RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“क्या पता पायल उसके साथ आइलैंड पर आई हो !”
“ये कैसे हो सकता है ?” - डॉली बोली - “सतीश कहता है कि पायल तो परसों दोपहर से आइलैंड पर थी जबकि विकी तो कल आया था ।”
“कहां कल आया था ? सतीश की एस्टेट पर । वो आइलैंड पर कब से था, इसका हमें क्या पता ?”
“सुनो, सुनो ।” - शशिबाला बोली - “सतीश कहता था कि पायल ने दोपहर के करीब उसे पायर से फोन किया था और उसे बताया कि देर रात गये तक उसे ईस्टएण्ड पर काम था । हममें से हर किसी के लिये ये बात एक पहेली है कि आखिर पायल को क्या काम था ईस्टएण्ड पर जिससे कि वो रात दो बजे तक फारिग नहीं होने वाली थी ! जो बातें विकी को लेकर हम लोगों के बीच हो रही हैं, उनकी रू में अब वो काम समझ में आता है । वो काम था कामदेव का अवतार लगने वाले मिस्टर ज्योति निगम उर्फ कौशल निगम उर्फ विकी बाबा के साथ ऐश लूटना । ऐसा ही जादूगर है अपना विकी बाबा । चन्द घड़ियां कोई लड़की उसके साथ गुजार ले तो वो नशे की तरह उस पर हवी हो जाता है । सुध-बुध भुला देता है । टयोटा में सफर के दौरान जरूर पायल भी उस जादू की गिरफ्त में आ गयी होगी ।”
“ओह !”
“पायल ने सतीश को ये भी कहा था कि अगले रोज दोपहर तक उसने वापिस चले जाना था । जरूर उसका वापिसी का सफर भी विकी के साथ उसको टयोटा पर ही होने वाला था । यहां एस्टेट पर हाउसकीपर के कत्ल के साथ हंगामा न खड़ा हो गया होता और पायल को अपनी जान बचाने के लिये एकाएक मुंह-अन्धेरे यहां से भागना न पड़ गया होता तो किसी को भनक भी नह लगती विकी की आइलैंड पर मौजूदगी की या उसकी मोहनी से किसी जुगलबन्दी की ।”
तभी ज्योति वहां पहुंची जिसे देखते ही शशिबाला खामोश हो गयी ।
“मेरे हसबैंड की क्या बात हो रही थी ?” - वो सशंक भाव से बोली ।
“कुछ नहीं ।” - शशिबाला विचलित भाव से बोली ।
“कुछ कैसे नहीं ! पायल से कैसे रिश्ता जोड़ रही थीं तुम उसका ?”
“ज्योति, क्या बात है, तू तो हर वक्त लड़ने को तैयार रहती है ?”
“विकी पर इलजाम लगाकर तू अपनी जान सांसत से नहीं छुड़ा सकती । समझ गयी ।”
“मेरी जान ! सांसत !”
“अब जबकि स्थापित हो चुका है कि पायल की वापिसी तेरे पूरे वजूद के लिये खतरा बन सकती थी तो तू चाहती है कि शक की सूई किसी और पर जाकर टिक जाए और तू...”
“तू... तू पागल है ।”
“मैं पागल हूं !” - ज्योति आंखें निकालकर बोली - “तू ये कहने का हौसला कर सकती है कि पायल की वापिसी से तुझे कोई खतरा नहीं है ?”
“इसमें हौसला कर सकने वाली कोई बात नहीं । ये हकीकत है ।”
“क्या हकीकत है ?”
“वही जो मैं पहले भी कह चुकी हूं । ढाई करोड़ रुपये की मोटी रकम की मालकिन बनने को तैयार पायल अब आनन-फानन फिल्म कान्ट्रैक्ट की तरफ नहीं भागने वाली थी । न ही वो अधिकारी को ओब्लाइज करने के लिये, उसे पांच लाख रुपये का बोनस कमाने का मौका देने के लिये, कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाली थी । और ये न भूल, देसाई उसका दीवना था, वो देसाई की दीवानी नहीं थी । होती तो उसकी पेशकश कब की कबूल कर चुकी होती । मेरी बन्नो, ये तेरी खुशफहमी है, उन पुलिस वालों की भी खुशफहमी है, कि मैंने पायल का कत्ल इसलिये किया हो सकता है क्योंकि उसकी वापसी से मेरे फिल्मी कैरियर को खतरा था । तीन-चौथाई बन चुकी बिग बजट फिल्म में से हिरोइन को एकाएक निकाल बाहर करना कोई हंसी-खेल नहीं होता । इतना नुकसान कोई नहीं झेल सकता, भेल ही वो ग्रेट दिलीप देसाई हो । और फिर ये न भूल कि ऐसे मामलों के लिये कोर्ट के दरवाजे भी खुले हैं । मेरा इस स्टेज पर ‘हार-जीत’ से बाहर होने का मतलब ये होगा कि सात जन्म वो फिल्म पूरी नहीं होने वाली ।”
“हल्लो, ऐवरीबाडी ।” - एकाएक धर्मेन्द्र अधिकारी वहां प्रकट हुआ - “भई, ‘हार-जीत’ की क्या बात चल रही हैं यहां ? और हमारी हीरोइन तमतमाई हुई क्यों दिखाई दे रही है ? कोई बखेड़े वाली बात है तो अब फिक्र न करना, शशि बेबी । मैं आ गया हूं ।”
फिर उस पिद्दी से आदमी ने यूं शान से छाती फुलाई जैसे वो सुपरमैन हो ।
“ले, आ गया तेरा सैक्रेट्री ।” - ज्योति बोली - “अब इसे बोल कि एक अच्छे बच्चे की तरह कत्ल का इलजाम ये अपने सर ले ले ताकि तेरी जान छूटे ।”
“भई, क्या हो रहा है यहां ?” - अधिकारी बोला ।
“रेवड़ी बंट रही है कत्ल के इलजाम की ।” - डॉली बोली - “तुम्हें भी चाहियें !”
“मैंने तो नहीं लगाया किसी पर कत्ल का इल्जाम ।” - शशिबाला बोली - “मेरा मतलब है अभी तक ।”
“अब आगे क्या मर्जी है ?” - ज्योति बोली ।
“सुनना चाहती है, मेरी बन्नो ?”
“जैसे मेरे इनकार करने से तू बाज आ जायेगी ।”
“नहीं, अब तो बाज नहीं आने वाली मैं । अब तो मेरे खामोश होने से तू और पसर जायेगी ।”
“क्या कहना चाहती है ?”
“वही जो तेरा दिल जानता है । और अब दुनिया भी जानेगी । तू पायल का जिन्दा रहना अफोर्ड नहीं कर सकती थी ?”
“क्यों ? अफोर्ड नहीं कर सकती थी ?”
“क्योंकि पायल तेरा पति, तेरा खास खिलौना, तेरा स्टेटस सिम्बल तेरा विकी बाबा तेरे से छीन सकती थी । नौजवानी और खूबसूरती में तो वो तेरे सक इक्कीस थी ही, ऊपर से वो ढाई करोड़ रुपये की मोटी रकम की मालकिन बनने वाली थी । और ऊपर से विकी शुरु से, पायल का दीवाना था । हर घड़ी कुत्ते की तरह उसके लिये लार टपकाता रहता था । पणजी की वो पार्टी तू भूली नहीं होगी जिसमें नशे में विकी ने पायल को अपनी बांहों में ले लिया था । तब लोगों के बीच-बचाव से ही विकी की जानबख्शी हो पायी थी वर्ना श्याम नाडकर्णी ने तो उसकी उस करतूत की वजह से उसके हाथ-पांव तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी ।”
“मुझे याद है वो घटना ।” - अधिकारी बोला - “लेकिन कोई मेरे से पूछे तो मेरा जवाब आज भी ये ही होगा कि उस घटना से सारा कसूर पायल का था ।”
“पायल का था ?” - राज हैरानी से बोला ।
“सरासर पायल का था । ऐसी बला की हसीन लग रही थी उस रोज कि पीर-पैगम्बरों का ईमान डोल सकता था उस पर । अपना विकी तो बेचारा न पीर था, न पैगम्बर । मैं तो कहता हूं कि किसी औरत को इतना हसीन-तरीन दिखने का अख्तियार होना ही नहीं चाहिये कि...”
“ओह, शटअप ।” - डॉली मुंह बिगाड़कर बोली ।
“शटअप तो मैं हो जाता हूं लेकिन हकीकत यही है कि उस रात उस पार्टी में विकी ने वही किया था जो कि वहां मौजूद हर मर्द करना चाहता था । मैं भी ।”
“तुम मर्द हो ?”
“आजमा के देखा तो पता चले ।”
“आजमाने लायक कुछ दिखाई दे तो आजमा के देखूं न ! जितने तुम टोटल हो, उतना तो मैं ब्रेकफास्ट करती हूं । तुम तो मैं” - उसने गाल फुलाकर जोर से फूंक मारने का एक्शन किया - “फूंक मारूंगी तो उड़ जाओगे ।”
“वहम है तुम्हारा । डॉली डार्लिंग, तुम जानती नहीं हो कि वो ‘देखन में छोटो लगत घाव करत गंभीर’ इस खाकसार की बाबत ही कहा गया है ।”
“ओह, शटअप आलरेडी । विकी ने उस पार्टी में पायल के साथ वो हरकत महज ज्योति को जलाने के लिये की थी । क्या भूल गये कि उन दिनों हम ज्योति को कितना छेड़ा करते थे कि वो तो मीराबाई की तरह विकी की प्रेमदीवानी बनी हुई थी ।”
“विकी बेरोजगार था ।” - शशिबाला बोली - “लेकिन बदकिस्मती से नहीं, बदनीयती से । वो कामचोर बेरोजगार था जिसका काम करने का कभी कोई इरादा ही नहीं था । इसीलिये उसने कमाने वाली बीवी पटाई । लोग कहते थे कि ये महज इत्तफाक था कि विकी ने ज्योति से तब शादी की थी जब कि इसके हाथ अपने एक बेऔलाद मामा का दिल्ली में जमा-जमाया बिजनेस लग गया था - ये ‘एशियन एयरवेज’ की मालिक बन गई थी लेकिन हकीकत ये है कि विकी ने इससे शादी की ही तब थी जबकि अपने मामा का वो जमा-जमाया बिजनेस इसके हाथ लगा था ।”
“गलत । बिल्कुल गलत । विकी को पैसे की परवाह नहीं थी । वो पैसे के पीछे नहीं भगता था ।”
“वो क्यों भागता ? जबकि पैसा उसके पीछे भागता था । तू दौड़ाती थी पैसे को उसके पीछे । आज भी दौड़ाती है । वैसी खिदमत करती है तू विकी की जैसी मर्द लोग अपनी किसी रखैल की करते हैं । उसकी हर ख्वाहिश पूरी करती है तू । उसे कीमती खिलौने ले के देती है । मेरी बन्नो, एक बार विकी की अपनी इस खिदमत से हाथ खींच और फिर देख कि तू कहां और विकी कहां !”
“तू पागल है । वो ऐसा नहीं है ।”
“किसे बहका रही है । कोई नहीं बहकने वाला । सिवाय तेरे । मेरी जान, बकौल तेरे अगर पायल पहले से भी ज्यादा हसीन लग रही थी तो वो तेरे लिये पहले से भी ज्यादा खतरा थी क्योंकि खुद तेरे बारे में तो नहीं कहा जा सकता कि तू पहले से ज्यादा हसीन है आज की तारीख में । ऊपर से तुझे तो पायल की तरह ढाई करोड़ की रकम से कोई नहीं नवाजने वाला । अब इन तमाम बातों पर गौर करके ईमानदारी से जवाब दे कि अगर पायल तेरा विकी नाम का खिलौना तेरे से छीन लेना चाहती तो वो कामयाब होती या नहीं ?”
“यूं” - अधिकारी ने चुटकी बजायी - “कामयाब होती ।”
“और तू क्या अपना खिलौना, अपना नाजों से पाला स्टडबुल, छिन जाने देती ? नहीं छिन जाने देती तो तू क्या करती ?”
“ये” - अधिकारी नेत्र फैलाता हुआ बोला - “पायल का खून कर देती । वो कहते नहीं है कि न रहे बांस न बजे बांसुरी । यानी की न रहे सौत न निकसें बलमा ।”
“अब, मेरी रसभरी, तू ये साबित करके दिखा कि जो कुछ मैंने कहा है, वो गलत है ।”
ज्योति के मुंह से बोल न फूटा ।
“देखा !” - अधिकारी हर्षित भाव से बोला - “देखा मेरी पट्ठी का कमाल !”
“देखा” - ज्योति रूआंसी-सी बोली - “उल्लू की पट्ठी का कमाल ।”
“अरे !” - अधिकारी बड़बड़ाया - “मुझे उल्लू कहती है ।”
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