RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“सर, मैं कह रहा था कि कल रात को एक बजे मिस्टर सतीश की एक गैस्ट मिसेज आयशा चावरिया ने एक पब्लिक टेलीफोन काल से पुलिस चौकी पर फोन करके कहा था कि उसने पायल को देखा था । उसने साफ कहा था कि पायल मर चुकी थी, उसे मार डाला गया था...”
“आई सी । फिर वो तुम्हें या पुलिस को या तुम सबको लाश दिखाने लेकर गयी तो लाश गायब पायी गयी ! यही कहना चाहते हो न !”
“नो, सर, वो क्या है कि...”
“तो फिर ये क्यों कहते हो कि लाश बरामद नहीं हुई ?... ओह ! तुम ये कहना चाहते हो कि उस लड़की ने या औरत ने जो कुछ भी वो है, उस आयशा चावरिया ने तुम लोगों को जो लाश दिखाई, वो हमारी क्लायन्ट की नहीं थी ?”
“सर, आयशा ने हमें ये कोई लाश नहीं दिखाई थी...”
“फिर भी कहते हो कि हमारी क्लायन्ट का कत्ल हो गया है ?”
अबे, खरदिमाग बुढऊ, मुझे भी तो कुछ कहने दे ।
“सर, वो लड़की, आयशा, हमें लाश के पास लिवा ले चलने का मौका नहीं पा सकी थी । ऐसी कोई नौबत आने से पहले ही उसका भी कत्ल हो गया था ।”
“क्या !”
“जिस टेलीफोन बूथ से वो पुलिस को काल कर रही थी, वो उसी में मरी पायी गयी थी । किसी ने उसकी छाती में खंजर भौंक दिया था ।”
“किसने ?”
“थ्री मिनट्स आर अप, सर ।” - बीच में आपरेटर की आवाज आयी ।
“वॉट ! आलरेडी ! युअर वाच इज इनकरैक्ट । मैंने तो अभी बात करना शुरु ही किया है...”
“सर, काल एक्सटेंड करना मांगता है ?
“यस । प्लीज एक्सटेंड ।... माथुर ! आर यू देयर ?”
“यस, सर ।”
“मैं कहां था ?”
“आप पूछ रहे थे कि किसने आयशा चावरिया की छाती में खंजर भौंक दिया था ।”
“हां । किसने किया था ऐसा ?”
“पता नहीं ।”
“मालूम किया होता ।”
“सर, मैं जरूर करता लेकिन मैं क्या करूं कल ही मेरे चिराग का जिन्न कैजुअल लीव लेकर चला गया था ।”
“क्या ! क्या कह रहे हो ? मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं ।”
“सर, लगता है क्रॉस टॉक फिर शुरु ही गयी है । मैंने तो कुछ भी नहीं कहा ।”
“हूं । उस लड़की का, आयशा का, कत्ल क्यों हो गया ?”
“जाहिर है उसकी जुबान बन्द करने के लिये । जाहिर है इसलिये क्योंकि उसने पायल की लाश देखी थी ।”
“सिर्फ लाश देख ली होने की वजह से...”
“सर, हो सकता है उसने कत्ल होता भी देखा हो । मेरे ख्याल से वो पुलिस चौकी पर फोन करके कातिल की बाबत ही कुछ बताने जा रही थी जबकि कातिल ने उसकी जुबान हमेशा के लिये बन्द करने के लिये उसका कत्ल कर दिया था ।”
“माथुर, मुझे बात को ठीक से समझने दो । अब कितने कत्ल हो गये हैं ? दो या तीन ? तुम कहते हो तीन । एक उस हाउसकीपर का जो कि पायल पाटिल के धोखे में मारी गयी, दूसरा उस... उस आयशा सरवरिया का...”
“चावरिया, सर ।”
“....जो कि कातिल की बाबत पुलिस की खबर देने की कोशिश में मारी गयी । और तुम्हारा रौशन ख्याल ये है कि पायल पाटिल का भी कत्ल हो चुका है ।”
“सर, आयशा चावरिया ने फोन पर साफ ऐसा कहा था ।”
“लेकिन उसकी लाश पता नहीं कहां है ? राइट ?”
“राइट, सर । सर, वो बेचारी, वो आयशा, लाश की बाबत कुछ बता पाती इससे पहले ही तो उसका कत्ल हो गया ।”
“पुलिस क्या कर रही है ? वो क्या लाश की तलाश की बाबत कुछ नहीं कर रहीं !”
“कर रही है, सर । लेकिन यहां स्टाफ की बहुत कमी है । चौकी इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर को छोड़कर सिर्फ चार ही आदमी हैं यहां इसलिये...”
“आई अन्डरस्टैण्ड । आई वैल अन्डरस्टैण्ड । हर किसी को काम न करने का बहाना चाहिये इस मुल्क में । पायल की लाश तलाश कर लेगी ?”
“आखिरकार तो कर ही लेगी, सर । लाश कोई छुपने वाली चीज तो नहीं ।”
“कब कर लेगी ? इसी कैलेंडर इयर में कर लेगी ?”
“सर, वो क्या है कि...”
“लाश बरामद होना जरूरी है । नहीं होगी तो जानते हो क्या होगा ?”
“जानता हूं, सर ।”
“नहीं जानते हो फिर जैसे पहले सात साल पायल को श्याम नाडकर्णी का कानूनी वारिस बनने में लगे, अब ऐसा ही सात साल लम्बा इन्तजार पायल को कानूनी तौर पर मृत घोषित करने के लिये करना होगा ।”
“सर, क्या पायल की कोई वसीयत उपलब्ध है ?”
“है तो हमें उसकी खबर नहीं ।”
“उसका वारिस कौन होगा ?”
“हमें नहीं मालूम । हमें न उसकी वसीयत के जरिये उसके किसी वारिस की खबर है और न उसकी किसी रिश्तेदारी के जरीये । पायल की फैमिली की हमें कोई वाकफियत नहीं । ऐसी कोई वाकफियत हमने कभी जरूरी भी नहीं समझी । अब खामखाह केस में पेचीदगी पैदा हो गयी । कितने अफसोस का बात है कि हमारी सूचना के अनुसार पायल वहां पहुंची भी, फिर भी तुम उससे सम्मर्क न साध सके । तुमने उसे कत्ल हो जाने दिया ।”
“सर, मैं भला कैसे...”
“माई डियर ब्याय, आई एम नाट हैपी युअर वर्क । तुम एक सिम्पल काम को अन्जाम न दे सके । तुम्हारी जगह मैं फर्म के एक मामूली क्लर्क को भेज देता तो अच्छा होता...”
“खुद चला आता तो वाह-वाह हो जाती । बाकी दो आनन्दों को भी ले आता तो आनन्द ही आनन्द होता ।”
“क्या ! माथुर मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा ।”
“मेरी में भी नहीं आ रहा, सर । क्रॉस टॉक पर हमारी बातें सुनकर जो कमीना बीच में बोल रहा है, वो साफ नहीं बोल रहा ।”
“मुझे तो कुछ और ही शक हो रहा है ?”
“और क्या, सर ?”
“थ्री मिनट्स अप सर ।” - बीच में आपरेटर की आवाज आयी ।
“यस, थैंक्यू । माथुर, जो मैं कह रहा हूं, जल्दी से सुनो और नोट करो । हमारी क्लायन्ट की लाश का पता लगाओ और रिपोर्ट करो । आइन्दा पेपर में अधनंगी या थ्री क्वार्टर नंगी लड़कियों के साथ तुम्हारी तस्वीर न छपे । फर्म की बाबत पेपर में कुछ छपे तो फर्म का नाम ठीक छपे । आनन्द आनन्द आनन्द एण्ड...”
लाइन कट गयी ।
राज लाउन्ज में पहुंचा । वहां मेजबान और उसके मेहमानों के अलावा सब-इंस्पेक्टर फिगुएरा और पणजी से आया इंस्पेक्टर सोलंकी भी मौजूद था ।
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