RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
लाओ निकालो….? अचानक डेविड हाथ बढ़ा कर बोला
क्या….? डगमोरे उछल पड़ा
वो लिफ़ाफ़ा तुम्हारे पास ही मौजूद है….!
खबरदार मेरे करीब ना आना….डगमोरे उठ खड़ा हुआ
डेविड खामोश बैठा उसे घूरता रहा….
डगमोरे जिस अंदाज़ में उठा था….उसके मुक़ाबले में डेविड का रववैया कुछ अजीब लग रहा था….
हालाँकि मुस्कुराहट उसके होंठों पर फैली हुई थी और आँखों में वहशियाना चमक लहराई…. और जैसे ही डगमोरे दरवाज़े की तरफ बढ़ा उसने बड़ी फूर्ति से आगे बढ़ कर उसकी गर्दन दबोचली….डगमोरे भन्ना कर पलटा….
लेकिन उसकी आँखों के सामने तारे नाच गये….कनपटी पर पड़ने वाला घूँसा ऐसा ही शदीद था….संभाल ही नही पाया था क़ि दूसरी कनपटी पर भी चोट लगी….साथ ही डेविड का कहकहा भी कमरे की फ़िज़ा में गूंजा…
डगमोरे फर्श से उठने की कोशिश करता हुआ अंधेरे में डूब गया….
डेविड ने उसके जेबों की तलाशी ले कर लाल लिफ़ाफ़ा बरामद कर लिया….तस्वीरें निकाली
और उसपर नज़र पड़ते ही चौंक पड़ा….
फिर उसने ज़हीरीली नज़रों से बेहोश डगमोरे की तरफ देखा
लिफ़ाफ़ा अपनी कोट की अन्द्रुनि जेन में रख कर वो फिर सामने वाली कुर्सी पर जा बैठा….वो हिकारत (तिरस्कार) अमाीज़ नज़रों से डगमोरे की तरफ देखे जा रहा था….!
अचानक….किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी….
कौन है….? डेविड ने उँची आवाज़ में पूछा
फोन कॉल है चीफ….बाहर से आवाज़ आई
वो उठ कर तेज़ी से दरवाज़े की तरफ बढ़ा….
लेकिन इस तरह बाहर निकला कि अंदर ना देखा जा सके….
उसका एक मातहत राहदारी में खड़ा था….
यहाँ फोन कॉल….? डेविड ने हैरत से पूछा….किस की है….?
नाम नही बताया….आप से गुफ्तगू करना चाहता है
क्या मेरा नाम लिया है….?
हाँ चीफ….
उसने पलट कर बंद दरवाज़े की तरफ देखा
और उसे अपने साथ आने का इशारा कर के आगे बढ़ गया
स्टिंग-रूम में पहुँच कर उसने फोन रिसीवर उठाया….हेलो….कौन है….?
डेविड….? दूसरी तरफ से आवाज़ आई
हाँ….मैं ही हूँ….तुम कौन हो….?
“बटेर”….
क्या मतलब….?
क्या तुम्हारे आदमी ने नही बताया कि मैं बटेर मुशाबा (मॅचिंग) हूँ….!
क्या बकवास कर रहे हो….?
ढांप तुम से मुखातिब हो….
इसलिए अपना लहज़ा ना बिगड़ने दो….!
ओह….तुम हो….!
और तुम्हे आगाह कर रहा हूँ कि तुम्हारी ज़िंदगी के दिन पूरे हो चुके है….!
शट-अप….
मैं एक साल से तुम्हारा पीछा कर रहा हूँ….
क्यूँ….?
मैं उसका आदमी हूँ जिसे तुम ने साउत-आफ्रिका में डबल-क्रॉस किया था….!
तुम….यानी ढांप….?
हाँ….मैं ढांप
तुम्हारा इमरान से कोई ताल्लुक नही है….?
कौन इमरान….?
मैने पूछा था कि तुम ने इमरान से साठ-गाँठ की है….?
मैं किसी इमरान को नही जानता….मोलकों दूज़ा के आदमी किसी दूसरे पर टिका नही करते….!
लेकिन मेरे मामलात में टाँग अड़ाने से क्या फ़ायदा….?
मोलकों दूज़ा के आदमी शिकारी कुत्तों की तरह पहले खेलते है….
फिर गर्दन दबोच लेते है….!
तुम्हारी मौत आई है….
तुम दोनो में किसी ना किसी की ज़रूर आई है….
यह एक बे-मक़सद हरकत थी….
खेल का मक़सद ही मनोरंजन होता है डेविड….
मोलकों दूज़ा को ग़लतफहमी हुई थी….जो आज तक रफ़ा ना हो सकी….
अगर….वो ग़लतफहमी थी तो तुम्हे रफ़ा करना चाहिए था….!
दूज़ा ने इसका मौक़ा ही नही दिया था….
अच्छी बात है….मैं तुम्हे पकड़ कर मोलकों दूज़ा की खिदमत में पेश कर दूँगा….ग़लतफहमी दूर कर देना….!
क्या यह मुमकिन नही कि हम आमने-सामने गुफ्तगू कर सके….?
फिलहाल मुमकिन नही….
आख़िर क्यूँ….?
मुक़ामी पोलीस से उलझना नही चाहता….सारा इल्ज़ाम मेरे सर आ गया है….!
अहमाक़ाना दखल अंदाज़ी का यही नतीजा होता है….
अहमाक़ाना दखल अंदाज़ी….क्या कह रहे हो डेविड….इसी दखल अंदाज़ी की बिना पर तुम्हारा सुराग मिला है….
और अब तुम मुझसे फ्रॉड नही कर सकोगे….!
बकवास बंद करो….मैं तुमसे फ्रॉड करूँगा….
बहुत जल्द मुलाकात होगी….दूसरी तरफ से आवाज़ आई और सिलसिल कट हो गया
डेविड माउत-पीस को घूरता रहा और कुछ सोचने लगा….कमरे से निकला राहदारी में उसका वही मातहत मौजूद था जिस ने फोन कॉल की इत्तेला दी थी….पूरी तरह होशियार रहना….उसने कहा
कोई ख़ास बात चीफ….!
ढांप जानता है कि हम इस इमारत में है….
क….क्या उसी की कॉल थी….?
हाँ….उसी की कॉल थी….
और उसका इमरान से कोई ताल्लुक नही….!
और हम खाम्खा इमरान पर ज़ोर देते रहे….
खाम्खा नही….उस पर हर हाल में नज़र रखनी पड़ेगी….!
अगर….ढांप का उससे कोई ताल्लुक नही तो फिर यह ढांप….
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