RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
क्या बताऊ….सारा कसूर खरगोश के गोश्त का है….5 साल पहले एक ऐसे क्षेत्र का सर्वे करना पड़ा था….जहाँ खरगोश के अलावा और कोई जानवर पाया नही जाता….6 माह उसी के गोश्त पर गुज़ारा करना पड़ा था….
और ये मर्ज़ मोल ले बैठा….!
अरे खरगोश क्या….यूनानी इलाज तो हाथी तक को मटन बना कर रख देती है….
यूनानी इलाज….?
हाँ….खरगोश के गोश्त के ख़तरनाक असरात दूर हो सकते है….ईमली की पत्तियाँ उसके पेट में भर के उबाल दो….ख़तरनाक असरात बे असर हो कर रह जाता है….!
ईमली की पत्तियाँ अगर उस इलाक़े में ना मिलती हो तो….
गीली मिट्टी कहाँ नही होती….खाल उतार कर गंदगी सॉफ कर के गीली मिट्टी में दबा दो….3 घंटे तक दबा रहने दो….फिर निकाल कर धो लो….बस समझ लो कि ईमली की पत्तियॉं वाली करवाई हो गयी….
इमरान कुछ और भी कहना चाहता था कि नीली वापिस आ गयी….
अब कोई पोलीस ऑफीसर यहाँ भी आ पहुँचा है….उसने कहा
आने दो….उसका भी दिमाग़ दुरुस्त कर दूँगा….हाँ….तो मैं ये कहे रहा था के यूनानी….
बूढ़े ने हाथ उठा कर इमरान को खामोश रहने का इशारा किया….
और नीली से बोला….बहुत बुरा हुआ….बहुत बुरा….हम लोग बड़ी मुसीबत में पड़ गये है….बुलाओ उसे….
फिर कॅप्टन फायज़ इमरान की शक्ल ही देखता रह गया….
क्यूँ कि यूनानी इलाज के गुण बड़ी महत्पूर्णी से बयान किए जा रहे थे….
और वो ऐसा बन गया था जैसे फायज़ से जान-पहचान तक ना हो….
फायज़ ने भी छेड़ना मुनासिब नही समझा….लड़की से सीधे सवालात करने लगा था….इमरान खामोश सुनता रहा….बूढ़ा भी खामोश था
क्या कोई ऐसा गवाह है जिस ने मलइक़ा को यहाँ से पैदल जाते देखा हो….फायज़ ने आख़िरकार अपनी समझ में सब से ज़्यादा ख़तरनाक सवाल किया….
लड़की हिचकिचाई थी….
लेकिन इमरान ताड़ से बोला….है क्यूँ नही….बराबर वाले बंगल में इंटरनॅशनल बॅंक के असिसटेंट मॅनेजर सिद्दीक़ रहता है उसने देखा था….!
वो तीनो ही उसे हैरत से देखने लगे….
मैं अभी उसे बुलाए ला ता हूँ….इमरान उठता हुआ बोला
जी नही….आप तशरीफ़ रखिए….फायज़ ने भन्ना कर कहा
हाँ….शायद रन ठीक कहता है….नीली बोली
रन….फायज़ की आँखें फैल गयी….
मेरा नाम इमरान है….ये बे-तकल्लूफ में रन कहती है….हम पुराने दोस्त है
फायज़ ने लंबी साँस ली….
और शायद खुद को काबू में रखने की कोशिश करने लगा….!
आप उस वक़्त क्लिनिक में मौजूद थे….? फायज़ ने खकार कर कहा
जी हाँ….मैं वहाँ मौजूद था….!
ताज्जुब है कि आप गाड़ी में नही बैठ गये….जब कि पुराने दोस्त थे
ये मैं ही जानता हूँ कि मुझे कब क्या करना है….
फिर….आप तस्दीक़ (पुष्टि) के लिए क्यूँ बुलवाए गये थे जनाब जब कि पुराने दोस्त है….
लो भाई कमाल है वो पोलीस ऑफीसर कैसे जान सकता है कि हम पुराने दोस्त है….क्या आप को मालूम था….? मैने अभी बताया है….
उसके बाद फायज़ चन्द उल्टे-सीधे सवालात करने के बाद रुखसत हो गया….
देखा उसका भी दिमाग़ दुरुस्त कर दिया ना….इमरान खुश हो कर बोला
वो तो ठीक है….बूढ़े ने ताश्विश (चिंता) लहजे में कहा….
लेकिन
मेरे पड़ोसी बॅंक मॅनेजर वाली शहादत वाली बात….?
वो येई कहेगा कि उसने लेडी डॉक्टर को पैदल जाते हुए देखा था….मेरा दोस्त है
वाह रन वाह….तुमने तो थोड़ी देर पहली की दोस्ती का हक़ अदा कर दिया….नीली ने कहा
लफ्ज़ दोस्ती का तखदुस और एहतेराम (पवित्रिता और सम्मान) कोई हम मसहरीक़ियों (ईस्टर्न) से पूछे
मैं तस्लीम करता हूँ….बूढ़ा बोला
फिर….चाइ आई और उसके बाद नीली ने इमरान से कहा कि वो जहाँ कहे उसे पहुँचा देगी
नही….मुझे पैदल जाने दो….इमरान ने कहा….तुम्हारे पड़ोसी बॅंक मॅनेजर से भी तो बात पक्की करनी है….कल खुद ही इधर आ जाउन्गा
बाहर निकल कर वो बराबर वाले बंगले के कॉंपाउंड में दाखिल हुआ….
और बरामदे की तरफ चल पड़ा….
आधे घंटे के बाद सिद्दीक़ी के बंगल से निकल कर फूटपाथ पर खड़ा हो गया….किसी टॅक्सी के इंतेज़ार था
अपनी टू-सीटर तो किंग्सटन के थाने के बाहर छोड़ा था
टॅक्सी जल्दी ही मिल गयी….ड्राइवर को किंग्सटन स्ट्रीट चलने की हिदायत दे कर सीट पर बैठ गया….
फिर जल्द ही अंदाज़ा हो गया था कि एक गाड़ी टॅक्सी का पीछा कर रही है….
नही….किंग्सटन नही….पहले मुझे सिविललाइन जाना है….इमरान ने ड्राइवर से कहा
बहुत अच्छा जनाब….
गाड़ी अब भी पीछा कर रही थी….इमरान ने जेब से चूयिंग-गम का पॅकेट निकाला और मूह में एक पीस डाल कर उसे आहिस्ता से खींचने लगा….
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