Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
10-23-2020, 01:04 PM,
#44
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
“तुम इस युवक से बुरी तरह डरी हुई और आतंकित थीं—घबरा रही थी, डर रही थीं-उसी घबराहट की वजह से तुम तुरन्त तलाशी लिए जाने की रिपोर्ट न कर सकीं, जब घबराहट कुछ कम हुई तो रिपोर्ट करने के लिए कमरे से बाहर निकलना चाहा, तभी तुमने इस युवक को सामने वाले कमरे का ताला खोलते देखा, तुम बुरी तरह डरकर अपने कमरे में बन्द हो गईं—कहीं रिपोर्ट करने का युवक पर कोई उल्टा ही असर न हो, इस डर से तुम रिपोर्ट न कर सकीं और डर के मारे सारी रात जागती रहीं और सुबह को अन्त में तुमने रिपोर्ट करने का ही निश्चय किया, अपने कमरे का दरवाजा तुम पुलिस के आने पर ही खोलोगी।”
“इस सबसे क्या होगा?” अशरफ ने पूछा।
“सिक्योरिटी की नजरों में ब्यूटी साधारण लड़की साबित हो जाएगी।”
“वे लोग इसे गिरफ्तार भी तो कर सकते हैं।”
“किसलिए?”
“पूछताछ करने के लिए?”
“तुम्हारे ख्याल से वे किस किस्म की पूछताछ करेंगे!”
“ब्यूटी का इतिहास जानने की कोशिश करेंगे।”
“वह सब पक्का है ही, बेहिचक बता देना चाहिए।”
“वे यह भी पूछेंगे कि कोहिनूर देखते समय ये तनावग्रस्त या नर्वस क्यों थीं?”
“ये सवाल जरूर किया जाएगा क्योंकि सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है और इसी का जवाब जानने के लिए वे इतने पापड़ बेल रहे हैं, उनके पापड़ बेलने की उनकी प्रक्रिया रुक जाएगी और वे जवाब पाने के लिए आशा से यह सीधा सवाल करने के लिए विवश हो जाएंगे, यदि उन्हें माकूल जवाब मिल गया तो वे पापड़ बेलना बन्द कर देंगे, उससे न केवल आशा ही तनाव से बाहर निकल आएगी, बल्कि हम भी असुविधा से बच जाएंगे।”
“सोच तो तुम ठीक रहे हो, लेकिन...!”
“लेकिन क्या?”
“उसके सवाल के जवाब में आशा क्या कहेगी?”
“कोहिनूर को देखने जाने से पहले इसके एक हजार पाउण्ड कहीं खो गए थे, उन्हीं की वजह से यह मानसिक रूप से असंतुलित थी।”
“क्या वे इस बहाने पर यकीन कर लेंगे?”
“यकीन करें या न करें, मगर एक बहाना तो है।” विजय बोला— “इस बहाने के बाद वे आशा पर कोई जुर्म साबित नहीं कर सकेंगे और बिना किसी अपराध के पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं रख सकती, लिहाजा इसे छोड़ दिया जाएगा।”
“क्या जरूरी है कि इस घटना के बाद सिक्योरिटी का कोई जासूस आशा पर नजर नहीं रखेगा?”
“कोई जरूरी नहीं है।”
“बात तो फिर वहीं आ गई।”
“इसीलिए तुम्हारे लिए यह आदेश है आशा डार्लिंग की जब तक हमारा संकेत न हो, तब तक तुम किसी भी हालत में हममें से किसी से सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश नहीं करोगी, भले ही चाहे जैसी विशेष परिस्थिति हो—तुम्हें लंदन घूमने आई साधारण लड़की की तरह रहते रहना है—इस बात पर भी ध्यान नहीं दोगी कि हम क्या कर रहे हैं। या हमारे साथ क्या हो रहा है—यहां तक कि अगर तुम कहीं हममें से किसी की लाश भी पड़ी देख लो तो उतनी ही दिलचस्पी लेना जितनी किसी अपरिचित किसी लाश में लेता है।”
आशा ने स्वीकृति में गरदन हिलाई।
“अब तुम जा सकती हो।”
चौंकती हुई आशा ने पूछा—“क्या तुम सब लोग मुझे अपनी रिपोर्ट्स से अवगत नहीं कराओगे?”
“तुमसे कहा न आशा डार्लिंग।” किसी के बोलने से पहले ही विजय ने कहा— “फिलहाल हमारे अगले संकेत तक के लिए बिल्कुल भूल जाओ कि तुम हमारे साथ यहां किसी अभियान पर आई हुई हो।”
आशा चुप रह गई, विजय ने कहा— “जिस दिन मैं तुम्हें सफेद सूट में गुलाब लगाए लंच लेता नजर आऊं, उस दिन तुम मुझे फॉलो फोलो करने लगोगी, सिर्फ करोगी—मुझसे बोलोगी कुछ नहीं—यदि रास्ते में कहीं फूल निकालकर फैंक दूं तो मुझे फॉलो करना बन्द कर देना।”
“मैं समझ गई।”
“गुड!” विजय ने विकास को आदेश दिया—“अब तुम अपनी आशा आण्टी को होटल की छत तक छोड़ आओ प्यारे दिलजले, मगर सावाधान—किसी की नजर तुम पर पड़ी और बन्टाधार!”
विकास और आशा खड़े हो गए।
¶¶
करीब पन्द्रह मिनट बाद विकास लौट आया, उसने रिपोर्ट दी कि उन्हें किसी ने नहीं देखा है, सारा होटल सन्नाटे में डूबा पड़ा है, आश्वस्त होने के बाद विजय ने कहा— “अब तुम सुनाओ प्यारे दिलजले, अपना शिकार तुम्हें मिला या नहीं?”
“मिल गया है।” विकास ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया।
“वैरी गुड!” विजय उछल पड़ा— “इसे कहते हैं उपलब्धि—हां तो प्यारे—एक ही सांस में बता दो कि उसका क्या नाम है, कहां रहता है और तुमने किस तरह उसका पता लगाया?”
विकास ने सचमुच एक ही सांस में सब कुछ बता दिया। सुनने के बाद विजय ने कहा—“जी चाहता है प्यारे कि तुम्हारे दिमाग को चूम लूं, लेकिन ये साली खोपड़ी बीच में है, खैर—फिर कभी सही-हां तो प्यारे झानझरोखे और विक्रमादित्य, हमने तुम्हें लन्दन में कोई ऐसी जगह तलाश करने का काम सौंपा था, जहां बिना किसी विघ्न—बाधा के हमारी आपराधिक गतिविधियां चल सके, क्या रहा—यानी तुम ऐसी किसी जगह को खोज निकालने में कामयाब हुए या नहीं?”
“स्थान तो हमने कई देखे हैं, मगर उनमें से अधिकांश शहर से काफी दूर सन्नाटे में हैं—तुमने कहा था कि स्थान यदि शहर के बीच में मिल जाए तो ज्यादा अच्छा है।”
“मिला कोई?”
“मिला है और मकान नहीं, पूरी कोठी है वह!”
“किस सिच्युएशन में?”
“स्मिथ स्ट्रीट का सारा इलाका ही कोठियों से भरा पड़ा है और उन्हीं में से एक कोठी का नाम है—‘पीटर हाउस' यह कोठी करीब पांच सौ वर्ग गज के क्षेत्रफल में बनी हुई है, इसे पीटर नाम के व्यक्ति ने बनवाया था जो पांच साल पहले मर चुका है, पीटर के दो लड़के हैं-इन दोनों में इस कोठी को लेकर पीटर की मृत्यु के एक महीने बाद से ही झगड़ा है, दोनों कोठी पर अपना दावा पेश करते हैं और दिलचस्प बात ये हैं कि दोनों के पास पीटर की मृत्यु से पहले ही अपने-अपने हक में वसीयतें हैं—दोनों वसीयतों पर पीटर के साइन हैं और वे एक-दूसरे की वसीयत को नकली कहते हैं।”
“मामला वाकई दिलचस्प है।”
“पीटर हाउस को लेकर कुछ दिन तक तो दोनों भाइयों का झगड़ा होता रहा, फिर एक ने कुछ किराए के गुण्डों की मदद से पीटर हाउस पर कब्जा कर लिया—दूसरे भाई ने भी गुण्डे खरीदे और इन गुण्डों ने पहले भाई के गुण्डों को मार पीटकर भगा दिया तथा अपना कब्जा जमाकर बैठ गए करीब एक साल तक यही सिलसिला चलता रहा—इस लड़ाई में पहला भाई हार गया तो उसने अपने पास मौजूद पीटर की वसीयत के आधार पर मुकदमा दायर कर लिया, दूसरा भाई कोर्ट में हाजिर हुआ—उसने भी पीटर के ही साइन वाली अपनी वसीयत पेश कर दी, जिसके मुताबिक पीटर हाउस उसका था—इस तरह कानूनी लड़ाई शुरू हो गई—अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है, अदालत ने कोठी पर ताला लटकाकर अपनी सील लगा दी है—चाबी भी अदालत के पास है और जज ये घोषित कर चुका है कि फैसला होने पर चाबी जीतने वाले भाई को दे दी जाएगी।”
“यानी इस वक्त कोठी वीरान और बन्द पड़ी है, ताले पर अदालत की सील है।”
“मुकदमें का फैसला होने तक यही स्थिति रहेगी।”
“फैसला होने के बारे में क्या सम्भावना है?”
“कम-से-कम एक साल तो कोई फैसला होता नहीं है।” विक्रम ने बताया।
विजय ने पूछा—“तुम्हें यह पीटर हाउस आपराधिक गतिविधियों के लिए जंचा?”
“केवल इसलिए कि अदालत के फैसले से पहले वहां कोई घुस भी नहीं सकता।”
“तुम कैसे घुसोगे, मेरा मतलब वह अदालती सील?”
“अदालती सील केवल मुख्य द्वार ही पर तो लगी हुई है, हम जैसे अपराधियों के लिए कोठी के अन्दर जाने के अन्य बहुत-से रास्ते हैं, सील लगी रहे-हमारा अखाड़ा आराम से कोठी के अन्दर जम सकता है।”
“किस किस्म के रास्ते हैं?”
“उपरोक्त सिच्युएशन पता लगने पर हमें पीटर हाउस अपनी गतिविधियों के लिए उचित जगह लगी, सोचा कि अगर हमें अन्दर दाखिल होने के लिए कोई अन्य रास्ता मिल जाए तो हम उसी को अपने आने-जाने का ‘मुख्य द्वार’ बनाकर कोठी का मनचाहा इस्तेमाल कर सकते हैं—मुख्य द्वार पर लगी अदालती सील हमें सुरक्षित रखेगी, यही सोचकर रात के वक्त हमने कोठी के चारों तरफ घूम-घूमकर सारी भौगोलिक स्थिति देखी—पिछली तरफ, ‘रेनवाटर’ पाइप से लगी हुई दूसरी मंजिल की एक खिड़की है—उस खिड़की पर लगे शीशेदार किवाड़ शायद अन्दर से बन्द हैं, शीशे का थोड़ा-सा भाग काटकर हम आसानी से अन्दर दाखिल हो सकते हैं, वहां मकान मालिक की तरह रह सकते हैं—वह खिड़की हमारा ‘मुख्य द्वार’ बन जाएगी—कोठी का मनचाहा इस्तेमाल करने से हमें रोकने कौन आएगा?”
“इन्तजाम तो तुमने पते का किया है प्यारो, लेकिन...!”
“लेकिन ...?”
“पड़ोसियों का क्या होगा, यानी अगर हममें से किसी को किसी ने पीटर हाउस में आते-जाते या उस खिड़कीनुमा ‘मुख्य द्वार’ का उपयोग करते देख लिया तो?”
“रिस्क तो है ही मगर यह खतरा तो हमें उठाना ही होगा—आखिर अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए फ्री में इतनी बड़ी कोठी का इस्तेमाल जो करेंगे?”
अशरफ बोला—“कोई विशेष खतरा नहीं है, आने-जाने में सिर्फ हमें थोड़ी-सी सावधानी बरतनी होगी।”
“ठीक है, तुम मुझे पूरा पता लिखकर दे दो—कल मैं खुद पीटर हाउस का निरीक्षण करूंगा।”
अशरफ और विक्रम ने सहमति में गरदन हिला दी।
कुछ देर के लिए कमरे में खामोशी छा गई और फिर इस खामोशी को विकास ने तोड़ा—“आपने हमारी रिपोर्टें तो ले ली हैं गुरु और फिलहाल मेरी समझ के मुताबिक दोनों ही रिपोर्टें आशाजनक हैं, अब आप अपनी कहिए कि कहां तक पहुंचे—यानी क्राइमर अंकल अपनी योजना के कौन-से चरण में हैं?”
“वही हो रहा है, जो हमारा अनुमान था।”
“यानी?”
“कल या परसों में वे दोनों होटल छोड़कर गार्डनर की कोठी में रहने जा रहे हैं।”
“वैरी गुड!” विकास के मुंह से निकला—“यह आपको कैसे पता लगा?”
विजय ने बिना किसी हील-हुज्जत के सारी घटना बता दी, सुनने के बाद लड़के के होंठ एक दायरे की शक्ल में सिकुड़कर गोल हो गए, ऐसा महसूस हुआ कि जैसे अभी सीटी बजाना शुरू कर देगा मगर ऐसा किया नहीं उसने बल्कि बोला—“इसका मतलब ये कि क्राइमर अंकल भी काफी तेज रफ्तार से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे हैं।”
“उसके साथ ही हमें भी अपनी रफ्तार बढ़ानी पड़ेगी।”
“किस तरह?”
“कल रात तक फैसला हो जाएगा कि पीटर हाउस को हमें इस्तेमाल करना है या नहीं—यदि हां, तो परसों रात को स्कीम बनाकर चैम्बूर को किडनैप करेंगे, पीटर हाउस में लाकर किसी भी तरह उससे वे जानकारियां, हासिल करेंगे जो कोहिनूर की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में उसे ज्ञात होंगी।”
“यदि उसे कोई विशेष जानकारी नहीं हुई तो?”
“साबित हो चुका है कि वह के.एस.एस. का सदस्य है—इसका मतलब ये कि भले ही ज्यादा न हो किन्तु कुछ-न-कुछ जानकारी उसे जरूर होगी—हां, ये सम्भव है कि वह ग्राडवे की तरह टूटे नहीं, पता होते हुए भी हमें कुछ न बताए या उसे जो जानकारी हो वह हमारे ज्यादा काम की न हो—ऐसा कुछ भी हो सकता है—मगर फिलहाल आगे बढ़ने के लिए हमारे पास उसके अलावा कोई रास्ता नहीं है—इसलिए कम-से-कम परसों तक उसी पर डिपेंड रहना मजबूरी है, उसके बयान के बाद जैसी सिच्युएशन होगी, वैसी स्कीम बनाएंगे।”
अशरफ ने पूछा— “कल रात तक के लिए क्या रणनीति रहेगी?”
“सबसे पहली बात तो ये कि यहां से अपना लूमड़ ही जा रहा है तो हममें से किसी का भी इस होटल में रहने का कोई औचित्य नहीं रह गया है, अतः एक-एक करके हम चारों को चार दिन में ये होटल छोड़ देना है—किसी सस्ते होटल में कमरा लेना उचित होगा, वहां ठहरे यात्रियों पर लोगों का ध्यान कम जाता है—सुरक्षा की दृष्टि से ज्यादा उचित ये होगा कि हम अलग-अलग होटलों में रहें।”
“ठीक है, एलिजाबेथ किस क्रम में छोड़ें?”
“यह क्रम हम परसों से जारी करेंगे, पहले विक्रम—फिर अशरफ, विकास और फिर हम!”
“और आशा?”
“फिलहाल उस वक्त तक वह हमारे हर प्रोग्राम से बाहर रहेगी जब तक सिक्योरिटी का ध्यान उस पर केन्द्रित है।”
विजय ने कहा— “और तुम्हें कल सारे दिन चैम्बूर को वॉच करते रहना है दिलजले, हो सके तो उसकी दिनचर्या को कंठस्थ करने की कोशिश करना।”
“हमारे लिए क्या काम है?” विक्रम ने पूछा।
“कल भी सारे दिन तुम्हें लंदन में जगह तलाश करने की कोशिश करते रहना है, ताकि यदि किसी वजह से पीटर हाउस न जंचे तो कोई अन्य इन्तजाम हो सके।”
“ठीक है।”
“आज ही की तरह और आज ही के समय कल रात भी हमें यहां मिलना है।”
तीनों ने सहमति में गरदन हिलाई, विजय ने आगे कहा— “आज की मीटिंग समाप्त करने से पहले मैं ये जरूर कहूंगा कि अभी तक बाण्ड या लूमड़ में से किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नहीं है और यह स्थिति हमारे पक्ष में है, इसे पक्ष में ही बनाए रखना होगा यानी हमें चाहिए कि अपने सारे काम बाण्ड या लूमड़ की दृष्टि से बहुत दूर रहकर ही करें, उनका सामना न करने तक ही हम यहां सकून से हैं।”
“मीटिंग समाप्त होने से पहले मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहूंगा गुरु!”
“पूछो!”
“क्या आप बता सकेंगे कि जो बातें हमने आशा आण्टी के जाने के बाद की हैं, वे उनके सामने क्यों नहीं की गईं?”
विजय ने बहुत ध्यान से डबल एक्स फाइव के चेहरे को देखा, अजीब-से ढंग से मुस्कराया बोला— “उसके जाने के बाद हमने लंदन में की गई अपनी प्रोग्रेस का जिक्र किया है, भावी कार्यक्रम बनाया है—और मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में यह कहूंगा कि अपनी प्रोग्रेस और प्रोग्राम की जानकारी मैं आशा से छुपाना चाहता था।”
“क्यों?”
“अपनी बेवकूफी से वह सिक्योरिटी की नजरों में आ गई है—अगर उसने हमारी बताई हुई योजना को कार्यान्वित किया तो उम्मीद है कि सिक्योरिटी का ध्यान उस पर से हट जाए, मगर जितनी नर्वस वह हो जाती है, उसकी वजह से पुनः कोई बड़ी गलती कर सकती है, ऐसी अवस्था में सिक्योरिटी उसे गिरफ्तार कर लेगी और मैं नहीं चाहता था कि सिक्योरिटी उसके मुंह से हमारी प्रोग्रेस और प्रोग्राम के बारे में जान ले।”
“क्या आप समझते हैं कि कोई सिक्योरिटी हमारे खिलाफ आशा आण्टी की जुबान खुलवा सकती है?”
विजय ने आराम से कहा— “हम रिस्क क्यों लें प्यारे, मार के आगे भूत भी नाचते हैं।”
“उस स्थिति में अगर आण्टी की जुबान खुले तो कम-से-कम हमें गिरफ्तार तो अब भी करा ही सकती हैं वे।” यह वाक्य विकास ने बहुत ही तीखे, व्यंग्य-भरे लहजे में कहा था।
विजय ने ऐसा भाव प्रकट किया जैसे उसके आशय को समझा ही न हो, बोला—“इस तरफ से भी हमें सतर्क रहना होगा कि कहीं, आशा के माध्यम से सिक्योरिटी हम तक न पहुंच जाए।”
इस बार विक्रम कुछ बोला नहीं, मगर विजय के लिए उसके चेहरे पर घृणा के भाव उभर आए थे, आशा की इतनी उपेक्षा और उसे बारे में कही गई विजय की बातें अशरफ और विक्रम को भी पसन्द नहीं आई थीं, ऐसी बातें कल वह उनके बारे में भी कर सकता था, परन्तु विजय ने ऐसा कोई भाव प्रकट नहीं किया, जिससे उन्हें यह महसूस होने देता कि विजय उनकी मानसिक स्थिति से परिचित है।
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RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी - by desiaks - 10-23-2020, 01:04 PM

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