं ही राह चलते । अभी कोई बातचीत शुरु हो ही नहीं पायी थी कि तुम आ गये । फिर... फिर वो ये जा वो जा ।”
“उसका यूं भाग खड़ा होना ही ये साबित नहीं करता कि वो वही आदमी था ?”
“उसके यूं भाग खड़ा होने की कोई और वजह हो सकती है । कई और वजह हो सकती हैं ।”
“मसलन क्या ?”
“छोड़ो । फिर मिलेगा तो उसी से पूछेंगे ।”
“है कौन वो ? और तुम कैसे जानती हो उसे ? कब से जानती हो ?”
“सालों से जानती हूं । एजेन्ट है वो ?”
“इंश्योरेंस का ?”
“नहीं ।”
“प्रापर्टी ?”
“ओह, नो । अधिकारी फिल्म एजेन्ट है । बहुत बड़े-बड़े स्टार्स का सैक्रेट्री रह चुका है । अपनी शशिबाला को भी स्टार बनाने वाला वो ही है । दस साल पहले जिन दिनों, कर्टसी सतीश, हमारे फैशन शो हुआ करते थे, उन दिनों ये हमारे इर्द-गिर्द बहुत मंडराता था । सतीश की आठ की आठ बुलबुलों की फिल्मों में एन्ट्री कराना चाहता था । लेकिन तब हममें से किसी ने भी उसकी प्रपोजल को गम्भीरता से नहीं लिया था । आई मीन सिवाय शशिबाला के जो कि इसकी मेहरबानी से फिल्म स्टार बन गयी थी ।”
“ये अभी भी शशिबाला का सैक्रेट्री है ?”
“मालूम नहीं ।”
“यहां आइलैंड पर क्या कर रहा है ?”
“पता नहीं । पूछने की नौबत ही कहां आयी !”
“इसको सामने पाकर भी तुम्हें नहीं सूझा कि मैं इस आदमी का हुलिया बयान कर रहा था ?”
“नहीं सूझा न, यार । मैं इसे यहां एक्सपैक्ट जो नहीं कर रही थी । ऊपर से मुद्दत बाद तो दिखाई दिया था आज ।”
“ये कोई भी था, कल सतीश की एस्टेट के गिर्द क्यों मंडारा रहा था ? इसने ये झूठ क्यों बोला कि ये रोजमेरी का ब्वाय फ्रेंड था ओर उसी को घर लिवा ले जाने की खातिर वहां मौजूद था ?”
“क्या पता ?”
“साफ क्यों न बोला कि कौन था ? और ये कि ये सतीश की तमाम बुलबुलों से वाकिफ था । खासतौर से शशिबाला से ?”
“क्या पता ?”
“शशिबाला को इसकी आइलैंड पर मौजूदगी की खबर होगी ?”
“क्या पता ?”
“अरे” - राज झल्लाया - “क्या पता’ के अलावा क्या कोई जवाब नहीं है तुम्हारे पास ?”
“सारी, डार्लिंग ।”
“जीप का पता लगा ?”
“हां । उधर खड़ी है ।”
“आओ वापिस चलें । यहां टक्करें मारना अब बेकार है । जिस आदमी की हम यहां तलाश में आये थे, वो तो तुम्हारा बरसों पुराना वाकिफकार निकल आया ।”
“मुझे लगता है तुम्हें ही कोई धोखा हुआ है अधिकारी को पहचानने में । वो कल रात वाला आदमी नहीं हो सकता ।”
“ओह, कम ओन ।”
डॉली फिर न बोली ।
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