RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
आधा तीतर आधा बटेर-2
अरे तो चेहरे पर ये मातमी फ़िज़ा क्यूँ तारी कर रखी है….तेरा भाई तो नही मर गया….
खुदा ना करे….सुरैया की आँखों में आँसू आ गये और उसने अपना निचला होंठ दाँतों में दबा लिया
पगली कहीं की….सब ठीक हो जाएगा….अब नादर्शाही नही चलेगी….
डॅडी से ना उलझीएगा….
सवाल ही नही पैदा होता….इमरान बोला….अच्छा बस हर वक़्त मुस्कुराते रहने का वादा करो पहले
वो ज़बरदस्ती मुस्कुरादी….
ठीक है….मैं चला….फ़िक्र की कोई बात नही….अम्मा बी से कहे देना डॅडी से इस सिलसिले में कोई बात ना करे….
सुरैया ने सर हिला कर हाँ में जवाब दिया......!
थोड़ी देर बाद इमरान की टू-सीटर डॉक्टर मलइक़ा के क्लिनिक की तरफ जा रही थी….उसने घड़ी देखी 12:30 बजे थे
और इमरान के चेहरे पर 12 बज रहे थे….
क्यूँ कि उसने इससे पहले कभी डॉक्टर मलइक़ा को नही देखा था….
और ये नाम तो बचपन से ही उसके लिए तकलीफ़ देह रहा है….जिस स्कूल में शुरुआती तालीम हासिल की थी….उसकी हेडमिस्ट्रेस का नाम भी मलइक़ा था….बड़ी खूखार ख़ासी भारी भरकम औरत थी….उसके साथी टीचर्स उन्हे मलइक़ा की बजाए “फ़ीलपा कहा करती थी….खूखार औरत थी….
और इमरान कम-आज़-कम हफ्ते में दो-बार उनके हाथ से ज़रूर पिटता था….मलइक़ा रिचर्डसन थी….
मगर इमरान उन्हे मलइक़ा चीढ़-फाढ़ कहता था….साथी बच्चे शिकायत कर देते थे….
और होती पिटाई….
बहेरहाल उस नाम पर इमरान के जेहन में उन्ही का चेहरा उभरा था….!
गाड़ी उसने क्लिनिक के सामने रोकी….कयि गाड़ियाँ और भी खड़ी हुई थी….वो सीधे अंदर चला गया….
और एक नर्स से डॉक्टर मलइक़ा के बारे में पूछा….
वो….बाहर जा रही है….नर्स ने इशारा किया….
इमरान ने मूड कर देखा….एक देसी औरत एक गैर मुल्की (विदेशी) सफेद फाम औरत के साथ चली जा रही थी….दोनो की पीठ उसकी तरफ थी….इमरान तेज़ी के साथ आगे बढ़ा और ठीक उस वक़्त उनके करीब जा पहुँचा जब वो एक गाड़ी में बैठ रही थी….
मुआफ़ की जिएगा….इमरान ने बौखलाए अंदाज़ में कहा….मैं आप से मिलने आया था….!
तशरीफ़ रखिए मैं अभी आती हूँ….एक मरीज़ को देख कर….!
जी बहुत अच्छा….
सफेद फाम लड़की ने एंजिन स्टार्ट किया….
और गाड़ी आगे बढ़ गयी….
इमरान खड़ा देखता रहे गया….नये मॉडेल की शानदार मर्सिडीस कार थी….वो ढीले-ढाले अंदाज़ में चलता हुआ वेटिंग रूम में आया….
और एक कुर्सी पर बैठ कर उनघने लगा….आधा घंटा गुज़र गया….
लेकिन मलइक़ा की वापसी ना हुई….ज़रा सी देर में ही इमरान ने उसका तफ़सीलि से जायेज़ा ले लिया था….
वो उसकी तस्सउूराती मलइक़ा से अलग थी….ना भारी भरकम और ना बदसूरत….आवाज़ में भी नर्मी थी….
और आधा घंटा गुज़र गया….वो क्लिनिक में बेचैनी महसूस कर रहा था….
क्यूँ कि मामला था आधे दिन की छुट्टी का….
और अब 2 बजने वाले थे….क़ायदे से एक ही बजे क्लिनिक को बंद होना चाहिए था….
इमरान उठ कर डिसपेनसरी की तरफ चला गया….
कम्पाउन्डर एक नर्स से कह रहा था….कैसे क्लोज़ कर दूं….गाड़ी छोड़ कर गयी है….मुझे रुकना पड़ेगा….तुम लोग जाओ….!
क्या हमेशा इसी तरह चली जाती है….? इमरान ने आगे बढ़ कर पूछा
आप कौन है जनाब….? कम्पाउन्डर ने उसे घूरते हुए सवाल किया
मुझे बैठा कर गयी है….उनसे मिलने आया था….
कुछ कहा नही जा सकता कि कब आएँगी….
मैं क़यामत तक इंतेज़ार करूँगा….
आप है कौन….?
एक मरीज़….
वो मर्दों को नही देखती….
ना देखना होता तो मुझे बैठा कर क्यूँ जाती….
मैं नही जानता….बैठिए….
क्या कोई गैर मुल्की (विदेशी) मरीज़ है….
हरगिज़ नही….नर्स बोली….मेरे इल्म में कोई अँग्रेज़ मरीज़ कभी नही रहा….
मरीज़ा होगी….मर्दों को कहाँ देखती है….इमरान ने कम्पाउन्डर को आँख मार कर कहा….
और कॉमपाउंडर उसे गुस्सैली नज़रों से देख कर रह गया
जी नही….कोई गैर मुल्की मरीज़ा भी नही है….
और उस लड़की को मैने यहाँ पहली बार देखा है….
आख़िर गयी कहाँ है….?
किसी को बता कर नही गयी कि कहाँ जा रही है….
बड़ी मुसीबत है….मैं बकरो के रेट लाया हूँ….
बकरो के रेट....
जी हाँ….अपना बकरा खुद ज़बाह (स्लॉटरिंग) करेंगी….ख़ास्सबों (बुच्स) ने धांदली मचा रखी है….
मुझसे तो नही कहा….नर्स बोली
क्लिनिक में नही ज़बाह करेंगी….
आप पता नही कैसी बात कर रहे है जनाब….सियाह फाम कॉमपाउंडर ने लाल-लाल आँखें निकाली
आप ने डॉक्टर ज़ैदी के कम्पाउन्ड को देखा….इमरान ने नर्स से पूछा
जी नही….
एक से एक गुलफाम और घुंघराले बालों वाला है….
और एक ये है….इमरान ने कम्पाउन्डर की तरफ देख कर कहा
आप का दिमाग़ तो नही खराब हो गया….कम्पाउन्डर भन्ना कर बोला
इमरान ने उसकी तरफ तवज्जो दिए बगैर नर्स से कहा….गोश्त की प्राब्लम का वाहेद हाल ये है कि कुछ लोग मिल कर एक तन्द्रुस्त बकरा खरीदें और ज़बाह कर के आपस में तक़सीम कर ले….रेफ्रिजरेटर तो करीब-करीब सब रखते है….नही भी रखते तो पड़ोसी पर पड़ोसी का हक़ बहेरहाल होता है….जब गोश्त ख़त्म हो जाए तो फिर बकरा खरीद ले….खरीद कहाँ से ले मुझसे मामला तय करे….बाज़ार से सस्ता गोश्त ना मिले तो ये धंधा ही छोड़ दूँगा….
आप तशरीफ़ ले जाइए….हमें नही चाहिए बकरा-वकरा….कॉमपाउंडर चिड-चिड़ाया
वकरा तो मैं खुद भी आप को नही दूँगा….डॉक्टर और कॉमपाउंडर के बस का रोग नही….!
ये वकरा क्या होता है जनाब….नर्स ने मुस्कुरा कर पूछा
कॉमपाउंडर साहब जानते है….
मैं साहब नही चमार हूँ….आप तशरीफ़ ले जाइए
अपनी ज़ुबान से तो ना कहिए….
आप चले जाए यहाँ से….
कैसे चला जाउ डॉक्टर मलइक़ा बैठा कर गयी है….
तो जा कर बैठिए उन्ही की कुर्सी पर….
आइए….आइए….मेरे साथ आइए….नर्स दरवाज़े की तरफ बढ़ती हुई बोली
इमरान उसके पीछे वेटिंग रूम में आया….!
यहाँ बैठिए….वो बद-दिमाग़ है….ज़रा सी देर हो गयी तो पागल हुआ जा रहा है….नर्स ने कहा
ऐसे हालत का आदि नही मालूम होता….
जी नही….डॉक्टर बहुत ब-असूल है….मुझे तो नही याद पड़ता कि ऐसा पहले हुआ हो….यक़ीनन वो करीब ही होंगी और 10,5 मिनिट की बात रही होगी….वरना सॉफ इनकार कर देती….
ऐसा ना कहिए….मामला एक अँग्रेज़ लड़की का था….
आप शायद डॉक्टर को अच्छी तरह नही जानते….उन्होने खुद भी एन्ग्लिश्तान ही में तालीम हासिल की है….
और
सफेद फामो से कतई प्रभावित नही है….
तब तो बड़ी अच्छी बात है….!
इसलिए तो मुझे फ़िक्र हो रही है….उसी की गाड़ी पर गयी है कहीं आक्सिडेंट तो नही हो गया….
अरे नही….ऐसा ना सोचिए….
सोचना पड़ता है….
अगर कोई वजह होती तो यक़ीनन फोन कर के इत्तेला देती के उनका इंतेज़ार ना किया जाए और क्लिनिक बंद कर दिया जाए….
अगर….ये बात है तब सोचना पड़ेगा….इमरान ने कहा
और जहन पर ज़ोर डालने लगा….नये मॉडेल की मर्सिडीस थी….
और नंबर….नंबर उसने गौर से देखे थे….
और अगर….यादाश्त धोका नही दे रही थी तो जेहन में नंबर महफूज़ भी थे….एक्सवाईजेड-311
आप घर पर फोन तो की जिए….इमरान ने कहा
जी हाँ….मैं भी यही सोंच रही हूँ….वो उठती हुई बोली
वो चली गयी थी….
और इमरान सोंच में गूम रहा….थोड़ी देर बाद वो वापस आई
नही जनाब….मुलाज़िम था….डॉक्टर शाहिद तो 11 बजे ही कहीं चले गये थे….
बाहर चले गये थे….?
जी हाँ….वो डॉक्टर मलइक़ा को अपनी रवानगी की इत्तेला देने यहाँ आए थे….
लेकिन शायद….डॉक्टर मलइक़ा नही चाहती थी कि वो बाहर जाए….!
ये आप कैसे कहे सकती है….?
दोनो में ख़ासी देर तक बहस-ओ-तकरार होती रही….
फिर वो चले गये थे….
और देर तक डॉक्टर मलइक़ा का मूड खराब रहा था….!
बड़ी अजीब बात है….
अब समझमे नही आता कि क्या करे….
4 बजे तक इंतेज़ार कर के पोलीस को फोन की जिएगा….
और किसी ज़िम्मेदार आदमी की मौजूदगी में क्लिनिक बंद कर के घर चले जाइए….!
और गाड़ी….?
मेरा मतलब था किसी पोलीस ऑफीसर की मौजूदगी में ये कारवाई होनी चाहिए और गाड़ी भी उसके सुपुर्द की जिए….!
********************************************************************************
|