RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
दूसरी सुबह इमरान ने सेइको मॅन्षन से रहमान साहब को फोन किया….
डॉक्टर शाहिद का सुराग मिल गया है….उन्होने इत्तिला दी….
कहाँ है….? इमरान ने पूछा
कुछ देर पहले उसकी कॉल आई थी….शहेर ही में है….मलइक़ा की अगवा की बिना पर उसे मुझसे कॉंटॅक्ट करना पड़ा….!
क्या कहता है….?
फिलहाल इतना ही बताया है कि उस अगवा का ताल्लुक उसके इस्तीफ़े से ही हो सकता है….कुछ लोग चाहते है कि वो इस्तीफ़ा वापस ले ले….!
शायद….मैने भी यही कहा था….इमरान बोला
लेकिन शाहिद ने ये नही बताया कि वो कहाँ है….अब कॉल आई तो एक्सचेंज से मालूम कर लिया जाएगा….
लेकिन
उसने सिर्फ़ यही बताने के लिए फोन किया था….कि मलइक़ा के अगवा का ताल्लुक उसके इस्तीफ़े से है….उसके अलावा और कुछ नही बताया था….उन लोगों की निशान देहि भी नही कर सका जो इस्तीफ़े की वापसी चाहते है….!
आख़िर कहता क्या है….?
कुछ भी नही….मेरी गुज़ारिश पर बस इतना ही कहा था कि वो किसी वक़्त खुद ही मुझ तक पहुँचने की कोशिश करेगा….
और
उसे पहले फोन पर इत्तिला कर देगा….!
अक़ल का भी डॉक्टर ही मालूम होता है….उसकी कॉल आई तो कहे दी जिए कि वो खुद ज़हमत (कष्ट) ना करे….
बल्कि
उस जगह की निशान देहि कर दे जहाँ छुपा हुआ है….खुद बाहर निकलने का ख़तरा मोल ना ले….बेहद बाख़बर और ख़तरनाक लोग मालूम होते है….!
तुम आखर क्या कर रहे हो….?
मैने मालूम कर लिया है कि मलइक़ा कहाँ ले जाई गयी थी….
लेकिन ज़रूरी नही कि अब भी वहाँ हो….!
कहाँ ले जाई गयी थी….?
हर्लें हाउस में….आप जानते है कि वहाँ उस एंबसी का प्रेस अटॅच रहता है….!
ये किस से मालूम किया….?
मत पूछिए….अगर आप के माहेक्मे से मेरा ताल्लुक होता तो आप तारीखकार (प्रक्रियाओं) की बिना पर मुझे गोली मार देते….!
और शायद….इतनी जल्दी मालूम भी ना कर सकता….रहमान साहब मुर्दा सी आवाज़ में बोले
इमरान ने मुस्कुरा कर लेफ्ट आँख दबाई….रहमान साहब के क़बूल शिकस्त पर शायद दिल बाग-बाग हो गया था….
नही ऐसी कोई बात नही डॅडी….उसने बड़ी सादगी से कहा….
दरअसल
तारीखों से बड़ा फ़र्क़ पड़ता है….बाज़ाबता कारवाहियों में ज़्यादा वक़्त लगता है….!
अब क्या करोगे….?
कल जिन दो अफ्राद ने मेरा पीछा किया था….वो प्रेस ही के मातहत साबित हुए है….
लिहाज़ा अब तमांतर तवज्जो (ध्यान) हर्लें हाउस ही की तरफ है….!
बहुत सावधान रहना….!
फ़िक्र ना की जिए….हाँ उस तीतर के सिलसिले में क्या हुआ….?
कुछ भी नही….मुलाज़िम पर सख्ती करना नही चाहता….!
सिर्फ़ खादर को टटॉलें….
क्यूँ….?
वो आज-कल बहुत बड़ा ज़रूरत मंद बन गया है….
क्या मतलब….?
टिफिन खरीदता हुआ देखा गया है….
पता नही क्या बक रहे हो….
गुलरुख के दो कॅंडिडेट है….एक खादर दूसरा सुलेमान….!
ऊहह….
बस खादर पर नज़र रखिए….किसी ने बॉम्ब तो रखवाना नही था….आधा तीतर और एक लिफ़ाफ़ा इतनी सी बात के लिए 100, 200 क्या बुरे है….!
तुम ठीक कहते हो….मैं देख लूँगा….
हो सकता है आधा तीतर शाहिद के लिए हो….
और
लिफ़ाफ़ा आप के लिए….!
मैं नही समझा….
मैं उसे महेज़ एक अहमाक़ाना हरकत समझने के लिए तैयार नही….आप के लिए सिर्फ़ लिफ़ाफ़ा ही काफ़ी था….यक़ीन की जिए बहुत बाख़बर लोग मालूम होते है….इस हद तक जानते है कि आप को तीतर पसंद है….
और
सिर्फ़ आप ही के सामने रखे जाते है….
और
उनकी मालूमात का ज़रिया घर का कोई मुलाज़िम ही हो सकता है….!
मैं भी यही सोंच रहा हू के आधा तीतर किसी वाहें (भ्रम) की अलामत (प्रतीक) ही हो सकता है….
लेकिन
सिर्फ़ इसी लिए जो उससे सरोकार रखता हो….!
मुमकीन है….शाहिद इस अलामत (प्रतीक) को पहचानता हो….ज़ाहिर है वो धमकी मलइक़ा के अगवा के सिलसिले में छान-बीन ही करने की बिना पर मुझे मिली थी….
लिहाज़ा आप शाहिद से उसका ज़िक्र ज़रूर करेंगे….सामने की बात है….!
शाहिद तक पहुचना ज़रूरी हो गया है….उसकी दूसरी कॉल के इंतेज़ार में हूँ….तुम्हारे मशवरे पर अमल किया जाएगा….!
शुक्रिया डॅडी….मैं हर आधे घंटे बाद आप से कॉंटॅक्ट करता रहूँगा….फोन नंबर इसलिए नही दे सकता के किसी एक जगाह पर रुका नही रहे सकता….
अच्छी बात है….रहमान साहब ने कहा….
और सिलसिला कट होने की आवाज़ आई….!
इमरान सेइको मॅन्षन से रेडीमेड मेक-अप में निकला….फूली हुई नाक के नीचे ठुड्डी तक झुका हुआ मूँछों का फैलाव पहली नज़र में ख़ासा डरावना लग रहा था….
हर्लें हाउस की निगरानी सफदार, चौहान और सिद्दीक़ कर रहे थे….कॉर्निला की कोठी खुद के ज़िम्मे डाल ली थी….
इमरान हर्लें हाउस का जायेज़ा बाहर से लेना चाहता था….ये इमारत शहेर के उस हिस्से में थी जहाँ दौलतमंद तबके के लोग आबाद थे….
और
सारी इमारत एक दूसरे से ख़ासे फ़ासले पर थी….चारों तरफ घूम-फिर कर उसने हर्लें हाउस का जायेज़ा लिया….
और
फिर एक रेस्तरो में आ बैठा….यहीं से उसने एक बार फिर रहमान साहब के नंबर डाइयल किए….दूसरी तरफ से फ़ौरन जवाब मिला….
रहमान साहब ने उसकी आवाज़ पहचान ली….
और
सिर्फ़ इतना कह कर सिलसिला काट दिया….बीच व्यू….हट नंबर 83….!
इमरान ने सर को जुम्बिश दी….
और
रिसीवर रखा कर अपनी मेज़ पर पलट आया….कॉफी ऑर्डर की थी….
और
20 मिनिट बाद बिल अदा कर के उठ गया….!
अब उसकी गाड़ी बीच सी व्यू की तरफ जा रही थी….बेहतरीन साहिल तफरीहगाहो बीच-व्यू) में उसका शुमार होता था….हट किराए पर दिए जाते थे….
और
किसी ना किसी होटेल से ताल्लुक थे….!
83 नंबर का हट गुलबर होटेल के ज़रिए इंतज़ाम था वहीं से उसने फोन नंबर हासिल किया….वहाँ जाने से पहले डॉक्टर शाहिद से फोन पर गुफ्तगू करना चाहता था…..
हेलो….क….का….कौन….? दूसरी तरफ से ख़ौफज़दा सी आवाज़ आई….ये जुमला अँग्रेज़ी में अदा किया गया था….
और
साथ ही ये कोशिश की गयी थी कि लहज़ा खालिस अमरीकी मालूम हो….!
मैं तुम्हारा होने वाला….वाला बोल रहा हूँ….इमरान ने उर्दू में कहा
वला….वला….क्या है….? बेसखती में इस बार उर्दू ही इस्तेमाल की गयी….
साला कहते हुए शर्म महसूस होती है….
अच्छा….अच्छा….समझ गया
नाम मत लेना….मैं पहुँच रहा हूँ….
|