RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
किस बिना पर शक हुआ था तुम्हे….? इमरान ने उसे गौर से देखते हुए पूछा
वहाँ मरीज़ भी होते थे….मैं जब वहाँ था उसी दौरान एक अफ्रीकी मुल्क का शहज़ादा अपने किसी मरीज़ का इलाज करने के लिए दाखिल हुआ था….वहाँ के बादशाह का भांजा था….दवाइयों का आदि था….जिन्सी (सेक्स) का शिकार….
और असाधारण शक्ति के केप्सूल का ख्वहिश्मन्द था….वो लोग उसका पोषीदा (छिपा) तौर पर उसका किसी किस्म का ट्रीटमेंट करने लगे….एक दिन वो नशे की झोंक में रोने लगा….
और बोला….कि वो इस बार अपने मामू यानी उस अफ्रीकी मुल्क के बादशाह की सालगिराह के जश्न में शिरकत (भाग) नही कर सकेगा….संस्था के थेरपिस्ट्स ने उसे इतमीनान दिलाते हुए वादा किया कि वो वहीं से सालगिराह के जश्न बरपा कर के उसके लिए संस्कार की आदाएगी का मौक़ा फरहाम कर देंगे….आप यक़ीन की जिए इमरान साहब कि इतनी सी बात के लिए उन्होने बहुत बड़ी रकम खर्च कर दी थी….बा-क़ायदा दरबार का सेट लगाया था….
और एक ऐसा आदमी भी उन्होने ढूंड निकाला था….जो उसके मामू का हमशक्ल था….जश्न सालगिरह हुई….मुबारकबाद देने की रसम के वक़्त शहज़ादा उसके करीब पहुँचा….
और रेवोल्वेर निकाल कर उस पर फाइरिंग शुरू कर दी….कारतूस नकली थे….बात हसी में टल गयी….लोगों ने ज़ोर-ज़ोर से क़हक़हे लगाए थे….
और तालियाँ बजाई थी….
लेकिन
मुझे ऐसा ही लगा था….जैसे उस वक़्त वो शहज़ादा मशीनी तौर पर हरकत करता रहा हो….कुछ सोचे समझे बगैर में उलझन में मुब्तेला हो गया था….दूसरे दिन मौक़ा निकाल कर मैने उससे बात की थी….
यक़ीन की जिए….
वो हैरत से मूह खोले मुझे देखता रहा था….कुछ भी तो याद नही था उसे….फिर वो हँस कर बोला….शायद तुमने ख्वाब देखा था….डॉक्टर शाहिद खामोश हो कर कुछ सोचने लगा….
सालगिराह की बात खुद उसने शुरू की थी….
और रो दिया था….? इमरान ने सवाल किया
नही….उसके मुल्क की रस्मों रिवाज की बातें छिड़ी हुई थी….बादशाह की सालगिराह का भी ज़िक्र शुरू हुआ था….
और
उसने रोना शुरू कर दिया था….खैर अब से एक साल पहले का वक़ीया याद की जिए….आफ्रिका के उसी मुल्क के बादशाह का उसके उसी भानजे ने कत्ल कर दिया था….जिस ने 3 माह पहले उस संस्था में गोया उसके कत्ल का रिहर्सल किया था….बिल्कुल उसी तरह सालगिराह की मुबारकबाद देते वक़्त उसने अपने मामू पर 4 फाइयर किए थे….
और वो उसी जगह गिर कर ठंडा हो गया था….!
हाँ….मुझे याद है….इमरान ने कहा
अब….आप खुद सोचिए मैं कैसे ख़तरनाक लोगों के चन्गूल में फस गया हूँ….!
लेकिन….सवाल तो ये है कि तुमने इस्तीफ़ा क्यूँ दिया….?
क्या आप को मेरी पोज़िशन का इल्म नही है….
हाँ….मैं जानता हूँ कि तुम किन शख्सियतो के थेरपिस्ट हो….!
बस….तो फिर….मेरी मौजूदा पोज़िशन का अंदाज़ा लगा ली जिए….मैं मर जाना पसंद करूँगा….
लेकिन उनका खिलोना नही बनूंगा….!
क्या तुम से उन्होने कुछ करने को कहा था….?
अभी तक तो नही कहा….
लेकिन आप बता दी जिए कि अचानक मुझे मेरी ख़तरनाक पोज़िशन का एहसास दिलाने की कोशिश करना क्या माने रखता है….गोया मुझे पहले ही दिखाना चाहते है कि अगर मैने उनकी कोई बात ना मानी तो वो मेरे सोशियल हैसियत को तबाह करेंगे….!
हुहम….इमरान सर हिला कर बोला….हो सकता है….!
और….मैने इस्तीफ़ा दे कर उन्हे जताना चाहा था कि मैं खुद ही अपनी इस हैसियत को ख़त्म कर देता हूँ….
फिर तुम अड्वरटाइज़ किया करो उन बेहूदा तस्वीर की….उसके बाद उन्होने दूसरा तरीका आज़माया….मलइक़ा को अगवा कर लिया….
और उसे बंधक बना कर इस्तीफ़ा वापस लेने के लिए दबाव डालने लगे….!
मेरा मशवरा है कि तुम इस्तीफ़ा वापस ले लो….
और देखो कि उनकी माँग क्या है….इमरान ने कहा
ये मुझ से नही हो सेकेगा….!
ऐसा कर के तुम मुल्क-ओ-क़ौम की एक बेहतरीन खिदमत अंजाम दो गे….!
मैं नही समझा….?
वो तुम से जो कुछ भी करना चाहते है….तुम्हारी तरफ से मायूस हो कर किसी और तरह करने की कोशिश करेंगे….हो सकता है कि कामयाब भी हो जाए….क्यूँ कि….तुम अंधेरे में हो गये….!
ये बात तो है….शाहिद कुछ सोचता हुआ बोला
इस्तीफ़ा वापस ले लो….
और इंतेज़ार करो….!
लेकिन….उन्हे अब शक भी तो हो सकता है कि मैने उनका राज़ फ़ाश कर दिया होगा….!
मैं उनका शक भी दूर करने की कोशिश करूँगा….
बहेरहाल ये बहुत ज़रूरी है कि उनका मंसूबा हम पर ज़ाहिर हो जाए….!
जैसी आप की मर्ज़ी….
लेकिन आप उनका शक कैसे दूर करेंगे….?
ढांप….इमरान बाई (लेफ्ट) आँख दबा कर मुस्कुराया
दूसरी सुबह के अख़बारात में डॉक्टर मलइक़ा की वापसी की खबर बड़े हरफो में छपी हुई थी….
पोलीस के बयान के मुताबिक उसने शहर की एक इमारत पर छापा मार कर….ना सिर्फ़ मलइक़ा को बल्कि उसके भाई शाहिद को भी बरामद कर लिया था….वो दोनो ढांप नामी किसी आदमी की क़ैद में थे….इससे पहले उन्दोनो को इस वजह का मक़सद ज़ाहिर होता पोलीस उन तक पहुँचने में कामयाब हो गयी….ढांप गिरफ्तार नही हो सका….ढांप का हुलिया भी छापा था….
पोलीस ने पब्लिक से दरख़्वास्त की थी कि….
अगर कोई ढांप के बारे में किसी किस्म की मालूमात को फरहाम करना चाहे तो किसी हिचकिचाहट के बगैर सामने आए….उसका नाम राज़ रखा जाएगा….
और उस सहायता के सिले में इनाम का हक़दार भी करार पाएगा….!
डॉक्टर शाहिद और मलइक़ा अपने घर पहुच गये थे….आने-जाने वालों का ताँता सा बँधा हुआ था….
रहमान साहब भी ख़ैरियत दरियाफ़्त करने आए थे….
मुझे सब कुछ मालूम हो चुका है….तुम बेफ़िक्र रहो….रहमान साहब ने कहा
इमरान भाई की इनायत है….शाहिद बोला
किसी के सामने उसका नाम भी मत लेना….
सवाल ही पैदा नही होता….
और कल से तुम अपनी ड्यूटी पर जाओगे….!
बहुत बेहतर….!
मुझे हालात से बाख़बर रखना….
ऐसा ही होगा….
मलइक़ा को हिदायत (निर्देश) कर दो के ढांप के अलावा और किसी का नाम ना ले….!
वो भी अच्छी तरह समझ चुकी है कि उसे क्या करना है….!
कुछ देर बैठ कर वो चले गये….
शाहिद आराम करना चाहता था….
लेकिन आने-जाने वालों की वजह से मुमकीन नही हो रहा था….
3 बजे उसने उसी ना मालूम विदेशी की फोन कॉल रिसीव की थी….जो पहले भी उससे फोन पर गुफ्तगू करता रहा था….!
तुम ने बहुत अक़ल्मंदी का सबूत दिया है डॉक्टर….दूसरी तरफ से आवाज़ आई
शुक्रिया….शाहिद का लहज़ा गुस्सैला था
इस्तीफ़ा भी वापस ले लो….!
कल से ड्यूटी पर जाउन्गा….
आख़िर तुम मुझसे चाहते क्या हो….?
बस यही की तुम इस्तीफ़ा वापस ले लो….
और….उसके बाद….?
जल्दबाज़ी नही….तुम तस्सउूर नही कर सकते कि भविष्य में तुम क्या बनने वालो हो….
अगर अपनो ही की तरह सहयोग करोगे तो बड़े मर्तबे पाओगे….तुम्हारे मुल्क में तुम से ज़्यादा दौलतमंद आदमी कौन होगा….!
यक़ीन करो कि मुझसे कोई नापसंदीदा काम नही करा सकोगे….!
तुमने पहले से ये कैसे समझ लिया कि वो काम तुम्हारे लिए नापसंदीदा होगा….?
अगर….तुम ये समझते हो कि डाइरेक्टर-जनरल की बेटी से मेरा रिश्ता हो जाने के बाद मुझसे कोई सरकारी राज़ हासिल कर लोगे तो ये तुम्हारी कम ख़याली है….मैं तुम्हारे हाथों अपनी ज़िल्लत गवारा करूँगा….
लेकिन गद्दारी मुझसे नही हो सकेगी….!
शायद….तुम किसी कदर ज़हनी मरीज़ भी हो गये हो….फ़िज़ूल बातें सोंच रहे हो….हमारे लिए तुम्हारे सरकारी राज़ कोई अहमियत नही रखते….वो सिरे से राज़ ही नही हमारे लिए….!
फिर….क्या चाहते हो….?
कुछ भी नही….
तो फिर….तुम्हे मेरे इस्तीफ़े से क्या सरोकार….?
बहुतर बातें आमने-सामने की जा सकती है….
तो आमने-सामने कर्लो….
अभी वक़्त नही आया….
और हाँ….अपनी बहन से कहे दो कि ढांप के अलावा और किसी की कहानी ना सुनाए….!
पहले ही ताकीद कर दी है….शाहिद ने नाखुशगवार लहजे में कहा
तुम से यही उम्मीद थी….तुमने ख्वांखा बात बढ़ा दी डॉक्टर….
वरना बात कुछ भी ना थी….!
मैं उलझन में मुब्तेला हूँ….
क्या मैं तुम्हारी उलझन अभी दूर नही कर सका….?
नही….बिल्कुल नही….!
इमरान कहाँ है….?
मैं नही जानता….मुलाकात नही हुई….!
अच्छा….खुदा हाफ़िज़….कह कर दूसरी तरफ से सिलसिला ख़त्म कर दिया गया….!
उधर उस विदेशी ने शाहिद से इमरान के बारे में पूछा था….
और इधर इमरान फोन पर हंस के नंबर डाइयल कर रहा था….
दूसरी तरफ से कॉर्निला की आवाज़ सुनाई दी….मैं इमरान हूँ….उसने कहा
ओह….मैने तुम्हे कितना तलाश किया है….कहाँ हो तुम….?
जहाँ भी हूँ….ख़तरे में हूँ….!
क्यूँ….तुम्हे क्या ख़तरा है….?
पता नही क्यूँ….उस दौरान में कुछ ना मालूम लोग मेरे दुश्मन हो गये है….!
मैं नही समझ सकती कि तुम क्या कहे रहे हो….
फ़िक्र ना करो….ये बताओ पोलीस ने तुम्हारा पीछा छोड़ा या नही….?
बेशक छोड़ेगी….क्या तुम ने आज का अख़बार नही देखा….?
मैं वहाँ हूँ जहाँ अख़बारात नही पहुँचते….
कॉर्निला ने उसे मलइक़ा की वापसी की खबर अख़बारात की टिप्पणियों समेत सुनाई….
अजीब नाम है….ढांप….इमरान बोला
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