RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
गाड़ी टिप-टॉप नाइट क्लब की तरफ रवाना हो गयी….इस वक़्त सड़कों पर ट्रॅफिक का हुजूम नही था….
इसलिए तेज़ रफ़्तार बरकरार रही….
और जल्द ही टिप-टॉप नाइट क्लब जा पहुँचे….इमरान ने गाड़ी रोकी और नीचे उतर आया
बाईं (लेफ्ट) की तरफ से एक आदमी उसकी तरफ बढ़ा….
लेकिन यह हिप्पी तो नही था….!
गाड़ी में बैठ जाओ….उसने आहिस्ता से कहा
अच्छा….अच्छा….इमरान जल्दी से बोला….
और जहाँ से उठा था वहीं बैठ गया….
वो आदमी सामने से घूम कर दूसरी तरफ के दरवाज़े की तरफ आया
इमरान ही ने उसके लिए दरवाज़ा खोला….
और वो उसके बराबर बैठ गया….!
मुझे वहाँ पर ले चलो….जहाँ के बारे में फोन पर गुफ्तगू हुई थी….अजनबी ने कहा
हिप्पी नही आया….? इमरान ने हैरत से कहा
हमारा चीफ इतना अहमक नही है….
इतने ढेर सारे बालों में कोई शक्श अहमक भी नही रह सकता….
इमरान ने एंजिन स्टार्ट किया….
और गाड़ी आगे बढ़ा दी….जोसेफ का वजूद ना के बराबर हो कर रह गया था….गाड़ी में मौजूद था….
लेकिन अजनबी को शायद शक भी नही हो सका कि गाड़ी में कोई तीसरा करीब ही मौजूद है….!
तो तुम्हारा चीफ अहमक नही है….? इमरान ने अजनबी से सवाल किया
हाँ….मैने यही कहा था….
क्यूँ कहा था….? क्या मैने पूछा था कि वो अहमक है या नही….?
तुम्हे शायद यह उम्मीद थी कि वो खुद आएगा….
मैं यही समझा था….
इसलिए मैने कहा था कि वो अहमक नही है….उसे यह भी तो देखना था कि तुम पोलीस को तो पीछे नही लगा लाए….!
तब तो ठीक है….उसकी जगह मैं भी होता तो मैं भी यही करता….!
ज़रा तेज़ रफ़्तार से चलो….
मैं जानता हूँ कि कभी-कभी पोलीस भी मेरा पीछा करती रहती है….
लेकिन इस वक़्त ऐसा नही हुआ….मैं पहले ही इतमीनान कर चुका हूँ….!
गाड़ी की रफ़्तार तेज़ हो चुकी थी….थोड़ी देर बाद इमरान ने कहा….मेरे साथ तो पोलीस नही है….
लेकिन हो सकता है कि उस इमारत में मौजूद हो जहाँ हमें जाना है….!
मैं नही समझा….?
वहाँ ढांप के आदमियों ने मुझे घेर कर फाइयर भी किए थे….ज़ाहिर है शहरी आबादी में फाइरिंग का मतलब पोलीस को इत्तेला कर देना….
हैरत है कि तुम बच निकले….
बच निकलने के अलावा मुझे और कुछ आता ही नही….वैसे एक बात पर मुझे हैरत हो रही है….!
किस बात पर….?
तुम्हारे चीफ ने तुम्हे यह नही सिखाया कि अजनबीयों से ज़्यादा बात नही किया करते….?
तुम अब अजनबी तो नही रहे हमारे लिए….हम तुम्हे अपना साथी समझने लगे है….!
शुक्रिया….कभी मोहब्बत भी की है तुमने….?
तुम्हारा यह सवाल चकरा देने वाला है….
हम लोग घूल-मिल जाने के बाद सब से पहले यही सवाल करते है….
अगर तुम्हे ना गवार गुज़रा हो तो मत जवाब दो….!
सभी मोहब्बत करते है….वो हँस कर बोला
मैं तो नही करता….इमरान अकड़ कर बोला
अभी तुमने कहा था कि बच निकलने के अलावा तुम्हे और कुछ नही आता….अजनबी फिर हंस कर बोला
तुम ठीक समझे….यही बात है….!
तो फिर अगर वहाँ पोलीस ही हुई तो….अजनबी ने मौज़ू (टॉपिक) बदल दिया
मेरे लिए आसानी हो जाएगी….उस शक्श को रिहा करवा लूँगा….जिसे तुम्हारे चीफ के बयान के मुताबिक ढांप पकड़ कर ले गया है….!
तफ़सील मुझे मालूम नही….
खैर….खैर….अगर पोलीस नज़र आए तो तुम गाड़ी ही में बैठे रहना….मैं उतर कर देख लूँगा….!
लेकिन….पीछे वाले तो गाफील होंगे….
कौन पीछे वाले….?
चीफ और दूसरे साथी….
ओह….तब तो दुश्वारी होगी….
लेकिन ठहरो क्यूँ ना हम यहीं रुक कर उनका इंतेज़ार कर ले….?
ऐसी कोई हिदायत (निर्देश) मुझे नही मिले है….
तो क्या तुम खुद कोई फ़ैसला नही कर सकते….?
सवाल ही नही पैदा होता….
तब फिर….मैं तुम से अपना फ़ैसला मनवा कर तुम्हे ख़तरे में नही डालूँगा….!
ओह….तो क्या तुम मुझसे अपना फ़ैसला मनवा सकते हो….?
चाहूं तो तुम्हे एक हाथ से उठा कर बाहर भी फेंक सकता हूँ….यूँ ही खाम्खा शोहरत नही हो जाती किसी की….!
वो कुछ ना बोला…. लेकिन सर घूमा कर इमरान को घूर्ने लगा
गाड़ी सुनसान सड़क पर फ़र्राटे भरती रही….आख़िर इमरान ने थोड़ी देर बाद कहा….मुझे तो पीछे कोई गाड़ी दिखाई नही देती….?
हेड लाइट्स बुझा दिए गये होंगे….
लेकिन तुम्हे आख़िर इस सिलसिले में परेशानी क्यूँ है….तुम सिर्फ़ एक इमारत की निशानदेही करने जा रहे हो….!
कोई तुम्हारे बाप का नौकर हूँ कि सिर्फ़ निशानदेही करने जा रहा हूँ….मेरा एक आदमी है ढांप के कब्ज़े में….!
अभी तो शराफ़त से गुफ्तगू कर रहे थे….?
उकता जाता हूँ एक तरह की गुफ्तगू करते-करते….हो सकता है थोड़ी देर बाद तुम्हे गालियाँ भी देनी शुरू कर दूं….
मुनासिब होगा कि अब खामोश ही रहो….
इमरान कुछ ना बोला….उसने रफ़्तार कम करनी शुरू कर दी….
क्यूँ कि वो इमारत नज़दीक थी….जहाँ उसे ढांप के नाम पर ले जय गया था….!
क्यूँ….? क्या बात है….? साथी ने पूछा
इमारत नज़दीक है….
बस मुझे दिखाते हुए आयेज निकल चलना….ठहरने की ज़रूरत नही….!
सुनो दोस्त….ज़्यादा आगे नही जा सकूँगा
क्यूँ….?
मुझे देखना है कि वो अब भी उसी इमारत में है या नही….
मैं कोई फ़ैसला नही कर सकता….!
क्या मतलब….?
मुझे सिर्फ़ यह कहा गया था कि मैं इमारत देख आउ….
तो जहन्नुम में जाओ….मैं तुम्हे वापस नही ले जा सकूँगा….
अच्छी बात है….आगे बढ़ कर मुझे उतार देना
वो देखो….वो रही इमारत….इमरान बाईं (लेफ्ट) तरफ एक इमारत की तरफ इशारा किया….जिस की खिड़कियाँ रोषण नज़र आ रही थी….!
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