Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
10-18-2020, 06:48 PM,
#98
RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“मुझे आप से हमदर्दी है ।”
“क्या !”
“मेरा मतलब है कि मुझे अफसोस है कि फर्म का काम यूं खामखाह बढ रहा है ।”
“ठीक है, ठीक है । अब जाओ जाके स्टेनो को अपनी रिपोर्ट डिक्टेट कराओ ।”
“वो अभी नहीं हो सकता, सर ।”
“क्यों ?” - आनन्द साहब के माथे पर बल पड़े - “क्यों नहीं हो सकता ?”
“सर, मेरी किसी से लंच अप्वायन्टमैंट है । मैं” - राज ने अपनी कलाई घड़ी पर निगाह डाली - “पहले ही लेट हो रहा हूं ।”
“किससे लंच अप्वायन्ट है तुम्हारी ? किसी क्लायन्ट से ?”
“नो, सर ।”
“तो ?”
“अपनी होने वाली बीवी से ।”
***
नजदीकी रेस्टोरेंट में डॉली बड़ी व्यग्रता से उसका इन्तजार कर रही थी । उन्होंने चुपचाप भोजन किया और बाद में काफी मंगाई ।
तब राज बड़ी गम्भीरता से बोला - “तुम कुछ कहना चाहती हो ?”
“किस बाबत ?” - डॉली बोली ।
“तुम्हें नहीं मालूम ?”
“बताओगे तो जान जाऊंगी ।”
राज ने एक आह-सी भरी फिर बोला - “इस केस से ताल्लुक रखती हर बात की व्याख्या हो चुकी है, समीक्षा हो चुकी है । किसी बात पर अभी रहस्य का पर्दा पड़ा हुआ है तो वो तुम्हारा व्यवहार है । मुझे बहुत उम्मीद थी कि तुम खुद ही कुछ उचरोगी इसलिये मैंने वो जिक्र छेड़ने से परहेज रखा लेकिन लगता है कि उस मामले में तुम रहस्यमयी रमणी ही बनी रहना चाहती हो ।”
“मैं तुम्हें ओल्ड रॉक पर अकेला छोड़कर जीप समेत भाग खड़ी हुई थी, इसका मुझे अफसोस है ।”
“शुक्र है वो बात तुम भूली नहीं हो ।”
“मैं माफी मांगती हूं ।”
“माफी तो हुई लेकिन वो हरकत की क्यों थी तुमने ? यूं क्यों भाग खड़ी हुई एकाएक ? भागीं भी तो लौट के सतीश की एस्टेट में क्यों पहुंच गयी ?”
“वहां से अपना सामान वगैरह उठाने के लिये । मेरा तमाम रुपया-पैसा भी मेरे सूटकेस में था, इसलिये लौटना जरूरी था । मुझे क्या मालूम था कि वहां पुलिस मेरी ताक में थी !”
“तुम किसी विक्रम पठारे को जानती हो जोकि स्थायी रूपा से लिस्बन में बसा हुआ है लेकिन सतीश की तरह आजकल के मौसम गोवा आता है ?”
“नहीं ।”
“अब जान लो । विक्रम पठारे वो क्रीम कलर की फियेट वाला था जिसके पीछे कि तुमने मुझे खामखाह दौड़ा दिया था । इतना तो अब मैं भी समझ सकता हूं कि असल में चर्च रोड पर तुम्हें कोई और ही शख्स दिखाई दिया था जिसकी निगाहों में कि तुम नहीं आना चाहती थीं और उसी से बचने के लिये जो गाड़ी तुम्हें तब हमारे सामने दिखाई दी थी, तुमने मुझे उसके पीछे लगा दिया था । अब कहो कि मेरा ख्याल गलत है ?”
“ठीक है तुम्हारा ख्याल ।” - वो संजीदगी से बोली ।
“असल में वहां कौन था वो आदमी जिससे कि तुम बचना चाहती थी ?”
“आदमी नहीं था । एक लड़की थी जो कि मेरे साथ स्कूल में पढती थी । सालों साल गुजर गये थे कि मेरी उससे कभी मुलाकात नहीं हुई थी । पता नहीं कहां से परसों फिगारो आइलैंड पर टपक पड़ी थी ! मुझे देखकर वो चर्च रोड पर ही टिकी रहती, तो भी गनीमत थी । वो तो हमारे पीछे पायर पर भी पहुंच गयी थी । जब हम बजड़े पर सवार हुए थे तो पायर पर खड़ी एक लड़की जोर-जोर से हमारी तरफ हाथ हिला रही थी, जिसकी तरफ कि तुमने भी हाथ हिलाया था । याद आया ?”
“हां ।”
“वो असल में तेरी जवज्जो हासिल करने के लिये, मेरी तरफ हाथ हिला रही थी । उसी से पीछा छुड़ाने के लिये मैंने तुम्हें बजड़े पर चढने के लिये मजबूर किया था ।”
“लेकिन उससे मिलने में तुम्हें दहशत क्या थी ?”
“बताती हूं । वो क्या है कि डॉली टर्नर मेरा असली नाम नहीं है । ये मेरा स्टेज नेम है जोकि मैंने असलियत छुपाने के लिये रखा हुआ है । वो लड़की इस बात को जानती नहीं हो सकती थी । जानती होती तो भी उसने मुझे मेरे असली नाम से ही बुलाया होता ।”
“असली नाम ! हे भगवान ! कहीं तुम्हारा असली नाम पायल ही तो नहीं ?”
“पायल ही है । वो ब्रेसलेट जो पुलिस ने मेरे सामान से बरामद किया था, मेरा ही था जो कभी श्याम नाडकर्णी ने उपहारस्वरूप मुझे दिया था ।”
“ओह ! तो वो पायल नाडकर्णी की जिन्दगी में आयी दूसरी पायल थी । पहली पायल तुम थीं ?”
“हां ।”
“यानी कि तुम भी मिसेज नाडकर्णी रह चुकी हो ?”
“नहीं । मेरा अफेयर उस मंजिल तक नहीं पहुंचा था ।”
“ओह !”
“श्याम नाडकर्णी को मैं ‘सतीश की बुलबुल’ बनने से पहले से जानती थी । तब से जबकि उसके बाप का उसपर पूरा-पूरा अंकुश था । तब उसे ये कभी बर्दाश्त न होता कि उसका खानदानी बेटा एक मेरे जैसी मामूली हैसियत की लड़की पर फिदा था इसलिये हमने इस बात को हमेशा राज रखा था । बाद में जब मैं सतीश की बुलबुलों में शुमार हो गयी तो बाकी बुलबुलों से श्याम नाडकर्णी को मैंने ही मिलवाया था । तब वो कमीना पायल पर ऐसा लट्टू हुआ कि तौबा भली । पायल ने पहले तो उसको कोई खास भाव नहीं दिया था लेकिन जब एकाएक उसका बाप मर गया और वो ओवरनाइट उसकी सारी दौलत का मालिक बन बैठा तो पायल पंजे झाड़कर उसके पीछे पड़ गयी थी । तब से पायल से हुई नफरत मेरे दिल से आज तक न निकली । ये बात अगर पुलिस को पता लग जाती तो वो ये ही समझते कि इतने सालों बाद पायल को अपने करीब पाकर मैं आपे से बाहर हो गयी थी और मैने ही उसका कत्ल किया था क्योंकि कभी उसने श्याम नाडकर्णी को मेरे से छीन लिया था ।”
“आई सी ।”
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RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली - by desiaks - 10-18-2020, 06:48 PM

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