RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“जिसने जितना भौंकना है, भौंक ले लेकिन मैं जानती हूं कि विकी सिर्फ मुझसे प्यार करता है । वो मेरे सिवाय किसी का नहीं हो सकता ।”
“हा हा हा ।” - शशिबाला ने बड़े नाटकीय अन्दाज से अट्टाहास किया ।
ज्योति एकाएक घूमी और पांव पटकती हुई वहां से रुख्सत हुई ।
फिर शशिबाला भी बड़ी शाइस्तगी से वापिस चली तो फुदकता-सा अधिकारी भी उसके पीछे हो लिया ।
“आओ, हम भी चलें ।” - राज बोला ।
“जरा रुको ।”
“क्यों ? क्या हुआ ?”
“मुझे एक बात सूझी है ।”
“क्या ?”
“हम बार-बार कौशल निगम की झुलसी बांह का जिक्र करते हैं लेकिन हमने एक बार भी इस बात का ख्याल नहीं किया कि जैसे पैसेन्जर सीट पर बैठे-बैठे उसकी बाईं बांह सनबर्न से झुलसी थी, वैसे कार चलाते ड्राइवर की दाई बांह भी तो झुलसी होगी । नहीं ?”
“हां ।”
“अभी-अभी शशिबाला ये दावा करके गई है कि कौशल के साथ होगी तो कोई लड़की ही होगी ।”
“मैंने बोला तो था कि वो लड़की पायल हो सकती है ।”
“मुझे कोई और कैण्डीडेट सूझ रहा है ।”
“कौन ?”
“फौजिया ।”
“फौजिया ?”
“जरा उसकी पोशाकों को याद करने की कोशिश करो । अपनी यहां मौजूदगी के दौरान उसे जब भी, जो भी पोशाक पहनी, है भले ही वो जीन हो, स्कर्ट हो, साड़ी हो, शलवार-कमीज हो, उसकी स्कीवी या ब्लाउज या कमीज की आस्तीन कलाई तक आने वाली थी । अभी भी स्कर्ट के साथ जो कालर वाली कमीज वो पहने थी, वो सामने से तो नाभि तक खुली मालूम होती थी लेकिन उसकी आस्तीनें बटनों द्वारा कलाई के करीब बन्द थीं ।”
“तो ?”
“तो क्या ? समझो ।”
“वो सनबर्न छुपाने के लिये लम्बी आस्तीन वाली शर्ट वगैरह पहन रही है ?”
“क्या नहीं हो सकता ?”
“हो तो सकता है लेकिन इस बात की तसदीक कैसे हो ?”
“कैसे हो ?”
“तुम लड़की हो । उसकी सखी हो । फैलो बुलबुल हो । तुम्हीं कोई ताक-झांक करने की कोशिश करो ।”
“एक आसान तरीका भी है ।”
“क्या ?”
“मैं किसी बहाने से उसकी दाई बांह थाम लेती हूं । मेरे ऐसा करने पर अगर वो भी वैसे तड़पती है जैसे सतीश के बांह पकडने पर कौशल तड़पा था तो इसका साफ मतलब ये होगा कि सतीश की बाई बांह की तरह उसकी दाई बांह धूप में झुलसी हुई है और ये कि वो ही उसकी लम्बें सफर की संगिनी थी ।”
“ठीक है । तुम करना कुछ ऐसा ।”
डॉली ने सहमती में सिर हिलाया । फिर वे वापिस लौटे ।
Chapter 4
इस बार लाउन्ज में एक नया आदमी मौजूद था । लगता था कि वो तभी वहां पहुंचा था क्योंकि तब सोलंकी उपस्थित लोगों को उसका परिचय दे रहा था ।
“ये इंस्पेक्टर आरलेंडो है । पणजी से आये हैं । नारकाटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो से हैं ।”
“नारकाटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो से !” - ब्रान्डी हड़बड़ाकर बोला - “इनका यहां क्या काम ?”
“मालूम पड़ जायेगा । अभी बाम्बे से एन.सी.बी. के एक डिप्टी डायरेक्टर भी यहां पहुंचने वाले हैं ।”
“यहां !”
“आइलैंड पर ।”
“क्या कोई बड़ा केस पकड़ में आ गया है ?”
“अभी पता चल जायेगा । फिलहाल आप जरा ये देखिये क्या है ?”
उसने मेज पर पड़ी कार्ड-बोर्ड की पेटी में से एक छुरी बरामद की । छ: इंच के करीब लम्बे फल वाली छुरी सूरत से ही निहायत तीखी लगी रही थी ।
“कोई इस छुरी को पहचानता है ?” - उसने पूछा ।
“मैं पहचानता हूं ।” - तत्काल सतीश बोला - “ये छुरी उस कटलरी का हिस्सा है जो कुछ साल पहले मैं इंगलैंड से लाया था । इसके फल और हैंडल दोनों पर ताज का मोनोग्राम बना हुआ है ।”
“यानी ये छुरी आपकी मिल्कियत है ?”
“हां ।”
“इसके जोड़ीदार बाकी के छुरी-कांटे-चम्मच वगैरह कहां पाये जाते हैं ?”
“किचन के एक दराज में ।”
“जिसको ताला लगाने में तो कोई मतलब ही नहीं ।”
“माई डियर सर, किचन दराजों को कौन ताला लगाता है ?”
“लगाने वाले लगाते हैं लेकिन आप नहीं लगाते । आपके यहां किसी चीज को ताले में बन्द करके रखने का रिवाज नहीं मालूम होता । मेहमानों की बेइज्जती होती है । आपकी मेहमाननवाजी पर हर्फ आता है । नो ?”
सतीश ने जोर से थूक निगली और फिर अटकता-सा बोला - “आप क्या कहना चाहते हैं ? क्या ये छूरी इस वक्त जिक्र के काबिल है ?”
“ये आलायेकत्ल है । मर्डर वैपन है ये । ये टेलीफोन बूथ से बरामद हुई आयशा की लाश की छाती में पैवस्त पायी गयी थी ।”
“ओह !”
“यानी कि जैसे पहले कत्ल का हथियार आपके शस्त्रागार से सप्लाई हुआ था, वैसे ही दूसरे कत्ल का हथियार आपकी किचन से सप्लाई हुआ है । दूसरा कत्ल किसी फायरआर्म से इसलिये नहीं हुआ क्योंकि पुलिस की राय पर अमल करते हुए आपने कल शास्त्रागार को ताला लगा दिया था ।”
“लेकिन” - राज बोला - “पहले कत्ल का हथियार वो अड़तीस कैलीबर की स्मिथ एण्ड वैसन रिवॉल्वर अभी बरामद तो हुई नहीं ? क्या इसका मतलब ये नहीं कि वो रिवॉल्वर अभी भी कातिल के पास थी ।”
“हमें निश्चित रूप से मालूम है कि कल रात दूसरे कत्ल की नौबत आने से पहले कातिल उस रिवॉल्वर को कहीं ठिकाने लगा चुका था ।”
“कहीं कहां ?”
“कुएं में ।”
“जी !”
“वो रिवॉल्वर कुएं से बरामद हुई है ।”
“ओह !”
“इसका साफ मतलब ये भी है कि रिवॉल्वर को ठिकाने लगाने के बाद तक कातिल को ये इमकान नहीं था कि बहुत जल्द, आनन-फानन उसके एक और कत्ल भी करना पड़ सकता था । वर्ना वो रिवॉल्वर को अपने से जुदा न करता । उसके रिवॉल्वर कुएं में फेंक चुकने के बाद ही ऐसे हालात पैदा हुए थे कि उसे आयशा का भी कत्ल करना पड़ा था । तब आल्टरनेट वैपन के तौर पर उसने ये लम्बे फल वाली तीखी छुरी चुनी थी जो कि यहीं किचन में सहज ही उपलब्ध थी । दूसरा कत्ल किचन में उपलब्ध छुरी से हुआ होना मेरी इस धारणा को और भी मजबूत करता है कि कातिल कोई बाहरी आदमी नहीं हो सकता । कातिल या मेहमानों में से कोई था या” - उसकी निगाह पैन होती हुई कौशल निगम, रोशन बालपाण्डे और धर्मेन्द्र अधिकारी पर फिरी - “मेहमानों के मेहमानों में से कोई था ।”
“इसके हत्थे पर से कोई फिंगर प्रिंटस वगैरह नहीं मिले ?”
“नहीं मिले । रिवॉल्वर पर से भी नहीं मिले । यानी की कातिल होशियार और खबरदार था ।”
कोई कुछ न बोला ।
सोलंकी कुछ क्षण बारी-बारी सबको घूरता रहा, फिर उसने दोबारा कार्ड-बोर्ड की पेटी में हाथ डाला । इस बार उसने पेटी से जो आइटम बरामद की वो एक एयरबैग था जोकि साफ पता चल रहा था कि खाली नहीं था ।
“कोई” - वो उसे पेटी से अलग मेज पर रखता हुआ बोला - “इसे एयरबैग को पहचानता हो !”
“मैं पहचानती हूं ।” - तत्काल ज्योति बोली - “परसों सुबह इसे मैंने तब पायल के हाथ में देखा था जबकि वो यहां से खिसक रही थी ।”
“पक्की बात ?”
“जी हां ।”
“इस किस्म के एयरबैग सब एक ही जैसे होते हैं, फिर भी आप दावे के साथ कह रही हैं, कि ये ही बैग आपने पायल के हाथ में देखा था । ऐसा क्यों ?”
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