RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
जल्द ही दोनो खुश खबरियाँ कोठी में फैल गयी….
यानी इमरान जश्न भरपा करने आ रहा है….
और रहमान साहब की रवानगी की….!
ढोलक निकल आई….लड़कियों के क़हक़हे फ़िज़ाओं में गूंजने लगे….
अलबत्ता सुरैया का दम निकला जा रहा था….वो भी रस्म रिवाज के खिलाफ थी….
लेकिन लड़कियाँ कहाँ सुनती है….!
सायरा को यक़ीन था कि रहमान साहब ने दूसरे इन्स्ट्रुमेंट पर उनकी गुफ्तगू सुनी होगी….
वरना इस तरह घर बाहर नही जाते….!
बहेरहाल….थोड़ी ही देर बाद इमरान अपनी मेहमान समेत आ पहुँचा….कॉर्निला का एक-एक से तारूफ़ कराने के बाद बोला….इसलिए घर से भागा-भागा फिरता हूँ….!
मुझे तुम लोगों की यह बात बेहद पसंद है कि एक बड़ा सा खानदान बना कर साथ रहते हो….कॉर्निला ने कहा
सबने उसे हाथों-हाथ लिया….
अगर वो चले गये है तो तुम ही लोग महफ़िल भरपा करो….इमरान ने कहा
ढोलक तो आप ही बजाएँगे भाई जान….सायरा बोली
और कम-अज-कम एक गाना भी होगा….दूसरी ने कहा
यह क्या गाएँगी….? इमरान कॉर्निला की तरफ देख कर बोला
गाएँगी क्या….यही समझेंगी कि यह भी रस्म का एक हिस्सा होगा….!
यानी मेरा गाना-बजाना….? इमरान आँखें निकाल कर बोला
नही….यह किसी करीबी के रुसूमात में गाएँगे….अपने सुलेमान के….किसी तरफ से आवाज़ आई
अपने अब्बा से कहना तुम्हारे मौक़े पर भी मुझे याद रखे….इमरान ने हांक लगाई….क़हक़हे गूँज उठे….
और वो बेचारी ना जाने कहाँ जा चुकी….!
सायरा इमरान को अलग ले जा कर बोली….आप ले तो आए इसे….अगर मलइक़ा आ गयी तो क्या होगा….आज सनडे है क्लिनिक बंद होगा….!
तुमने पहचान लिया यह कौन है….?
इस नाम से तो पूरा शहर वाक़िफ़ होगा….
अम्मा-बी को ना मालूम होने पाए….
मलइक़ा आ गयी तो मालूम हो ही जाएगा….!
अरे….बस भी कर लक़लाक़ा….उन्हे और कोई नाम नही सूझा था….!
आप बच कर रहिएगा….ज़्यादातर आप ही का ज़िक्र होता है उनकी ज़ुबान पर….
कीढ़े पड़ेंगे ज़ुबान में….!
वो तो आंटी कह लाएँगी मगर शादी की कायल नही….
जन्नति होने की निशानी….इमरान ने कहा
और आगे बढ़ गया….!
ढोलक पर एक लोक गीत हो रहा था….
आप की फोन कॉल है साहब….एक मुलाज़िम ने इत्तेला दी
यहाँ फोन कॉल….? इमरान ने हैरत से कहा
बड़े साहब है….
ओह अच्छा….इमरान लाइब्ररी की तरफ बढ़ गया
फोन पर भी रहमान साहब की झुनझूलाहट महसूस की जा सकती थी….
क्या वो तुम्हारे साथ आई है….? उन्होने इमरान की आवाज़ सुनते ही पूछा
जी हाँ….ढोलक के गीत सुन रही है….!
उसके बाप ने आज ही रिपोर्ट दर्ज कराई है कि वो तीन दिन से गायब है….!
हंस प्रिसिलीया ने….?
उसका बाप जुंमन ख़ान तो हो नही सकता….रहमान साहब घुर्राए
लेकिन….वो तो गायब नही है….?
गधेपन की बात ना करो….उसे फ़ौरन वहाँ से ले जाओ….
और पीछा छुड़ाओ अपना….!
जी बहुत अच्छा….
बल्कि वो वहाँ से तन्हा जाए तो अच्छा है….
इस तरह मेरी गाड़ी भी गायब हो जाएगी….
रहमान साहब ने आगे कुछ कहे बगैर सिलसिला कट कर दिया….!
इमरान ने रिसीवर रख कर थोड़ी देर अपनी घड़ी सहलाता रहा….
फिर उस तरफ चल पड़ा जहाँ महफ़िल भरपा थी….
और इशारे से कॉर्निला को बुलाया….!
क्या बात है….? कॉर्निला करीब पहुँच कर पूछी
बस अब चलो….!
इतनी जल्दी….यह लड़कियाँ बहुत अच्छी है….इंग्लीश भी बोल सकती है….कुछ देर तो उनमे रहने दो….!
ज़रूर रहने देता….
लेकिन क्या तुम उस लेडी डॉक्टर का सामना कर सकोगी जिस को तुम हर्लें हाउस ले गयी थी….?
न….न….नही….
तो फिर बस निकलो….वो आ रही है….उसकी फोन कॉल आई थी….!
यह तो बहुत बुरा हुआ….अच्छा चलो….ज़रा ठहरो….मैं लड़कियों से मज़ृत (सॉरी) कर आउ….!
बाद में कर लूँगा….अब चली ही चलो….!
अच्छी बात है….!
इमरान उसे कॉंपाउंड में ले आया
और बोला….तफरीह के लिए बहुत जगह और भी है….!
लेकिन….ऐसा माहॉल नही मिलेगा….सारी लड़कियाँ ईमानदार मालूम होती है….!
वो टू-सीटर में बैठ गये….जिस की रवानगी तूफ़ानी रफ़्तार से हुई
दौड़ का मुकाबला तो नही हो रहा….कॉर्निला बोली
तेज़ रफ़्तार का शौक़ है मुझे….वैसे तुम अपने घर किस वक़्त निकली थी….?
बस वहाँ से तुम्हारे ही पास आई हूँ….
ठीक है….तो अब कहाँ चले….?
जहाँ दिल चाहे….मैं तो इसी इरादे से निकली थी कि शाम तुम्हारे साथ ही गुज़ारुँगी….!
बीच कैसा रहेगा….?
ठीक है….
तुम्हारे बाप को फिर कोई निर्देश मिला है….? इमरान ने सवाल किया
हो सकता है मिला हो…. लेकिन मुझे मालूम नही….!
तुम ने कभी खरगोश का गोश्त खाया है….?
मुझे तो सोच कर ही घिन आती है….डॅडी ने खाया होगा….हाँ उस दिन कह तो रहे थे….
लेकिन तुम अचानक खरगोश क्यूँ निकाल बैठे….?
बस यूँही…. फिर क्या बातें की जा सकती है….?
तुम्हारा पेशा क्या है….?
इधर का उधर करता हूँ….
और उधर का इधर करता हूँ….!
यह क्या बात हुई….?
तुम अब तक नही समझी….?
नही समझी….
यूँ समझो….तुम्हारे लिए एक ऐसा गवाह मुहैया किया था जिस ने तुम्हे पोलीस के चक्करों से बचा लिया था….
लेकिन तुम से मैने उसका मुआवज़ा नही तलब किया था….किसी दूसरे मुवकिल से इस काम के 10 हज़ार मिलते….!
खुदा की पनाह….तो यह तुम्हारा पेशा है….?
तुम्हे हैरत हुई….?
मैने ना-पसंदगी का इज़हार किया है….!
हालाँकि एक बार तुम भी मुझे इस तरह इस्तेमाल कर चुकी हो….
मजबूरी थी….
इस भरी पूरी दुनिया में तुम तन्हा मजबूर नही हो…. और भी है….!
इसके बावजूद भी तुम जैसे मासूम आदमी के लिए यह पेशा मुनासीब नही….
सूरत मैने खुद नही बनाई….
लेकिन….इस पेशे को छोड़ देना तुम्हारे इकतियार में है….!
मुझे अपने आर्ट से लगाव है….
तुम इस बदमाशी को आर्ट कहते हो….
सलीका ना हो तो बदमाशी ही कह लाएगी….सलीके से आर्ट बनता है….!
बदमाशी हर हाल में बदमाशी है….
किसी कातिल से इस तरह सहयोग करना कि वो फाँसी से बच जाए….तुम्हारी नज़र में कैसी हरकत है….?
खुली बदमाशी….
और सहयोग करने वाले को क्या कहोगी….?
इंतिहाई बदमाश….
लेकिन….मैं उसे आड्वोकेट कहूँगा….जो कुछ मैं करता हूँ तुम बदमाशी कहती हो….महेज़ इसलिए के बाज़ाबता प्रॅक्टिशनर नही हूँ….क़ानून की डिग्री होती मेरे पास तो तुम मुझे बदमाश कहने की जुर्रत नही कर सकती….!
मत बोर करो….कहाँ की गॅप छेड़ दी….!
शुरुआत तुमने की थी….अब कबूल कर लो कि मैं एक बेगैरत शहरी हूँ….!
कर लिया कबूल….इस तरह साबित करने बैठोगे तो मेरे मुल्क का प्रेसीडेंट भी अव्वल दर्जे का बेगैरत निकलेगा….!
खैर हाँ….तुम तीन दिन से गायब हो….?
क्या मतलब….? कॉर्निला चौंक कर उसे घूर्ने लगी
तुम्हारे डॅडी ने आज ही रिपोर्ट दर्ज कराई है….
और मैं देख रहा हूँ कि एक बड़ी गाड़ी हमारा पीछा कर रही है….
और यक़ीनी तौर पर पोलीस ही की गाड़ी है….इमरान ने मिरर पर नज़र डाल कर कहा
कमाल है….मेरे फरिश्तों को भी मालूम नही है….मैं घर से सीधी तुम्हारे पास आई थी….
और डॅडी उस वक़्त मौजूद थे….!
अगर….पोलीस ने तुम्हे मेरी गाड़ी से बरामद कर लिया तो तुम्हारा क्या रव्वैया होगा….?
मुझे सोचने दो…. अगर डॅडी ने इस किस्म की कोई रिपोर्ट दर्ज कराई है तो मैं उसका खुलासा नही कर सकूँगी….!
और मेरी गर्दन फसवा दोगि….?
अजीब बात है….मैं तसव्वूर भी नही कर सकती….
लेकिन ठहेरो…. मैं यह भी भूल रही हूँ कि डॅडी किसी के हाथों में खेल रहे है….हो सकता है उसने उन्हे मजबूर किया हो….?
सवाल यह है कि मेरी पोज़िशन क्या होगी….?
मैं कह दूँगी कि अपनी खुशी से तुम्हारे साथ हूँ….
तीन दिन से….?
और क्या….?
नही….तुम यह कहना कि तुमने कुछ देर पहले मुझसे लिफ्ट ली है….
अच्छी बात है….मैं यही कहूँगी….
लेकिन डॅडी ने अच्छा नही किया….उसकी आवाज़ गुस्सैली थी
पिछली गाड़ी करीब होती जा रही थी….
क्यूँ कि इमरान ने भी अपनी रफ़्तार घटा दी थी….!
नही….पोलीस की गाड़ी नही मालूम होती….थोड़ी देर बाद इमरान बोला
तब फिर….अगर वोही लोग हुए तो….?
हम दोनो को उसी तरह बाँध देंगे….जैसे दोनो डॉक्टर भाई बहन को किया था…..!
यानी की….
कुछ भी नही….खामोश बैठो….मुझे सोचने दो….!
पिछली गाड़ी बहुत करीब आ गयी थी….
और फिर…..कॉर्निला ने कहकहा लगाया…. क्यूँ कि वो तो उनके करीब से गुज़रती हुई आगे बढ़ती चली गयी….!
तुम बूढ़ी औरतों से कम नही हो….कॉर्निला ने कहा
क्यूँ….क्यूँ….? इमरान चौंक पड़ा
वो गाड़ी तो आगे निकल गयी…. और अब नज़र भी नही आ रही….!
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