RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
एंबसी का ग्रॉबार डगमोरे सामाज़ी ज़िंदगी में ख़ासे रख रखाव वाला आदमी मशहूर था….
और मुकामी संस्कृति सरगर्मियों में इस तरह हिस्सा लेता था….जैसे उसका सामाज़ी भविष्य इसी मुल्क से संबंध हो….कभी-कभी सलवार सूट और खड़ी काली टोपी से भी शौक करता….उर्दू अच्छी ख़ासी बोल लेता था….
लेकिन जब उर्दू में ही संजीदगी पर उतर आने की कोशिश करता तो मज़ाक़िया खैर हो जाता….!
हर्लें हाउस उसकी रेसिडेन्स का नाम था….
लेकिन अंदाज़ा करना दुश्वार था कि उस इमारत में उसके कितने अफ्राद रहते है….रोज़ ही नयी-नयी सूरतें दिखाई देती….!
विदेशी औरतों के साथ-साथ दौलतमंद तबके की मुकामी औरतों में भी लोकप्रिय था….खुश शक्ल, सेहतमंद….
और हट्टा-कट्टा आदमी था….गुफ्तगू के दौरान होंठों पर मुस्कुरहत खिली रहती….उसकी रोशन ख़याली और खुश मिज़ाजी के चर्चे थे….
लेकिन उसकी बीवी अफलिया डगमोरे उतनी ही तंग नज़र, शक्की….
और छिड़-चीढ़ी थी….औरतों में अपने पति की लोकप्रियता उसे एक आँख नही भाती थी….उसका ख़याल था कि वो उसकी आँखों में धूल झोंक रहा है….बाज़ाहेर महेज़ खुश तबी (फोरप्ले) तक सीमित रहने वाला बातुनी औरतों का बहुत बड़ा शिकारी है….कभी-कभी वो दो टुक अपने ख़यालात का इज़हार भी कर बैठती थी….
लेकिन फ़ौरन उसे चॅलेंज कर दिया जाता….साबित करो….
शिकारी चोर होता है….वो कहती….सबूत नही छोड़ता….!
अगर….मैं इतना ही बुरा हूँ तो तुम मुझसे अलग हो सकती हो….डगमोरे का आखरी जुमला होता….
और वो दाँत पीस कर रह जाती….खुद किसी बड़ी हैसियत वाले खानदान से ताल्लुक नही रखती थी….
लहज़ा
मौजूदा सोशियल स्टेटस को ख़तरे में डालना भी कम अखलाखी ही होती….उसका ख़याल था कि वो कभी-ना-कभी उसके खिलाफ कोई पुख़्ता सबूत ज़रूर फरहाम कर के घुटने टेकने पर मजबूर कर देगी….!
डगमोरे वाक़ई बहुत चालाक था….सच-मूच सबूत नही छोड़ता था….
और वो तमाम औरतें भी उससे सहयोग करती थी….जिन से उसका ताल्लुक होता था…..बेहद सावधान रहती….!
इन दिनों वो अपने एंबसी के फर्स्ट सेक्रेटरी की बीवी से उलझा हुआ था….बहुत दिनो बाद उसे एक ऐसी औरत मिली थी….जो उसकी उम्मीद पर पूरी उतरी थी….वो बहुत खुश था….!
मोनिका भी उस पर टूट कर गिरी थी….
शायद
फर्स्ट सेक्रेटरी उसकी उम्मीद पर पूरा नही उतर सका था….!
डगमोरे की नज़र ही ऐसी औरतों पर रहती थी….जो अपने पति से खुश ना हो….बहेरहाल….वो इस वक़्त भी मोनिका के बारे में सोच रहा था….
अचानक
फोन की घंटी बजी….
और वो चौंक कर फ़ोन को घूर्ने लगा….
फिर हाथ बढ़ा कर रिसीवर को उठाया….हेलो….डगमोरे स्पीकिंग….
बहुत बेहतर….दूसरी तरफ से आवाज़ आई….बहुत अच्छा है कि तुम ही हो….क्या तुम अपनी डाक देख चुके हो….?
नही….उसने गैर इरादि तौर पर कहा….
फिर झल्ला कर बोला….तुम कौन हो….?
तुम्हारी डाक में एक लाल रंग का लिफ़ाफ़ा है….कहीं तुम्हारी बीवी के हाथ ना लग जाए….!
क्या बक रहे हो….? तुम कौन हो….?
लेकिन जवाब मिलने की बजाए सिलसिला कट होने की आवाज़ आई….
डगमोरे की भवें सिकुड़ी और उसने रिसीवर रखता हुए आज की डाक पर नज़र डाली….कयि लिफाफे ट्रे में रखे हुए थे….गैर इरादि तौर पर हाथ उसकी तरफ बढ़ गया….दर हक़ीक़त एक लाल लिफ़ाफ़ा मौजूद था….उसने लिफ़ाफ़ा चाक कर दिया….
और….फिर
उसकी आँखें फटी-की-फटी रह गयी….!
फोन की घंटी फिर बजी….
और उसने चौंक कर चोर नज़रों से चारों तरफ देखा….
और लिफाफे को उस तस्वीर समेत जल्दी से कोट के अन्द्रुनि जेब में रख लिया….जो लिफाफे से बरामद हुई थी….!
फोन की घंटी बजती रही….
उसने खुद को संभालने की कोशिश करते हुए रिसीवर उठाया….हेलो….ब मुश्किल आवाज़ निकल सकी
क्या ख़याल है….दूसरी तरफ से आवाज़ आई
हेलो….कौन है….?
अंदाज़ा लगाने की कोशिश करो….
यह क्या बकवास है….
तस्वीर संभाल कर रखना….कहीं तुम्हारी बीवी की नज़र में ना पड़ जाए….!
त….त….तुम कौन हो….बताते क्यूँ नही….
समझने की कोशिश करो….
मैं नही समझा….
बहुत जल्दी समझ जाओगे….यह तस्वीर कुछ ज़्यादा हैरत अंगेज़ नही है….उससे भी कहीं ज़्यादा सनसनी खेज तस्वीर मेरे कब्ज़े में है….
और सब तुम्हारी ज़ात से तालूक रखती है….
अचानक सिलसिला कट हो गया….
डगमोरे हेलो….हेलो….करता रह गया….रिसीवर रख कर वो अपनी कुर्सी में ढेर हो गया….वो इस तरह हाँप रहा था….जैसे मीलों लंबी दौड़ लगा कर यहाँ तक पहुँचा हो….सारे जिस्म से पसीना छूट पड़ा था….आँखों में ख़ौफ्फ के साथ नफ़रत की झलकियाँ भी थी….!
कुछ देर तक वो ऐसे ही हालत में बैठा रहा….आहिस्ता-आहिस्ता इस हैज कैफियत (टेन्स सिचुयेशन) पर काबू पाने की कोशिश करता रहा
थोड़ी देर बाद उसने रिसीवर उठा कर किसी के नंबर डाइयल किया….
और माउत पीस में बोला….डगमोरे
क्या बात है….? दूसरी तरफ से आवाज़ आई
क्या तुम मुझे अपनी इस हरकत का मतलब समझा सकोगे….? डगमोरे गुस्सैली आवाज़ में बोला
क्या किस्सा है….तुम संजीदा मालूम होते हो….?
आख़िर मुझसे चाहते क्या हो….?
खूल कर बात करो….मेरी समझ में कुछ नही आ रहा….दूसरी तरफ से आवाज़ आई
लाल लिफाफे का क्या मतलब है….?
कैसा लाल लिफ़ाफ़ा….?
तुम आवाज़ बदलने के भी माहिर हो….मैं अच्छी तरह जानता हूँ….क्या तुमने अभी फोन पर मुझे धमकी नही दी थी….?
क्या तुम नशे में डगमोरे….?
फ़ौरन यहाँ पहुँचो….डगमोरे घुर्राया
फिलहाल मैं इसे मुनासीब नही समझता कि अपनी जगाह को छोड़ दूं….!
मैं आमने-सामने गुफ्तगू करना चाहता हूँ….डगमोरे चीख कर बोला
अपना लहज़ा दुरुस्त करो….तुम्हे पता नही क्या हो गया है….?
जिस तरह भी मुमकिन हो यह मुलाकात ज़रूरी है….!
तुम किसी लाल लिफाफे की बात कर रहे थे….?
अंजान बनने की कोई ज़रूरत नही….
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