RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
क्या हुआ….?
मैं बोलकोनी में खड़ा हुआ था कि मुझ पर बे-आवाज़ फाइयर हुआ….उसी तरफ से वो लोग मौजूद है….!
तुम ज़ख़्मी तो नही हुए….?
बाल-बाल बच गया….
सुलेमान वापिस आया या नही….?
नही बॉस….
तुम बोलकोनी में भी नही जाओगे….
ये ज़ुल्म है बॉस….
बकवास मत करो….7वी बॉटल की इजाज़त दे सकता हूँ….
लेकिन बाहर निकलने की नही….!
7वी बॉटल….जोसेफ खुश हो कर बोला….क्या हमेशा के लिए बॉस….?
नही जब तक तुम पर पाबंदी है….!
तुम्हारी मर्ज़ी बॉस….जोसेफ मुर्दा सी आवाज़ में बोला
और
दूसरी तरफ से सिलसिला कट होने की आवाज़ सुन कर रिसीवर रख दिया
सुलेमान के सिलसिले में उसकी चिंता बढ़ गयी थी….उस बे-आवाज़ फाइयर का मतलब यही था कि वो लोग उनमे से किसी को घर से बाहर निकालना चाहते थे….इमरान ना सही कोई सही जिस पर काबू पा कर वो मालूमात हासिल कर सके….
लेकिन उनकी कम ख़याली थी….क्या जोसेफ को इल्म था कि इमरान कहाँ है….महेज़ फोन नंबर थे उसके पास….
और उसे यक़ीन था कि फोन डाइरेक्टरी में वो नंबर नही मिल सकेंगे….!
अचानक किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी….
और
वो चौंक पड़ा….
फिर
ख़याल आया कि दस्तक देने वाला सुलेमान के अलावा और कोई नही हो सकता….दरवाज़ा वही पीटता है….दूसरे तो कॉल बेल का बटन दबाया करते है….!
उसने झपट कर दरवाज़ा खोल दिया….सुलेमान ही था….
और
बेहद खुश नज़र आ रहा था….दाँत निकले पड़े थे….!
किधर था साला….? जोसेफ घुर्राया….बॉस फोन पर भी बोला….मत निकलो बाहर
अबे इस वक़्त तू 10 हज़ार गालियाँ दे तब भी बर्दाश्त कर लूँगा….!
अच्छा….क्या बात हो गया….?
उल्टा लटका हुआ था साला और मार पड़ रही थी….
किस का बात करता….?
कादर….कोठी पर मुलाज़िम है….कुछ घपला किया साले ने….
और अब कबूल कर रहा है….!
क्या किया था….?
बड़े साहब के साथ 420 सी की थी….
बड़े साहब के साथ….जोसेफ के लहजे में हैरत थी
हाँ….अब तो साला बंद हो जाएगा या निकाला जाएगा….!
तुम साला काको खुश होता….?
वो मुझे चाहती थी….ये बीच में आ कूदा….है थोड़ा नक़्शेबाज़….मैं ठहेरा सीधा-सादा आदमी….!
तो वो तुम्हारा राइवल है….?
राइवल क्या….?
वो होता….दूसरा आदमी….तुम्हारा लौंडिया का लवर….!
हाँ….हाँ….यही बात थी….!
लौंडिया क्या बोलता है….
उससे मुलाकात ही ना हो सकी….
तुम साला उल्लू है….
क्यूँ….क्यूँ….?
बस है….तुम्हारा शादी नही बनेगा….!
आबे क्यूँ बकवास करता है….
लौंडिया भी तुम को उल्लू समझता….
देख बे….ज़ुबान संभाल कर….
अब तुम बाहर नही जाएगा….
क्यूँ नही जाएगा….कोई धोंस है तेरी….?
बॉस बोला फोन पर….जाएगा तो मरेगा….
फिर
उसने बोलकोनी के करीब ले जा कर दीवार का उधड़ा हुआ प्लास्टर दिखाया
और
वो गोली दिखाई जो वहीं फर्श पर पड़ी हुई थी….
अचानक
उसी वक़्त उन्होने शोर सुना….नीचे सड़क पर भगदड़ मच गयी थी….जिधर जिस के समझ में आ रहा था निकला जा रहा था….
फिर
उन्होने फाइयर की आवाज़ भी सुनी….!
जोसेफ ने पीछे हट कर दरवाज़ा बंद कर दिया….
ये क्या हो रहा है….सुलेमान उसे घूरता हुआ बोला
जिस ने मुझ पर गोली चलाया था….अब उस पर चलता….
तूने ठीक कहा था….मेरी शादी नही हो सकेगी….सुलेमान ठंडी साँस ले कर बोला
बहादुर लोग का ना शादी बनता….
और
ना उनका नौकर लोग का….!
अबे जा….बड़ा बहादुर लोग है….ख्वंखाह दूसरों के पचडे में टाँग अड़ाते फिरते है….!
हम नही समझा….पच्डे में टाँग अडाता फिरता क्या मातबल होता है….?
मातबल नही मतलब….सुलेमान ने चिडाने के से अंदाज़ में कहा
वही….वही….
वही….वही के बच्चे बाहर गोलियाँ चल रही है
हम क्या करे….चलता है तो चले….जोसेफ ने कहा
और
कमरे की तरफ चल पड़ा….
शायद
उसकी प्यास जाग उठी थी….
और
वो 6वी बॉटल की बची-कूची के साथ 7वी के ख़याल में मगन था….!
ओप्रेशन रूम से इमरान की कॉल उसके कमरे में डाइरेक्ट कर दी गयी….वो अभी सेइको मॅन्षन ही में था….
दूसरी तरफ से सफदार की आवाज़ सुनाई दी….अभी-अभी एक आंब्युलेन्स हर्लें हाउस के कॉंपाउंड में दाखिल हुई है….मैने सोचा शायद उसकी कोई अहमियत हो आप की नज़रों में….
हो भी सकती है….और….नही भी….इमरान बोला….क्या उसका नंबर टी.ज़् 2411 है….?
नही….टी.ज़् 1120 है….
किसी ख़ास मेडिकल इन्स्टिट्यूशन का नाम है उस पर….?
नही….सिर्फ़ रेड क्रॉस बना हुआ है उस पर….
तुम में से कोई उसका पीछा ना करे….सिर्फ़ उसकी रवानगी की दिशा के बारे में इत्तिला देना काफ़ी होगा….
अगर वो कॉंपाउंड से बाहर आए….!
बहुत बेहतर….
क्या नंबर बताया था….?
टी.ज़् 1120….
मैं इंतेज़ार में रहूँगा….
बहुत बेहतर….
दट’स ऑल….इमरान ने कहा और कॉल डिसकनेक्ट कर दिया
रिसेवर रखा ही था के फिर घंटी बजी….इस बार जोसेफ की आवाज़ आई
सबसे पहले 7वी बॉटल का शुक्रिया बॉस….उसके बाद ये खबर है कि फ्लॅट के बाहर फाइरिंग हुई थी….पड़ोसियों ने बताया के दो ज़ख़्मी आदमी एक कार में बैठ कर फरार हो गये है कोई नही जानता कि उनपर किस ने फाइयर किए थे
7वी बॉटल ने….? इमरान सर हिला कर बोला
यक़ीन करो बॉस 7वी बॉटल के सिर्फ़ दो घूँट ने मुझे इस हद तक पूर सकून कर दिया था कि मैने बोलकोनी में झाँकना भी गवारा नही किया….
और
तीसरी खबर….ये है कि सुलेमान की मोहब्बत जीत गयी….वो कोठी पर गया था वहाँ उसने अपने रक़ीब को उल्टा देखा था….!
तो उसने भी इब्रात पकड़ ली होगी….
नही बॉस….वो बहुत खुश है….
और
चौथी खबर….ये है कि जब आस-पास गोलियाँ चल रही हो तो मुझे अपनी परदा नशीनी खुलने लगती है….!
परदा नशीनी बेहतर है कफ़न पोशी से….इमरान ने कहा और सिलसिला काट दिया….फिर….
30 सेक बाद ही सफदार की कॉल आई….!
आंब्युलेन्स पोर्च में खड़ी है….
और
एक स्ट्रेचएर अंदर से लाया गया है….कोई उस पर लेटा हुआ है….सर से पैर तक कंबल से ढका हुआ है….!
पीछा हरगिज़ ना करना….इमरान बोला….जाने दो….!
हो सकता है वो लेडी डॉक्टर हो….
उसके बावजूद भी वो करो जो मैं कहूँ….ये जाल भी हो सकता है….
शायद
वो अंदाज़ा करना चाहते है कि हर्लें हाउस निगरानी में है या नही….इस वजुहात (कारणों) में….!
जैसी आप की मर्ज़ी….
लेकिन….रवानगी की दिशा से आगाह करना….
बहुत बेहतर….आ….वो….ज़रा...ठहेरिए….होल्ड की जिए….
आवाज़ आनी बंद हो गयी….इमरान रिसेवर कान से लगाए रहा
सफदार की आवाज़ फिर आई….हेलो
सुन रहा हूँ….
चौहान इत्तिला दे रहा है कि आंब्युलेन्स कॉंपाउंड से निकल कर 11वी शहरा पर वेस्ट की जानिब मूड गयी है….
ठीक है….तनवीर तुम लोगों की जगह लेने के लिए आधे घंटे बाद पहुँच जाएगा….अब एक ही आदमी काफ़ी होगा….तुम तीनो आराम कर सकते हो….दट’स ऑल
रिसीवर रख कर वो आहिस्ता से बड़बड़ाया….11वी सड़क वेस्ट की जानिब….खूब तो फिर शायद इधर ही जाएँगे….!
आंब्युलेन्स की अगली गाड़ी पर दो अफराद थे….
और
दोनो ही सफेद फाम विदेशी थे….उनमे से एक ड्राइव कर रहा था
गाड़ी के पीछे दूर तक सड़क सुनसान और वीरान थी….ड्राइव करने वाले ने रिवर मिरर पर नज़र डालते हुए कहा….कोई भी नही है….शहेर से यहाँ तक कोई ऐसी गाड़ी नज़र नही आई जिस पर पीछा करने का शक किया जा सकता है….!
चीफ बच्चों की सी हरकतें कर रहा है….दूसरा बोला
अंदर स्ट्रेचएर पर कौन है….?
मैं नही जानता….ज़रूरी नही कि कोई आदमी हो….डमी हो सकता है….!
आख़िर ये कौन शक्श है जो इस तरह हमारे मुक़ाबले आया है….पोलीस तो कुछ भी नही कर रही….!
मैं नही जानता….
क्या नाम है….?
इमरान…..
लेकिन….हर्मन ने ढांप नाम बताया था….
उस शक्श का नाम बताया था जो क़ैदी को छीन ले गया था….चीफ़ का ख़याल है कि वो इमरान ही का कोई आदमी हो सकता है….!
इमरान की क्या हैसियत है….?
यहाँ के इंटेलिजेन्स-डिपार्टमेंट के डाइरेक्टर-जनरल का लड़का है
और उसी के महकमे से ताल्लुक रखता है….
नही….महकमे से उसका कोई ताल्लुक नही….एक आवारा गर्द आदमी है….!
ओहू….अब एक गाड़ी दिखाई दी है….
वो हमारी ही गाड़ी होगी….पाँच मील फासला तय कर लेने के बाद पीछा करने वाली कोई गाड़ी नही हो सकती….पीछा शुरू होता तो हर्लें हाउस के करीब ही से हो जाता….चीफ़ का अंदाज़ा ग़लत भी हो सकता है….!
अगर….हमारी ही गाड़ी है तो इतनी देर बाद क्यूँ दिखाई दी….?
तो फिर….कोई दूसरा आदमी होगा….इस सड़क पर सिर्फ़ हम ही तो नही चल रहे….!
ये साहिली तफरीहगाह की रोशनियाँ है शायद….
हाँ….
पिछली गाड़ी रास्ते के लिए हॉर्न दे रही थी….
और
आंब्युलेन्स एक तरफ कर ली गयी….
और
तेज़ रफ़्तार गाड़ी उसके बराबर से निकलती चली गयी….
हर्मन ने यही तो बताया था कि पहले वो गाड़ी आगे निकल गयी थी….
क्यूँ मरे जा रहे हो अपनी गाड़ियाँ भी पीछे होंगी…..!
तो दिखाई क्यूँ नही देती….!
वीरान हिस्से में दाखिल होते ही हेडलाइट्स बुझा दी गयी होंगी….!
वो देखो….ड्राइवर चीख पड़ा….वो पलट रही है….!
सामने से किसी गाड़ी की हेड लाइट्स दिखाई दी…..
आने दो….हमारी भी गाड़ियाँ….
सामने वाली गाड़ी की रफ़्तार में कमी नही हुई….वो आंब्युलेन्स के करीब से गुज़रती चली गयी….!
ओह….ड्राइवर ने लंबी साँस ली….
खाम्खा नर्वस हो रहे हो तुम….बस अब हम वहाँ पहुँचने ही वाले है….
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