RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
फिगारो आइलैंड की पुलिस चौकी पायर से ईस्टएण्ड को जोड़ने वाली सड़क पर स्थित थी । राज ने आती बार एक एकमंजिली लाल खपरैलों वाली इमारत पर ‘पुलिस पोस्ट, फिगारो आइलैंड’ का बोर्ड लगा देखा था । जीप उधर से गुजरी तो राज एकाएक बोला - “रोको ।”
डॉली ने तत्काल ब्रेक लगाई ।
“क्या हुआ ?” - वो सकपकाई-सी बोली ।
“मैं एक मिनट चौकी में जाना चाहता हूं ।”
“क्यों ?”
“वो होटल का रिसैप्शन क्लर्क बोलता था कि जो दो आदमी पायल को पूछने आये थे, उनकी बाबत उसने पुलिस को भी बताया था । हो सकता है पुलिस ने उसकी तलाश के मामले में कोई तरक्की की हो ।”
“लेकिन...”
“यूं कम-से-कम ये तो पता लग जायेगा कि उन दो में से एक तुम्हारा वो फिल्म एजेन्ट-कम-सैक्रेट्री धर्मेन्द्र अधिकारी था या नहीं । तुम जीप में ही बैठो, मैं बस गया और आया ।”
प्रतिवाद में डॉली के कुछ बोल पाने से पहले ही वो जीप में से बाहर कूदा और लपककर चौकी की इमारत में दाखिल हो गया ।
भीतर लम्बे बरामदे में एक कमरे पर उसे सब-इंस्पेक्टर जोजेफ फिगुएरा ने नाम की नेम प्लेट लगी दिखाई दी । भीतर से बातों की धीमी-धीमी आवाजें आ रही थीं । वो एक क्षण हिचकिचाया और फिर दरवाजे पर पड़ी चिक हटाकर भीतर दाखिल हो गया ।
भीतर दो व्यक्ति मौजूद थे जो उसे देखते ही खामोश हो गये । भीतर एक सब-इंस्पेक्टर फिगुएरा ही था, उसके सामने बैठे व्यक्ति की वर्दी पर तीन सितारे दिखाई दे रहे थे जो कि उसके इंस्पेक्टर होने की चुगली कर रहे थे ।
फिगुएरा ने अप्रसन्न भाव से कमरे में यूं घुस आये व्यक्ति की तरफ देखा, उसने राज को पहचाना तो तत्काल उसके चेहरे से अप्रसन्नता के भाव उड़ गये ।
“मिस्टर माथुर !” - वो बोला - “वैलकम ।”
“थैंक्यू ।” - राज इंस्पेक्टर के पहलू में एक कुर्सी पर बैठ गया ।
“ये इंस्पेक्टर सोलंकी हैं !” - फिगुएरा बोला - “पणजी के उस थाने से आये हैं जिसके अन्डर हमारी ये चौकी है । मर्डर केस की आदन्दा तफ्तीश ये ही करेंगे । अब मेरा दर्जा इनके सहायक का है ।”
राज ने इंस्पेक्टर सोलंकी का अभिवादन किया ।
“मैंने आपकी बाबत सुना है ।” - सोलंकी बोला - “आपकी बाबत भी और आपकी यहां आमद की वजह की बाबत भी ।”
“कैसे आये ?” - फिगुएरा बोला ।
“यूं ही ईस्टएण्ड तक आया था” - राज बोला - “सोचा आपसे मिलता चलूं । सोचा शायद पायल की कोई खोज-खबर लगी हो आपको ।”
“अभी तो नहीं लगी ।”
“इतनी छोटी-सी जगह पर...”
“मैं भी हमेशा इसे छोटी-सी जगह कहकर ही पुकारता था लेकिन अब पता चला कि जगह आखिरकार इतनी छोटी नहीं है । हमें दो और आदमियों की भी तलाश है जो कि हमें पता चला है कि कल रात ईस्ट एण्ड में पायल की बाबत पूछताछ करते फिर रहे थे ।”
“जनाब, उनमें से एक आदमी कल रात मिस्टर सतीश की एस्टेट के गिर्द मंडरा रहा था और उसका नाम धर्मेन्द्र अधिकारी हो सकता है ।”
दोनों पुलिस अधिकारी सकपकाये, फिर वो भौचक्के से राज का मुंह देखने लगे ।
“क्या किस्सा है ?” - फिर सोलंकी उसे घूरता हुआ बोला ।
राज ने संक्षेप में उसे सारी बात कह सुनायी ।
“ओह !” - फिगुएरा व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोला - “तो आप जासूसी करने निकले थे ?”
“नहीं ।” - राज बड़े इत्मीनान से बोला - “टाइम पास करने निकला था । जासूसी तो आप लोगों का काम है जिसे आप बखूबी अंजाम दे रहे हैं । नतीजा भले ही कोई नहीं निकल रहा लेकिन अपना काम तो आप कर ही रहे हैं ।”
फिगुएरा के चेहरे पर क्रोध के भाव आये लेकिन प्रत्यक्षत: वो अपने सीनियर की वहां मौजूदगी की वजह से खामोश रहा ।
“ये आदमी” - सोलंकी बोला - “ये धर्मेन्द्र अधिकारी नाम का आदमी, कातिल हो सकता है ।”
“और आपका ये कथित कातिल अभी दस मिनट पहले तक ईस्टएण्ड के मेन बाजार में था । और अगर पायल इसी के खौफ से मिस्टर सतीश की एस्टेट से भागी है तो उसकी भलाई इसी में है कि वो आइलैंड से पहले ही कूच कर चुकी हो ।”
“ऐसा कैसे हो सकता है !” - फिगुएरा बोला - “हमने उधर पायर पर हैलीपैड पर बोल के रखा है कि अगर वो वहां पहुंचे तो उसे पुलिस के आने तक रोक के रखा जाये ।”
“आप बच्चे बहला रहे हैं । आइलैंड से कूच करने का जरिया स्टीमर और हैलीकाप्टर ही नहीं है । यहां दर्जनों की तादाद में सतीश जैसे रईस लोग बसे हुए हैं । सबके पास नहीं तो काफी सारों के पास अपनी प्राइवेट मोटर बोट होंगी । आप उन तमाम मोटर बोट्स की मूवमेंट्स को मानीटर कर सकते हैं ?”
“रात को नहीं कर सकते ।” - फिगुएरा सोलंकी से निगाहें चुराता कठिन स्वर में बोला ।
“जनाब, आप लोगों का केस में दखल होने से पहले ही पायल ऐसी किसी मोटरबोट पर सवार होकर मेन लैंड पर पहुंच चुकी हो सकती है ।”
“ही इज राइट देयर ।” - सोलंकी गम्भीरता से बोला - “अगर धर्मेन्द्र अधिकारी नाम का ये आदमी कातिल है और पायल आइलैंड पर नहीं है तो वो सेफ है ।”
“और वो दूसरा आदमी ?” - राज बोला ।
“उसकी अभी हमें कोई खोज-खबर नहीं लगी” - फिगुएरा बोला - “लेकिन तलाश जारी है ।”
“और शायद जारी रहेगी ।”
“जाहिर है ।”
“कयामत के दिन तक ।”
“मिस्टर माथुर !”
सोलंकी ने हाथ उठाकर फिगुएरा को शान्त रहने को कहा और फिर राज से सम्बोधित हुआ - “आप बरायमेहरबानी, मुझे अपनी क्लायन्ट के बारे में कुछ बताइये ।”
“क्या जानना चाहते हैं आप ?”
“आज की तारीख में वो ढाई करोड़ रुपये की रकम की वारिस है । राइट ?”
“राइट ।”
“खुदा न खास्ता, रात मिस्टर सतीश के यहां हाउसकीपर की जगह उसी का कत्ल हुआ होता तो इतना पैसा कहां जाता ? कौन होता इतनी बड़ी रकम का क्लेमेंट ?”
“कह नहीं सकता । अगर पायल ने आगे अपनी वसीयत की हुई है तो जाहिर है कि वो शख्स जो कि वसीयत में पायल का वारिस करार दिया गया है ।”
“वसीयत न हो तो ?”
“तो जो कोई भी उसका सबसे नजदीकी रिश्तेदार हो । मां-बाप में में कोई, कोई भाई, कोई बहन...”
“आपके आफिस में पायल की ऐसी किसी वसीयत का रिकार्ड हो सकता है ?”
“हो तो सकता है । लेकिन नहीं भी हो सकता । वो सात साल से गायब थी, अगर उसने उस दौरान अपनी वसीयत की होगी तो हमें उसकी खबर भला क्योंकर होगी ! अलबत्ता अगर पहले की होगी, जब के वो मिसेज श्याम नाडकर्णी थी तो...”
“आप मालूम तो कीजिये अपने आफिस से ।”
“ठीक है । मैं करूंगा ।”
“और ये भी मालूम कीजिये कि क्या आपके आफिस को उसके किसी नजदीकी रिश्तेदार की वाकफियत है ।”
“ओके ।”
“कल आप हमें अपना जवाब दीजियेगा ।”
“जरूर ।”
“अब जरा इस धर्मेन्द्र अधिकारी पर फिर लौटिये । तो वो फिल्मी आदमी है ? एजेन्ट है ?”
“हां ।”
“और वो सतीश की बुलबुलों के नाम से जाने जानी वाली तमाम लड़कियों से वाकिफ है । तब से वाकिफ है जब कि उसके फैशन शोज ने सारे हिन्दोस्तान में धूम मचाई हुई थी ?
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