RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
इज़ाफ़ा आमदनी आज-कल फरिश्तों को भी बुरी नही लगती….
या फिर….
उसे कोई आसाबी (घोश्ट) मामला समझ ली जिए….
मैं छान-बीन कर रहा हूँ….
सिर्फ़ घर की हद तक….बात आगे ना बढ़ने पाए….!
क्या इसका ताल्लुक शाहिद के इस्तीफ़े से हो सकता है….
मेरा भी यही ख़याल है….आप ही की तरह कोई और भी यही चाहता है कि शाहिद इस्तीफ़ा वापस ले ले….
लेकिन….
वो छुप गया है….!
हाँ….कहीं वो भी उन्ही के हत्थे ना चढ़ गया हो….
खुदा जाने….अब ये मालूम करना है कि उसने इस्तीफ़ा क्यूँ दिया था….
खुदा की पनाह….कोई बड़ी साज़िश मालूम होती है….रहमान साहब की भर्राई आवाज़ आई
और वो इतने दिलेर है कि उन्होने सी.आइ.बी के डाइरेक्टर-जनरल को धमकी दी है….!
सुनो….बहुत सावधान रहो….
आप गालिबान समझ गये होंगे लिबर्टी विला की अहमियत….
लिहाज़ा
येई मुनासिब है कि किंग्सटन के थाने के इंचार्ज को ही तफ़तीश करने दी जिए….!
तुम ठीक कहते हो….
शुक्रिया डॅडी….इमरान ने सिलसिला कट कर दिया….!
रात अंधेरी थी….
और वो काले लिबास में अंधेरे का एक हिस्सा मालूम हो रहा था….लिबास इतना चुस्त था कि खाल से चिपक कर रह गया था….
गॅस मास्क सर पर बँधा हुआ था….
और
उसे अभी चेहरे पर नही चढ़ाया गया था….पीठ पर एक छोटा गॅस सिलिंडर भी बँधा हुआ था….
वो बहुत आसानी से इमारत के पिछले हिस्से के अंधेरे में गुम हो गया….उसके इतमीनान से सॉफ ज़ाहिर हो रहा था जैसे वो पहले ही ब-खबर है कि उस इमारत के कॉंपाउंड में कुत्ते नही है….वो आहिस्ता-आहिस्ता इमारत की तरफ बढ़ता रहा….
और
फिर उस दरवाज़े तक जा पहुँचा जो किचन का पिछला दरवाज़ा था….
जेब से एक बारीक सा औज़ार निकाल कर खुफाल (लॉक) के सुराख में डाला….खुफाल हल्की सी आवाज़ के साथ खुल गया….
फिर उसने आहिस्ता-आहिस्ता दरवाज़ा खोला….
और
अंदर दाखिल हो गया….
पेन्सिल टॉर्च की बारीक रोशनी ले कर अंधेरे में चकराई….
और दूसरे दरवाज़े से बा-आसानी गुज़र गया….
चारों तरफ अंधेरे और सन्नाटे की हुक्मरानी थी….वो आगे बढ़ता रहा….
हालांकि
कुछ दरवाज़े के शीशों पर गहरी नीली और मद्धम रोशनी दिखाई देने लगी….एक कमरे में झाँकने के बाद उसने दूसरा दरवाज़ा परखा….हॅंडल घुमा कर दरवाज़ा खोलना चाहा….
लेकिन
वो बंद था….
बारीक औज़ार एक बार फिर खुफाल (लॉक) के सुराख में रेंग गया….दरवाज़ा आहिस्तगी से खोल कर वो अंदर दाखिल हुआ….गहरी नीली रोशनी फैली हुई थी….
और
सामने बिस्तर पर वो बेख़बर सो रही थी….!
इस दौरान में चेहरे पर गॅस मास्क खींच लिया था….आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ता हुआ वो बिस्तर के करीब पहुँचा….
और
रब्बर ट्यूब के सिरे का रुख़ लड़की के चेहरे के करीब करते हुए सिलिंडर से गॅस बाहर करना शुरू कर दिया….साथ ही वो कलाई पर बाँधी हुई घड़ी भी देखे जा रहा था….
फिर….शायद….
30 सेक पर गॅस बंद कर लड़की को हिलाया-झूलाया….
लेकिन
वो बेसूध पड़ी रही….
दूसरे ही लम्हे में उसने झुक कर लड़की को हाथों पर उठाया और बाहर निकलता चला आया….
हर तरफ सन्नाटा ही छाया हुआ था….
किचन के दरवाज़े से निकल कर पीछे कॉंपाउंड में पहुँचा जिस की दीवार ज़्यादा उँची नही थी….
बेहोश लड़की को इस तरह दीवार पर डाल दिया कि उसका आधा धड़ दीवार के दूसरी तरफ लटक गया….दीवार को फलाँगने के बाद उसने लड़की को खींच कर कंधे पर डाला….
और इस तरह एक तरफ चल पड़ा जैसे कोई राहगीर अपने कंधे पर समान उठाए मगन-मगन चला जा रहा हो….!
करीब एक घंटे बाद लड़की को एक कमरे में होश आया….
उसे झींझोड़ कर जगाने वाला चेहरे से खौफनाक लग रहा था….
वो ख़ौफज़दा आवाज़ में चीखी….
कमरा साउंड-प्रूफ है….खौफनाक चेहरे वाले ने कहा
त….त….तुम कौन हो….? मैं कहाँ हूँ….?
तुम एक कमरे में हो….
लेकिन
ये तुम्हारी कोठी का कमरा नही है….
और
मैं हरगिज़ नही बताउन्गा कि मैं कौन हूँ….!
आख़िर इसका मतलब क्या है….? वो खुद पर खाबू पाने की कोशिश करती हुई गुर्राई
इसका मतलब है तफ़्रीक़….!
मैं यहाँ कैसे पहुँची….?
मैं उठा लाया हूँ….लापरवाही से जवाब दिया
क्यूँ….?
तुम्हारी शक्ल देखने के लिए….
मैं समझ गयी….
लेकिन उसके अलावा कोई और चारा नही था मैं क़बूल कर लेती….!
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