RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“वो सब कुछ पहने होगी ।” - विकी फिर अपनी बीवी की हिमायत में वार्तालाप में कूदा - “लेकिन डॉली का दांव सिर्फ एक ही जेवर चुराने में चला होगा । अभी उसने ब्रसेलेट ही कब्जाया होगा कि उसे मौकायवारदात से खिसक जाना पड़ा होगा ।”
“आप तो आई विटनेस की तरह जवाब दे रहे हैं ।”
“इट स्टैण्ड्स टु रीजन । बच्चा भी समझ सकता है कि...”
“यहां जो बच्चा मौजूद हो, वो बरायमेहरबानी खड़ा हो जाये ताकि मैं उससे पूछ सकूं कि वो क्या समझ सकता है !”
कोई कुछ न बोला ।
“आप आई विटनेस नहीं थे, मिस्टर निगम । हो भी नहीं सकते थे । आप उस बात का जवाब क्यों नहीं ट्राई करते जिसके कि आई विटनेस आप थे ?”
“कौन-सी बात ?” - निगम बोला ।
“आपकी कार में आपकी हमसफर कौन थी ?”
“माथुर, माइंड युअर ओन बिजनेस ।”
“यानी कि आप नहीं बतायेंगे !”
“मैंने बोला न कि अपने काम से काम रखो ।”
“ठीक है । आप न बताइये, मैं बताता हूं ।”
कौशल सकपकाया । उसने घूरकर राज की ओर देखा ।
“वो फौजिया थी ।” - राज बोला ।
सब चौंके । सबसे ज्यादा फौजिया चौंकी ।
“फौजिया !” - ज्योति के मुंह से निकला - “विकी के साथ !”
“पूरा रास्ता ।” - मकेश बोला - “धूप में घण्टों कार भी चलाई इसने जिसका सुबूत इसकी झुलसी हुई दायीं बांह है जिसे ये, जबसे आयी है, छुपा के रखे हुए है ।”
फौजिया के चेहरे का रंग उड़ा ।
राज ने चैन की सांस ली । उसका तुक्का चल गया था । जो काम डॉली नहीं कर सकी थी, वो अब सहज ही हो गया था ।
“मैडम !” - वो फौजिया से बोला - “जब मामला डबल मर्डर का हो, बल्कि ट्रिपल मर्डर का हो तो किसी पति की अपनी पत्नी से छोटी-मोटी, वक्ती बेवफाई कोई अहम मुद्दा नहीं होता ।”
“इसमें बेवफाई कहां से आ घुसी ?” - फौजिया भड़ककर बोली - “मैंने यहां पहुचना था, मुझे आल दि वे लिफ्ट मिल रही थी, मैंने लिफ्ट ले ली तो क्या आफत आ गयी ?”
“विकी कहां मिला तुझे ?” - ज्योति उसे घूरती हुई बोली - “आगरे में ?”
“नहीं । दिल्ली में । जहां कि मैं चण्डीगढ से बस पर सवार होकर पहुंची थी । मैं तो गोवा के कन्सेंशनल प्लेन टिकट की फिराक में तुम्हारी ट्रैवल एजेन्सी में आयी थी कि सड़क पर ही मुझे विकी मिल गया था । इसने मुझे बताया था कि ये आगरा से एक टयोटा पिक करके आगे गोवा जाने वाला था तो मैं इसके साथ जाने को तैयार हो गयी । आखिर मेरा पांच हजार रुपये का प्लेन फेयर बचता था । इतनी-सी तो बात है ।”
“ये इतनी-सी बात हो सकती है ।” - राज बोला - “लेकिन अगले रोज जबकि कौशल भी यहां पहुंच गया तो आधी रात को, चोरों की तरह इसके साथ इसकी टयोटा में सवार होकर फिर से निकल पड़ने को मैडम ज्योति निगम अगर ‘इतनी-सी बात’ मानें तो मैं कहूंगा कि ये बहुत दरियादिल हैं । ईर्ष्या की भावना तो इन्हें छू तक नहीं गयी ।”
“यू बिच !” - ज्योति दांत पीसती बोली ।
फौजिया घबराकर परे देखने लगी ।
“बुरा हो उस हवलदार का” - राज अब स्थिति का आनन्द लेता हुआ बोला - “जो अपने स्कूटर पर आधी रात को इनके पीछे लग लिया और इनकी मिडनाइट पिकनिक बर्बाद कर दी ।”
“यू लाउजी बिच !” - ज्योति बोली ।
फौजिया ने उससे निगाह ने मिलाई ।
“और तुम !” - ज्योति अपने पति की तरफ घूमी - “तुम...”
“इसकी बातों पर न जाओ, डार्लिंग ।” - निगम जल्दी से बोला - “ये खुराफाती आदमी खामखाह तुम्हें भड़का रहा है ।”
“खामखाह ! खामखाह बोला तुमने ?”
“हां । और माथुर” - वो राज की तरफ घूमा - “दूसरों पर इलजाम लगाने से तुम्हारी गर्लफ्रेंड का कोई भला नहीं होने वाला ।”
“मेरी गर्लफ्रेंड !” - राज की भवें उठीं ।
“या जो कुछ भी तुम उसे समझते हो ।”
“तुम भी जो कुछ मर्जी समझो । आई डोंट माइन्ड । बहरहाल डॉली के कातिल होने का यकीन तुम्हें हैं, मुझे नहीं । इस लिहाज से इस केस की तुम्हारी जानकारी मेरी जानकारी से ज्यादा होनी चाहिये । अब तुम उस अपनी बेहतर जानकारी को कुरेदकर ये बताओ कि डॉली के पास कत्ल का उद्देश्य क्या था ? क्यों किये उसने कत्ल ? क्यों किया उसने कोई भी कत्ल ?”
“होगी कोई वजह ?”
“इस बार ‘मुझे क्या पता’ नहीं कहा ?”
वो खामोश रहा ।
राज ने बारी-बारी सब पर निगाह डाली ।
कत्ल के उद्देश्य की बाबत किसी की जुबान न खुली ।
“हकीकत ये है, लेडीज एण्ड जन्टलमैन” - राज बोला - “कि डॉली के पास कत्ल का कोई उद्देश्य नहीं । जबकि जनाबेहाजरीन में से कइयों के पास कत्ल का मजबूत उद्देश्य है ।”
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