RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
हालात तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे….पीछा करने का मतलब ये था कि बाप-बेटी उसकी तरफ से मुत्मयीन नही थे….ये महज उसके बारे में पूरी मालूमात हासिल करने के लिए ये कदम उठाया गया हो….
बहेरहाल उसे राणा पॅलेस जाना था….रहमान साहब से मुलाकात भी ज़रूरी थी….
लेकिन वो कम-अज-कम इस वक़्त किसी किस्म का रिस्क लेने पर तैयार नही था….
टॅक्सी उसने राणा पॅलेस के सामने रुकवाई….
और पीछा करने वाली गाड़ी आगे बढ़ती चली गयी….!
टॅक्सी से उतर कर उसने किराया अदा किया….
और फाटक की तरफ चल पड़ा….
यहाँ ब्लॅक-ज़ीरो राणा ताहवार अली का सेक्रेटरी की हैसियत से मुस्तकिल (स्तही) तौर पर रह रहा था….
फाटक पर पहुँच कर इमरान ने चौकीदार से कहा….राणा साहब के सेक्रेटरी को फोन करो कि इमरान आया है
सेक्रेटरी की इजाज़त हासिल किए बगैर चौकीदार किसी को कॉंपाउंड में कदम रखने नही देता था….
फाटक पर खड़े ही खड़े इमरान ने पीछा करने वाली गाड़ी की वापसी भी नोट की….गाड़ी की रफ़्तार भी ज़्यादा तेज़ नही थी….
शायद ड्राइवर उस इमारत और इस जगह को ज़हें नशीन कर लेना चाहता था….!
थोड़ी देर बाद इमरान इमारत के एक कमरे से रहमान साहब को फोन कर रहा था….ब्लॅक-ज़ीरो उसके करीब ही खड़ा था….
क्या बात है….तुम आए क्यूँ नही….? रहमान साहब ने सवाल किया
गालिबान फायज़ साहब ने रिपोर्ट दी होगी….
तुम्हारी ये हरकत मेरी समझ में नही आई….?
वो मैं बाद में अर्ज़ करूँगा….पहले ये बताए कि मामला किंग्सटन थाने से अचानक आप के महकमे में कैसे में कैसे पहुच गया….?
मुझे हालात का इल्म नही था….मैने शाम को 6 बजे मलइक़ा से घर पर बात करना चाहा….वहाँ पर नर्स मौजूद थी जिस के सामने वाकिया हुआ था….उसी ने मेरी कॉल रिसीव की….
और बताया कि किंग्सटन के थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गयी है….उसने उस आदमी का ज़िक्र भी किया जो मलइक़ा को बकरे बेचना चाहता था….मैने फायज़ को हिदायत की कि वो थाने से मालूमात हासिल करे
बहेरहाल….मैं चाहता हूँ कि आप का माहेक्मा इस मामले की तरफ से अपनी तवज्जो फौरी तौर हटा ले….
क्या मतलब….?
खेल बिगड़ जाएगा….उसे फिलहाल किंग्सटन के थाने ही तक रहने दी जिए….लड़की बिला-शुबा (निस्स संदेह) वही है….
लेकिन मर्सिडीस वो नही है….हाँ डॉक्टर शाहिद का कुछ पता चला….?
कोई नही जानता कि वो कहाँ गया है….
मलइक़ा के अगवा की दास्तान प्रेस में जाने दी जिए….उसकी तस्वीर समेत….
क्यूँ….?
शाहिद की वापसी के लिए….
ज़रूरी नही है….
मेरा ख़याल है कि दोनो की गुमशुदगी एक ही सिलसिले की कड़ियाँ है….
आख़िर किस बिना पर….?
बिना ही मालूम करने के लिए शाहिद की फौरी वापसी बेहद ज़रूरी है….
आख़िर तुम्हारे जहन में क्या है….
शाहिद ख़ौफ़ में था….खराइन (एविडेन्स) से यही मालूम होता है….
तुम्हारा ख़याल दुरुस्त है….मैं भी इसी नतीजे पर पहुँचा हूँ….!
तो फिर इसे प्रेस में जाने दी जिए….!
अच्छी बात है….
फिलहाल सिर्फ़ फोन पर राबता रख सकूँगा….
अच्छा….दूसरी तरफ से सिलसिला ख़त्म होने की आवाज़ आई….
10:30 बजे….इमरान ने अपने फ्लॅट का नंबर डायल किया….सुलेमान ने कॉल रिसीव किया
तेरे लिए सुनहेरा मौक़ा है….इमरान ने माउत-पीस में कहा
क्या बात पक्की हो गयी है जनाब-ए-आली….सुलेमान चहक सुनाई दी
थोड़ी सी कुछ है अभी….देख मेरा सब से अच्छा सूट पहेन और एक टॅक्सी कर के कींस्टोन के थाने पहुँच जा….टू-सीटर बाहर ही खड़ी मिलेगी….तुझे इल्म तो है कि इग्निशन की दूसरी कुंजी किस खाने में छिपा कर रखता हूँ….!
अच्छी तरह जनाब-ए-आली….
बस तो फिर उसे वहाँ से गॅरेज में पहुँचा दे….
क्या बात है….?
सूट उतार कर उसे धो कर सलीके से प्रेस करना और अलमारी में लटका देना….इमरान ने कहा और सिलसिले को ख़त्म कर दिया
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