RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
फिर राज को देखते-देखते सोलंकी और उसके दोनों हवलदार गार्डन में दाखिल हो गये ।
वो करीब पहुंचा ।
“गार्डन में आवाजाही का” - सतीश फिगुएरा को बता रहा था - “ये एक ही रास्ता है ।”
“पक्की बात ?” - फिगुएरा बोला ।
“आफकोर्स ?”
“ऐसा कैसे हो सकता है ?” - शशिबाला बोली - “इतना बड़ा गार्डन है । कोई तो दूसरा रास्ता होगा !”
“नहीं है ।” - सतीश तनिक नाराजगी से बोला - “जब मैं कहता हूं नहीं है तो नहीं है । आखिर ये मेरी प्रापर्टी है । आई नो बैटर ।”
“ही इज राइट ।” - अधिकारी बोला ।
“डॉली अभी इस रास्ते से गार्डेन में दाखिल हुई है । वो जब कभी भी बाहर निकलेगी इसी रास्ते से निकलेगी । दस फुट ऊंची दीवार से घिरा ये गार्डन ऐसे ही बना हुआ है कि सामने रास्ते के अलावा और कहीं से कोई खरगोश बाहर कदम नहीं रख सकता । भीतर कई रास्ते हैं जो भूल-भुलैया की तरह एक-दूसरे में गड्ड-मड्ड हुए हुए हैं लेकिन उनसे निकासी का अन्त-पन्त एक ही रास्ता है जिसके सामने कि हम खड़े हैं ।”
“सतीश” - शशिबाला जिदभरे स्वर में बोली - “तुम भूल रहे हो कि उस रात को जब कोई हाउसकीपर वसुन्धरा को धक्का देकर भागा था, जिसे कि पुलिस वाले कोई ताक-झांक करने वाला बताकर गये थे, तो वो, बकौल वसुन्धरा, भागकर गार्डन में ही घुसा था । और जब मिस्टर माथुर उसकी तलाश में गार्डन में घुसे थे तो वो इन्हें कहीं नहीं मिला था । इसका साफ मतलब है कि गार्डन से निकासी का कोई दूसरा रास्ता तलाश करने में वो शख्स कामयाब हो गया था ।”
“नामुमकिन ।” - सतीश जिदभरे स्वर में बोला - “वो जब भी निकला होगा, इधर से ही वापिस निकला होगा । मिस्टर माथुर गार्डन में गहरे धंसे हुए होंगे जबकि वो यहां से निकल गया होगा । या वो मिस्टर माथुर की मौजूदगी में भीतर कहीं छुपा रहा होगा और फिर इनके तलाश से हारकर लौट आने के बाद यहां से खिसका होगा । इसी रास्ते । आई रिपीट, इसी रास्ते ।”
“इस रास्ते नहीं खिसका था ।”
तत्काल सब खामोश हो गये ।
“कौन बोला ?” - फिर फिगुएरा तीखे स्वर में बोला ।
कोई जवाब न मिला ।
“अभी कौन बोला था ?” - फिगुएरा क्रोध से बोला ।
नौकरों के झुण्ड में से एक युवक झिझकता हुआ एक कदम आगे बढा ।
राज ने देखा वो केयरटेकर का नौजवान लड़का रोमियो था । उसकी सूरत से यूं लग रहा था जैसे वो जोश में मुंह फाड़ बैठा था और अब पछता रहा था ।
“मैं ।” - वो दबे स्वर में बोला - “मैं बोला था ।”
“तुम कौन हो ?”
“ये” - जवाब सतीश ने दिया - “रोमियो है । मेरे केयरटेकर का लड़का है ।”
“तुम” - फिगुएरा सख्ती से उससे सम्बोधित हुआ - “कैसे दावे के साथ कह सकते हो कि हाउसकीपर का हमलावर इस रास्ते से वापिस बाहर नहीं निकला था ।”
“मेरी इस रास्ते पर निगाह थी । मिस्टर माथुर के मिस डॉली टर्नर के साथ वापिस लौट जाने के बाद तक मेरी इस रास्ते पर निगाह थी । इनके लौटने के दो घण्टे बाद तक की मैं गारन्टी करता हूं कि कोई शख्स गार्डन से बाहर नहीं निकला था ।”
“तुम्हारी इस रास्ते पर निगाह क्यों थी ?”
“ये मैं नहीं बता सकता ।”
“क्या !”
“वो मेरा एक राज है जिसे मैं फाश नहीं करना चाहता लेकिन जिसका आपकी तफ्तीश से कोई रिश्ता नहीं ।”
“मैं तुमसे अकेले में बात करूंगा ।”
“अकेले में बात करेंगे तो मैं आपसे कुछ नहीं छुपाऊंगा लेकिन ये मैं फिर दोहराता हूं कि उस रात हाउसकीपर पर हमला होने के बाद, मिस्टर माथुर के उसकी तलाश में निकलने और नाकाम होकर लौटने के दो घण्टे बाद तक कोई जाना या अनजाना शख्स इस रास्ते से बाहर नहीं निकला था ।”
उस नये रहस्योदघाटन ने राज की सोच को जैसे पंख लगा दिये । बहुत तेजी से उस रात की घटनायें न्यूजरील की तरह उसके मानस पटल पर उभरने लगीं ।
मसलन हाउसकीपर ने यकीनी तौर से कहा था कि उसका हमलावर उसे धक्का देकर गार्डन में घुसा था ।
गार्डन में कोई नहीं था, होता तो या राज को कहीं दिखाई देता या रोमियो को गार्डन से बाहर निकलता दिखाई देता ।
इमारत की दीवारें हिलाती बादलों की गर्ज, बिजली की कड़क !
हाउसकीपर की दिल दहला देने वाल चीख जो उन आवाजों से भी ऊंची सुनाई दी थी !
बिजली कड़कने से पहले उन लोगों के बीच क्या वार्तालाप चल रहा था ?
पायल बादलों की गर्ज, बिजली की कड़क का खौफ खाती थी !
और ! और क्या विषय था तब चर्चा का ?
“इसका साफ मतलब है” - फिगुएरा कह रहा था - “कि मिस्टर सतीश का दावा सच नहीं । गार्डन से निकासी का यकीनन कोई और भी रास्ता है ।”
“लेकिन...” - सतीश ने कहना चाहा ।
“एक मतलब और भी है ।” - तब राज तमककर बोला ।
“क्या !” - फिगुएरा उसे घूरता हुआ बोला - “और क्या मतलब है ?”
“पायल पाटिल बिजली की कड़क से खौफ खाती थी...”
तभी गार्डन के रास्ते पर हलचल हुई जिसकी वजह से सबकी निगाहें उधर उठ गयीं ।
रास्ते में पहले सोलंकी और फिर बद्हवास डॉली को दायें-बायें से थामे दो हवलदार प्रकट हुए । डॉली का चेहरा कागज की तरह सफेद था और उसपर गहन पराजय की भाव अंकित थे ।
“मैडम !” - फिगुएरा कर्कश स्वर में बोला - “आप अपने आपको गिरफ्तार समझें ।”
“खामखाह !” - राज तीखे स्वर में बोला ।
“खामखाह, क्या मतलब ?”
“अभी समझाता हूं । मुझे दो मिनट का, सिर्फ दो मिनट का वक्त दो ।”
“क्या करने के लिये ?”
“ये साबित करके दिखाने के लिये कि डॉली को गिरफ्तार करके आप कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं ।”
“ओह, नानसेंस । हमें पता है हम क्या कर रहे हैं ।”
“फिगुएरा !” - सोलंकी बोला - “दो मिनट ही तो कह रहा है । दो मिनट से हमें क्या फर्क पड़ जायेगा ?”
“ठीक है ।” - फिगुएरा बोला - “बोलो, क्या कहना चाहते हो ?”
“आपसे नहीं” - राज ज्योति की तरफ घूमता हुआ बोला - “मैडम से कुछ कहना चाहता हूं ।”
ज्योति सकपकाई ।
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