RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
हैरत अंगेज़….इमरान उसके खामोश होने पर बोला
मेरी जगह तुम होते तो तुम भी यही समझते कि वो उन्ही में से है….!
बिल्कुल….इमरान सर हिला कर बोला….
लेकिन तुम ने अपने बाप को क्यूँ नही बताया….?
ढांप ने मना किया था….
और फिर बाद में तो सवाल ही पैदा नही होता….!
यह भी अक़ल्मंदी ही सर्ज़ाद हुई है तुम से….इस सिलसिले में अपनी ज़ुबान बिल्कुल बंद रखना….
वरना सच-मूच तुम्हारे बाप की गर्दन काट जाएगी….
लेकिन यह तो बताओ कि तुम्हे यह बात किस के ज़रिए से मालूम हुई के ढांप उनमे से नही है….?
मेरे बाप ने बताया है….उन्होने ख़ास तौर पर डेडी को बताया कि ढांप उनसे ताल्लुक नही रखता इसलिए वो होशियार रहे….
अब पूरी बात समझ में आई है….इमरान लंबी साँस ले कर बोला
और कॉर्निला की आँखों में इतमीनान की झलकियाँ नज़र आने लगी….!
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डगमोरे की समझ में नही आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए….मोनिका मिल बैठने की ज़िद पर अडी थी….
और वो उसे ना मिलने की कोशिश कर रहा था….सच्ची बात भी नही बता सकता था….
अगर वो उस सिलसिले में ब्लॅकमेलिंग की भनक भी लग जाती….
तो फिर शायद….उसकी तरफ रूख़ भी ना करती….
लेकिन डगमोरे उस पर भी राज़ी नही था….कि वो उसके हाथ ही से निकल जाए…..बस चन्द दिनों की अहतियात चाहता था….मोनिका ने उसे जिस अंदाज़ से अट्रॅक्ट किया था उसके लिए बिल्कुल ही नया ताजूर्बा था….
एक बेहद ख़ुशगवार ताजूर्बा जिस का वो तसव्वुर भी नही कर सकता था….उसके अपने दृष्टिकोण से ऐसी चीज़ें छोड़ने वाली नही होती….!
ढांप के खिलाफ उसका खून खौलता रहा….
लेकिन अच्छी तरह जानता था कि….
अगर डेविड के कान में उसकी भनक भी पड़ेगी तो खुद उसकी जान के लाले पड़ जाएँगे….पता नही यह ढांप आइन्दा उससे किस किस्म की माँगे करे….!
ब्लॅकमेलिंग का अंदाज़ रखम ऐंठने वाला नही था….वो तो उससे डेविड से ताल्लुक मालूमात चाहता था….इसका मतलब था खुद उसकी खराबी….ढांप को उसका पता तो बता ही बैठा था
हालाँकि उसे उससे भी ला-इल्म (अंजानता) ज़ाहिर करनी चाहिए थी….
लेकिन वो शक्श आसानी से टलने वाला नही मालूम होता था….वैसे उसने किसी फ्रीलॅनसर सेकरीट एजेंट का हवाला दे कर उसे और भी उलझन में डाल दिया था….
और दुश्वारी यह थी कि वो डेविड से उसके बारे में पूछ-गाच भी नही कर सकता था….
लेकिन ढांप शायद यही चाहता था कि डेविड से उसका ज़िक्र किया जाए
वरना वो उसे बताता ही क्यूँ कि वो कौन है
और किस आदमी से ताल्लुक रखता है….!
ओह….मगर….मोनिका….
फिर आ टपकी मोनिका….उसकी तरफ से ध्यान हटा लेना कितना मुश्किल था….यह बात पिछली शाम ही को तय हो गयी थी वहाँ से जज़ीरा (आइलॅंड) मुबारक तक जाते और रात वहीं गुज़ारते….फर्स्ट सेक्रेटरी इन दिनों अंबासडर के साथ दौरे पर था….इसलिए मोनिका कतई आज़ाद थी….वो इस मौक़े से फ़ायदा उठाना चाहती थी जिसस कदर भी मुमकिन हो….
लेकिन यह मरदूद ढांप ना जाने कहाँ से आ कूदा है….खैर देखा जाएगा….डगमोरे सर को हिला कर उठ खड़ा हुआ….!
ठीक उसी वक़्त एक मुलाज़ीम ने कमरे में दाखिल हो कर किसी के आने की खबर दी….
वो अभी उसके बारे में बता ही रहा था कि….
एक आदमी दन-दनाता हुआ कमरे में घूस आया….!
य….ये….यही है….मुलाज़ीम उसकी तरफ देखता हुआ बौखलाया
तुम कौन हो….? यह क्या हरकत है….? डगमोरे दहाडा
पान क्रॉस…..अजनबी की आवाज़ साँप की फुफ्कार जैसी थी
ओह….अच्छा….अच्छा….डगमोरे संभाल कर जल्दी से बोला
और नौकर से कहा….तुम जाओ….सब ठीक है….!
नौकर ने हल्के से पलके झपकाई और चुप-चाप चला गया
लेकिन….यह तरीका ठीक नही है….डगमोरे ने शिकायत अमेज़ लहजे में कहा
एमर्जेन्सी….तक्लीफात की गुंजाइश नही….चीफ़ ने तुम्हे तलब किया है….!
तलब किया है….डगमोरे के लहजे में नागावारी थी
तुम मेरे साथ चलो…..
मैं नही जानता कि तुम कौन हो….
और मेरे रुतबे से वाक़िफ़ हो या नही….!
पान क्रॉस….अजनबी आँखें निकाल कर घुर्राया
मज़ाक़िया खैज….मैं नही जानता था कि उसके आदमी फिल्मी बदमाशों की सी हरकतें भी करते है….!
बात ना बढ़ाओ….तुम्हे मेरे साथ चलना है
मैं कहता हूँ निकल जाओ यहाँ से….वरना….
अजनबी ने इतनी फूर्ति से रेवोल्वेर निकाला कि डगमोरे चकरा कर रह गया
वो ऐसे भी लड़ाई-झगड़े वाला आदमी नही मालूम होता था….वो खामोशी से दरवाज़े की तरफ बढ़ गया
अजनबी रेवोल्वेर होस्टलर में डाल कर उसके पीछे चल पड़ा….वो उसे कॉंपाउंड में खड़ी हुई एक गाड़ी की तरफ ले गया…..गाड़ी के करीब पहुँच कर उसने डगमोरे के लिए पिछला दरवाज़ा खोला….उसके बाद खुद उसी के करीब बैठ गया….ड्राइवर की सीट पर पहले ही एक आदमी मौजूद था….एंजिन स्टार्ट हुआ….
और गाड़ी आगे बढ़ गयी….!
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