RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
आंब्युलेन्स की रफ़्तार किसी कदर तेज़ हो गयी….साहिली तफरीहगाह बहुत पीछे रह गया….
और
ये वही सड़क थी जिस पर उनकी आंब्युलेन्स के टाइयर फ्लॅट कर दिए गये थे….
और
ढांप नामी आदमी ने उनके कैदी पर हाथ सॉफ कर दिया था….
और एक मील फासला तय कर के आंब्युलेन्स उन इमारतों के करीब जा पहुँची जहाँ न्यूक्लियर बिजली घर का स्टाफ रहता था….
फिर
वो एक अलग-थलग इमारत के कॉंपाउंड में दाखिल हो हुई….!
अब हमें क्या करना है….? ड्राइवर ने पूछा
गाड़ी को पोर्च में लेते चलो….
और
वहाँ खड़ी कर दो….!
उसके बाद….?
मैं नही जानता….मुझे तो ये भी नही मालूम कि गाड़ी ही पर बैठे रहना है या उतरना है….
ये क्या बात हुई….?
एंजिन बंद कर दो और चुप-चाप बैठे रहो….!
गाड़ी पोर्च में पहुँच कर रोकी और एंजिन बंद कर दिया गया….वो दोनो बैठे रहे….
अचानक
आंब्युलेन्स के अंदर से किसी ने पिछले पारटिशन पर ज़ोर-ज़ोर से हाथ मारना शुरू कर दिया….!
डमी नही थी….चलो उतरो नीचे….दरवाज़ा खोलो….ड्राइवर ने कहा
दूसरे आदमी ने नीचे उतर कर गाड़ी का पिछला दरवाज़ा खोला….
और
बौखला कर पीछे हटते हुए कहा….चीफ
कुछ नही हुआ….? उसने गाड़ी से उतरते हुए पूछा
नही चीफ….कुछ भी नही….!
इतने में दो गाड़ियाँ और भी कॉंपाउंड में दाखिल हुई….उन पर से 4 सफेद फाम विदेशी उतरे….
और
पोर्च की तरफ बढ़ते चले गये….!
क्या खबर है….? खुश्क लहजे में चीफ ने उनसे सवाल किया
कतई नही चीफ….पीछा किया ही नही गया
लेकिन….मैने दो गाड़ियों की आवाज़ें सुनी थी….!
एक गाड़ी तफरीहगाह से इस तरफ आई थी….
और
दूसरी अलग दिशा से….उन्ही की आवाज़ें आप ने सुनी….!
हो सकता है तफरीहगाह से पीछा शुरू किया गया हो….आंब्युलेन्स के ड्राइवर ने कहा
अहमाक़ाना ख़याल है….चीफ बोला….चलो अंदर चलो
वो इमारत में दाखिल हुए….
चीफ मज़बूत जिस्म वाला एक लंबा आदमी था….आँखें बड़ी जानदार थी….अपने मातहतों पर छाया हुआ सा लगता था….!
एक बड़े कमरे में पहुँच कर उसने उन्हे बैठ जाने का इशारा किया….चन्द लम्हे उन्हे घूरता रहा फिर बोला….तुम सब नकारा साबित हो रहे हो….!
वो सब खामोश रहे….
चीफ थोड़ी देर बाद घुर्राया….दोनो देसी आदमी ज़ख़्मी हो कर वापस आए है….
कौन देसी आदमी….एक बोला
मैं सिर्फ़ हवर्ड से मुखातीब हूँ….
हवर्ड नामी आदमी ने उसे ख़ौफज़दा नज़रों से देखा….
इमरान के फ्लॅट के करीब उन पर फाइयर किए गये थे….?
मुझे इल्म है चीफ….हवर्ड बोला….उनसे भी ग़लती हुई थी….उनमे से एक ने नीग्रो पर फाइयर कर दिया था….जो फ्लॅट की बोलकोनी में खड़ा हुआ था….!
क्यूँ….? चीफ उसे घूरता हुआ घुर्राया
फाइयर बे-आवाज़ था….
और
इस उम्मीद पर किया गया था कि शायद इस तरह इमरान फ्लॅट से निकल आए….!
तुम अहमक को…..तुम ग़लत आदमियों का चुनाव किया था फ्लॅट की निगरानी के लिए….इमरान फ्लॅट में मौजूद नही है….राणा पॅलेस में भी नही….
और
अपने बाप के घर में भी नही है….!
हम इंतिहाई कोशिश कर रहे है बॉस….मुझे इत्तिला मिली थी कि आज कोई सफेद फाम विदेशी लड़की इमरान के फ्लॅट में गयी थी….!
कॉर्निला थी….चीफ खुश्क लहजे में बोला
कॉर्निला….? हवर्ड के लहजे में हैरत थी
हाँ….वही थी….
और
अब उसी पर नज़र रखो वो इमरान की तलाश में है….!
मगर….चीफ ज़रूरी तो नही कि वो उसे मिल ही जाए….?
गैर ज़रूरी बातें नही….!
ओके चीफ….हवर्ड ने गहरी साँस ली
चीफ उठ गया….
लंबी राहदारी से गुज़र कर वो एक कमरे के सामने रुका….खुफाल (लॉक) खोल कर अंदर दाखिल हुआ….
और
सामने बैठी हुई औरत उसे देख कर उछल पड़ी….!
डरो नही….चीफ आहिस्ता से बोला
डरूँ क्यूँ….? औरत ने गुस्सैले लहजे में कहा
जब तक तुम्हारा भाई हमे ना मिल जाए तुम्हारी रिहाई नामुमकीन है….!
आख़िर तुम लोग मेरे भाई से क्या चाहते हो….?
वो कर्ज़दार है मेरा….जैसे ही मैने इस सर ज़मीन पर कदम रखा वो गायब हो गया….!
कितनी रकम है….? औरत ने उसे घूरते हुए पूछा
तुम तस्सउूर भी नही कर सकती….मेरे मुल्क में शहज़ादों की सी ज़िंदगी बसर करता था….!
आख़िर तुमने किस उम्मीद पर उसे कोई बड़ी रकम दे दी थी….?
तफ़सील में नही जा सकता….ये बताओ क्या ढांप नामी किसी आदमी से वाक़िफ़ हो….?
ये नाम ही पहली बार सुन रही हूँ….!
हो सकता है कि तुम उसे नाम से ना जानती हो….
लेकिन
कभी अपने भाई के साथ देखा हो….वो एक बुड्ढ़ा सा आदमी है बहुत ज़्यादा फूली हुई नाक वाला….
और
मूँछें होंठों पर लटकी हुई इतनी घनी के होंठ छुप गया हो….!
नही मैने ऐसे किसी आदमी को अपने भाई के साथ नही देखा….
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